महिला के गर्भधारण करने के बाद गर्भाशय में एक तरल पदार्थ का निर्माण होना शुरू होता है. इसे एमनियोटिक फ्लूड कहा जाता है. शिशु के स्वास्थ्य व उसके विकास के लिए इस एमनियोटिक फ्लूड का सही मात्रा में होना जरूरी है. इसके कम या ज्यादा होने से शिशु को कई तरह की समस्या हो सकती हैं. इसके लिए डॉक्टर से रेगुलर चेकअप कराते रहना जरूरी, ताकि कुछ परेशानी होने पर समय पर पता लग सकें.

आज इस लेख में आप जानेंगे कि एमनियोटिक फ्लूड कितना होना चाहिए और इसके कम या ज्यादा होने से क्या होता है -

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  1. एमनियोटिक फ्लूड क्या है?
  2. एमनियोटिक फ्लूड कितना होना चाहिए
  3. एमनियोटिक फ्लूड की कमी
  4. एमनियोटिक फ्लूड के कम होने का कारण
  5. एमनियोटिक फ्लूड की कमी के लक्षण
  6. एमनियोटिक फ्लूड बढ़ाने के उपाय
  7. एमनियोटिक फ्लूड का अधिक होना
  8. एमनियोटिक फ्लूड के अधिक होने का कारण
  9. एमनियोटिक फ्लूड के अधिक होने के लक्षण
  10. सारांश
जानिए एमनीओटिक फ्लूइड क्या है व इसका महत्व के डॉक्टर

यूट्रस में शिशु एक लिक्विड से भरे सैक में सुरक्षित रहता है. इसके अंदर जो लिक्विड भरा होता है उसे एमनियोटिक फ्लूड कहा जाता हैं. एमनियोटिक फ्लूड को आम भाषा में गर्भ के पानी के नाम से भी जाना जाता है. आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं -

  • यह क्लियर या हल्के पीले रंग का एक पतला लिक्विड होता है, जो प्रेगनेंसी के शुरू के 12 दिन में एमनियोटिक थैली में बनने लगता है. एमनियोटिक फ्लूड इलेक्ट्रोलाइट्स, पानी, प्रोटीनकार्बोहाइड्रेट, लिपिड, मिनरल, यूरिया व एम्ब्रयो सेल से बना होता है. इस प्रकार कह सकते हैं कि यह लिक्विड पोषक तत्वों का मिक्सचर होता है.
  • एमनियोटिक फ्लूड यूट्रस के अंदर बच्चे को सुरक्षित रखने का काम करता है. यूट्रस के अंदर लगने वाले धक्के व प्रेशर से उसे बचाता है.
  • यह शिशु को यूट्रस के अंदर चलने, शरीर के ऑर्गन को नार्मल रूप से विकसित करने और बच्चे के तापमान को कंट्रोल रखने में मदद करता है. प्रेगनेंसी का समय बढ़ने के साथ ही एमनियोटिक फ्लूड बढ़ने लगता है.

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फ्लूइड का कम या बहुत ज्यादा होना दोनों ही स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती है, क्योंकि इससे शिशु का विकास सही तरीके से नहीं होता है. इसलिए, एमनियोटिक फ्लूड का सही मात्रा में होना जरूरी है.

एमनियोटिक फ्लूड की मात्रा का सही अनुमान एमनियोटिक फ्लूड इंडेक्स (Amniotic Fluid Index) के जरिए लगाया जाता है. जब प्रेगनेंसी कम से कम 24 सप्ताह की हो जाती है, तब एमनियोटिक फ्लूड की मात्रा का सही-सही पता लगाया जा सकता है. इस इंडेक्स से प्रेगनेंसी के समय शिशु के विकास का पता लगाया जा सकता हैं. पर्याप्त एमनियोटिक फ्लूड की मात्रा 5 से 25 cm के बीच मानी गई है.

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यूट्रस में एमनियोटिक फ्लूड की कमी होने को ओलिगोहाइड्रेमनियोस (Oligohydramnios) कहा जाता है. इस अवस्था में भ्रूण के आसपास फ्लूड कम हो जाता है. वैसे तो ओलिगोहाइड्रेमनियोस की समस्या किसी भी महीने में हो सकती है, लेकिन प्रेगनेंसी के पहले 6 महीनों के दौरान यह अधिक चिंताजनक समस्या है.

