करेला एक ऐसी सब्जी है जिसका नाम सुनते ही मुंह का स्वाद कड़वा हो जाता है लेकिन करेला जितना कड़वा होता है उतना ही गुणकारी भी होता है। कुछ लोग करेला खाना पसंद करते हैं और कुछ लोग इसे दवा के तौर पर खाते हैं। यह सब्जी पोषण से जुड़े कई गुणों के लिए जानी जाती है, इसी वजह से वो लोग भी करेला खाते हैं जो इसे खाना पसंद नहीं करते हैं। करेले का इस्तेमाल पूरे दक्षिण-पूर्वी एशिया में एक प्राकृतिक औषधि के रूप में किया जाता है।

आज इस लेख के जरिए जानेंगे कि गर्भावस्था में करेला खाना कितना फायदेमंद है? गर्भावस्था में करेला खाना चाहिए या नहीं? गर्भावस्था में बहुत कुछ खाने की इच्छा होती है लेकिन जाहिर सी बात है कि करेले के कड़वे स्वाद के कारण कोई गर्भवती महिला करेले का सेवन तो नहीं करना चाहेगी चूंकि करेला अपने औषधीय गुणों के कारण जाना जाता है इसलिए  इसे गर्भावस्था में भी खाना चाहिए। यह गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए लाभकारी है।

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  1. गर्भावस्था में करेले खाने के फायदे - Pregnancy mein karela khane ke labh
  2. गर्भावस्था में करेले खाने के नुकसान - Pregnancy mein karela khane ke nuksan
  3. गर्भावस्था में करेले को कैसे और कितना खाएं - Pregnancy mein karela ko kaise aur kitna khaye
  4. गर्भावस्था में करेला खाने की सावधानियां - Pregnancy mein karela khane ki savdhaniya

गर्भावस्था में करेले का सेवन करने के निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं:

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गर्भावस्था में करेले खाने के निम्नलिखित नुकसान हो सकते हैं:

  • करेले का सेवन करने से महिलाओं को समय से पूर्व प्रसव भी हो सकता है।
  • करेले का अति सेवन पेट से संबंधित परेशानियों का कारण बन सकता है। करेले से दस्त, पेट में ऐंठन और पेट की अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
  • करेले के बीज में पाया जाने वाला विषाक्त पदार्थ गर्भ में पल रहे शिशु के लिए हानिकारक होता है।
  • करेला में रेजिन, कुनैन, सैपोनिक ग्लाइकोसाइड और मोरोडिसिन पाए जाते हैं जो मानव शरीर में जहर फैलाते हैं जिससे गर्भवती महिलाओं में पेट दर्द, मितली और आंखो में कमजोरी, उल्टी, चेहरे पर लालिमा, दस्त, अत्यधिक लार और मांसपेशियों की कमजोरी हो सकती है।

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जिन गर्भवती महिलाओं ने गर्भावस्था से पूर्व करेले का सेवन नहीं किया है तो उन्हें गर्भावस्था के बाद करेले का सेवन शुरू करने की जरूरत नहीं क्योंकि अगर किसी महिला ने गर्भावस्था के पूर्व करेले का सेवन नहीं किया है तो उसे यह जानकारी नहीं होगी की करेले के सेवन से उसके शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है।

इसके अलावा आमतौर पर करेले का सेवन अधिक नहीं करना चाहिए। करेले को करी या सलाद के रूप में प्रति दिन एक कप खा सकते हैं। मान लीजिए अगर आपके पास अधिकतम दो कप करेले हैं तो उसे इक्क्ठे नहीं खाना चाहिए एक दोपहर के खाने के समय खाना चाहिए तो दूसरा रात के खाने के समय ले सकते हैं। करेले को भरवां सब्जी या फिर भुजिया सब्जी के तौर पर दाल आदि के साथ भी खा सकते हैं। करेला खाने का सबसे अच्छा समय गर्भावस्था का दूसरा भाग है, क्योंकि गर्भावस्था के दुसरे भाग में गर्भपात का खतरा नहीं होता।

गर्भावस्था में करेला खाने में निम्नलिखित सावधानियां रखें:

  • करेले को बाजार से खरीदते वक्त यह बात ध्यान रखा जाना चाहिए की वो सामान्य से अधिक हरे न हो ऐसी सब्जियों में रंगो का इस्तेमाल भी हो सकता है।
  • बाजार से ताजी और हरी सब्जियां ही लानी चाहिए।
  • सब्जियों की खेती में तो कीटनाशक आदि का इस्तेमाल होता ही है इसलिए सब्जियों को अच्छी तरह धोकर ही उनका सेवन करना चाहिए।

देखा जाए तो करेला अत्यधिक गुणकारी है और इसे गर्भावस्था में भी खाया जा सकता है लेकिन किसी भी खाद्य पदार्थ का अति सेवन हानिकारक हो सकता है। चिकित्सकीय सलाह लिए बिना करेले को किसी भी गर्भवती महिला के आहार का हिस्सा नहीं बनाना चाहिए। गर्भावस्था एक ऐसा समय होता है जहां जरा सी भी चूक बहुत नुकसानदेह सिद्ध हो सकती है।

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