नमक जिससे हर व्यंजन में स्वाद आ जाता है और जिसकी अनुपस्थिति से हर खाना बेस्वाद हो जाता है, नमक हमारे आहार में अहम भूमिका निभाता है। नमक जीवन के लिए बहुत जरूरी है और यह भारत की हर रसोई की शान होता है। आज हम इस लेख के जरिए बताएंगे कि गर्भावस्था में नमक क्यों जरूरी है? इस दौरान नमक कब नहीं खाना चाहिए? गर्भावस्था में नमक खाने के फायदे क्या हैं?

  1. गर्भावस्था में नमक का सेवन क्यों जरूरी है - Pregnancy me namak ka sevan kyu jaruri hai
  2. गर्भावस्था में नमक की ज्यादा मात्रा लेने के नुकसान - Pregnancy me namak ki jyada matra lene ke nuksaan
  3. नमक की मात्रा रोजाना कितनी लेनी चाहिए - Namak ki kitni matra leni chahiye
  4. गर्भावस्था में कब नहीं खाना चाहिए नमक - Pregnancy me kab namak nahi khana chahiye
  5. गर्भावस्था में काला नमक - Pregnancy me kala namak

गर्भावस्था में नमक के बिना हमारे शरीर का ठीक से काम कर पाना बहुत मुश्किल होता है। यह सोडियम का अच्छा स्रोत है, जो हमारे शरीर के द्रव स्तर और पीएच संतुलन को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। गर्भावस्था में नमक शरीर में द्रव के स्तर को बनाए रखता है जो आपके बच्चे के विकास में मदद करता है। 

गर्भावस्था के दौरान नमक निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:

  • शरीर में नमक की कमी होने के पर नसें, मांसपेशियां और अन्य अंग गर्भावस्था के दौरान ठीक से काम नहीं कर पाएंगे। (और पढ़ें - मांसपेशियों की कमजोरी दूर करने के उपाय)
  • गर्भावस्था में गर्भवती के शरीर में तरल पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है जो भ्रूण के विकास में मदद करता है और इस प्रक्रिया में सोडियम अहम भूमिका निभाता है।
  • नमक में आयोडीन होता है जो भ्रूण के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास के लिए जरूरी होता है।
  • गर्भावस्था के दौरान आयोडीन की कमी से मस्तिष्क का असामान्य विकास, मिसकैरेज और अन्य चिकित्सा संबंधी दिक्क्तों का सामना करना पड़ सकता है।
  • गर्भावस्था में पर्याप्त नमक का सेवन न करने के कारण भ्रूण की मृत्यु की संभावना भी रहती है।
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किसी भी चीज की अति अच्छी नहीं होती और नमक के ज्यादा सेवन में भी यही बात लागू होती है। गर्भावस्था में नमक का ज्यादा सेवन करने के निम्नलिखित दुष्प्रभाव हो सकते हैं:

जैसा की ऊपर बताया गया है कि नमक गर्भावस्था में आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है लेकिन तब जब इसे पर्याप्त मात्रा में लिया जाए, इसका मतलब है कि नमक का सेवन न तो बहुत ज्यादा मात्रा में करना उचित है और न ही कम। गर्भावस्था में सोडियम का सेवन प्रति दिन लगभग 3.8 ग्राम होना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा इसका सेवन 5.8 ग्राम तक किया जा सकता है।

(और पढ़ें - क्या गर्भावस्था में अचार खाना चाहिए)

नमक में सोडियम होता है और बहुत अधिक सोडियम की मात्रा शरीर में अतिरिक्त द्रव प्रतिधारण का कारण बन सकती है, विशेष रूप से तीसरी तिमाही में। गर्भावस्था में सोडियम की जरूरत को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता है। इसलिए नमक का सेवन पूर्णतः बंद नहीं करना चाहिए, लेकिन इसके सेवन में थोड़ी कटौती जरूर की जा सकती है।

(और पढ़ें - क्या गर्भावस्था में करेला खाना चाहिए)

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गर्भावस्था के दौरान काले नमक का सेवन करना चाहिए क्योंकि यह पेट की बीमारियों से निजात दिलाने में असरकारी होता है। गर्भावस्था में काला नमक खाने से सीने में जलन और कब्ज आदि समस्याएं नहीं होती। अगर गर्भवती को उच्च रक्तचाप या कोई अन्य दिक्क्त है तो चिकित्सक की सलाह के बिना गर्भावस्था में काले नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।

(और पढ़ें - पेट खराब होने पर क्या करें)

अगर खाने में नमक न हो तो खाने में कोई स्वाद नहीं आता है। नमक जितना जरूरी होता है उतना ही गुणकारी भी है। गर्भावस्था में नमक का सेवन गर्भवती और विकासशील भ्रूण दोनों के लिए बहुत जरूरी होता है। लेकिन नमक का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से कई गंभीर समस्याएं भी उतपन्न हो सकती हैं इसलिए ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी हो जाता है।

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