एमनियोटिक फ्लूड बच्चे के विकास, उसे मसल्स, लंग्स व डाइजेस्टिव सिस्टम के विकास में मदद करता है. इसकी कमी से बच्चे का जन्म जल्दी होनामिसकैरेज व जन्म लेते ही शिशु की मृत्यु जैसे जोखिम बढ़ जाते हैं. इसके अलावा, शिशु को कई बीमारियां लग सकती हैं, जैसे - हाई ब्लड प्रेशर व डायबिटीज आदि.

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प्रेगनेंसी में एमनियोटिक फ्लूड कम होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं -

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गर्भावस्था में एमनियोटिक फ्लूड की कमी के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं -

  • यूट्रस का आकार सामान्य से छोटा होना.
  • पेट की परेशानी होना.
  • बच्चे की हलचल में कमी होना.
  • यूट्रस कांट्रेक्शन होना.
  • वजन बढ़ना.
  • शिशु की धड़कन अचानक से कम हो जाना.
  • गर्भवती महिला के वजाइना से फ्लूड लीक होना. 

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प्रेगनेंसी के दौरान एमनियोटिक फ्लूड का लेवल कम होने पर शिशु का सही तरीके से विकास नहीं हो पाता. ऐसे में कुछ बातों का विशेष ध्यान रख कर फ्लूड का लेवल बढ़ा सकते हैं -

  • एमनियोटिक फ्लूड का स्तर अधिक पानी पीकर बढ़ा सकते हैं.
  • संतुलित डाइट के साथ डॉक्टर द्वारा बताई दवाइयों का सेवन समय पर करना चाहिए.
  • एल-आर्जिनिन जैसे सप्लीमेंट एमनियोटिक फ्लूड के स्तर को बढ़ाकर मदद कर सकते हैं, लेकिन इनका प्रयोग डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए.
  • कुछ मामलों में डॉक्टर एमनियोटिक फ्लूड के कम स्तर का इलाज करने के लिए एमनियोइनफ्यूजन नामक मेडिकल प्रोसेस अपनाते हैं, जिसमें एक सॉल्टी लिक्विड एमनीओटिक सैक में भरा जाता है. यह एमनियोटिक फ्लूड की कमी को पूरा करता है.

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प्रेगनेंसी में एमनियोटिक फ्लूड की अधिकता पॉलिहाइड्रेमनियोस (Polyhydramnios) कहलाती है. इससे शिशु के आसपास एमनियोटिक फ्लूड की अधिक मात्रा हो जाती है. ऐसे में शरीर के हिस्सों में फ्लूड का भरना, वजन बढ़ना व सांस लेने में दिक्कत जैसी परेशानियां हो सकती हैं.

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प्रेगनेंसी में एमनियोटिक फ्लूड की अधिकता के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं -

  • मां का खून Rh-नेगेटिव और बच्चे का खून Rh-पॉजिटिव होना.
  • यूट्रस के अंदर शिशु के पेट में कोई समस्या होना.
  • मां को डायबिटीज होना.
  • बच्चे के सेंट्रल नर्वस सिस्टम या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में डिफेक्ट होना.
  • शिशु में रेड ब्लड सेल्स की कमी होना.
  • यूट्रस में बच्चे की निगलने की क्षमता कम होना.
  • प्रेगनेंसी के समय मां को किसी तरह का इंफेक्शन होना.

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गर्भावस्था में एमनियोटिक फ्लूड ज्यादा होने के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं -

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मां के गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिए एमनियोटिक फ्लूड महत्वपूर्ण होता है. इसकी मात्रा से ही प्रेगनेंसी और डिलीवरी कैसी होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता जाता है. यदि प्रेगनेंसी के अंतिम महीनों में एमनियोटिक फ्लूड कम होता है, तो शिशु को किसी भी तरह की एमनियोटिक फ्लूड से पैदा होने वाली स्वास्थ्य समस्या से बचाने के लिए डॉक्टर जल्दी से जल्दी सिजेरियन डिलीवरी कराने की सलाह देते हैं.

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