एक स्वस्थ और संतुलित आहार गर्भावस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि माता को इस दौरान प्रतिरक्षण प्रणाली और गर्भ को मजबूत रखने के लिए पर्याप्त पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इस समय मां के गर्भाशय में पल रहा शिशु उसी से पोषण ग्रहण करता है। ऐसे में प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन डी के स्रोत के रूप में मछली को आहार में शामिल करने की सलाह दी जाती है।
अगर आप यह सोच कर चिंता में हैं कि मछली के आपकी प्रेगनेंसी पर विपरीत परिणाम पड़ सकता है, तो इस लेख में आपकी ऐसी ही शंकाओं को दूर किया गया है। कुछ गर्भवती महिलाओं को मर्क्युरी की विषाक्तता, साल्मोनेला संक्रमण और एलर्जिक प्रतिक्रियाओं के कारण मछली खाने से मना किया जाता है।
यह समझना जरूरी है कि सभी मछलियों में मर्क्युरी की थोड़ी ही मात्रा मौजूद होती है। फिर भी कुछ मछलियां ऐसी होती हैं, जिनमें मर्क्युरी अधिक पाया जाता है। ऐसे में इन मछलियों को न खाना एक बेहतर उपाय है। इनके अलावा आप अन्य मछलियां खा सकते हैं।
गर्भवती महिलाओं को कच्ची या बिना पकी मछली खाने से बचना चाहिए, ताकि साल्मोनेला संक्रमण और लिस्टेरिओसिस (लिस्टेरिया संक्रमण) को दूर रखा जा सके।
हालांकि, जिन महिलाओं को आमतौर पर मछली से एलर्जी होती है, विशेषकर शेलफिश के प्रकार जैसे केकड़ा और लॉबस्टर को भी गर्भावस्था के दौरान नहीं खाना चाहिए।