आपके बच्चे के लिए स्तनपान बहुत जरूरी होता है। यदि आप अपने बच्चे को स्तनपान करवा रही हैं तो आपको यह जानना बहुत जरूरी है कि आपको किस तरह के आहार का सेवन करना चाहिए और अपने बच्चे को कैसे पकड़ना चाहिए जिससे आपके बच्चे को एक स्मूथ अनुभव मिल सके। यह ऐसा समय होता है जब अनजाने कुछ ऐसी चीज़ें को कर लेती हैं जो आपके स्तनपान को प्रभावित कर सकती हैं। स्तनपान के समय दूध की कमी चिंता का विषय होता है क्योंकि दूध की कमी के कारण आपके बच्चे को सम्पूर्ण पोषण नहीं मिल पता है। तो चलिए जानते हैं स्तनपान के समय किन चीजों को करने से आपको बचना चाहिए -

  1. दूध कम होने का कारण है गर्भनिरोधक गोलियां - Birth control pills dry up breast milk in hindi
  2. दूध कम निकलने का कारण है दवाइयां - Over the counter medications to dry up breast milk in hindi
  3. दूध कम में कमी होती है कम दूध पिलाने से - How much time breastfeeding to baby in hindi
  4. मां का दूध कम होने का कारण है पाकिफिएर का उपयोग - Should you give a breastfed baby a pacifier in hindi
  5. मां के दूध में कमी का कारण है बच्चे को रात में अधिक दूध पिलाना - How many times to breastfeed at night in hindi
  6. स्तन का दूध कम होने का कारण है तनाव - Stress affect breast milk production in hindi
  7. ब्रैस्ट मिल्क में कमी होती है बीमारियों के कारण - Diabetes effect on breast milk in hindi
  8. स्तन के दूध में कमी होती है जड़ी - बूटियों से
  9. मां का दूध घटने का कारण है मादक पदार्थ - Alcohol, smoking and caffeine reduces breast milk in hindi

हालांकि स्तनपान के समय गर्भधारण की संभावना कम होती है लेकिन या मानना गलत होगा। इसलिए यदि आप जन्म नियंत्रण की गोलियां लेना चाहते हैं तो ये गोलियां कुछ हद तक स्तनपान को प्रभावित कर सकती हैं। कुछ गर्भनिरोधक गोलियां एस्ट्रोजन ओन्ली पिल्स (estrogen only pills) होती हैं और इन गोलियां के सेवन से दूध की आपूर्ति में कमी आ सकती है। इसलिए गर्भनिरोधक के अन्य तरीकों को अपनाना आपके लिए अच्छा होगा।

 

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याद रखें यदि गर्भावस्था के दौरान आपकी इम्युनिटी कम होती है तो बच्चे को जन्म देने के बाद भी आपकी इम्युनिटी बेहतर नहीं होती है। जिसके कारण मौसमी सर्दी और फ्लू की समस्या नई माताओं में एक आम बात है। पर सर्दी और खाँसी का इलाज करने के लिए अपने आप केमिस्ट से दवाइयां लेकर सेवन करने से स्तनपान में समस्या हो सकती है। बिना डॉक्टर की सलाह के ली गई दवाओं के सेवन से आपके स्तन के दूध में कमी आ सकती है जिससे आपके बच्चे को कम दूध मिलेगा और उनके विकास में बाधा उत्पन्न होगी। इसलिए स्तनपान करवाते समय किसी भी प्रकार की बीमारी के लिए डॉक्टर से परामर्श करें।

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अधिकांश स्तनपान विशेषज्ञों का मानना है कि जितना अधिक आप अपने बच्चे को दूध पिलाते है आपके स्तनों से उतना अधिक दूध का उत्पादन होता है। लेकिन कुछ माताएं अपने बच्चे को हर दो या तीन घंटे पर दूध पिलाती हैं, जो की काम है। यह आपके स्तन के दूध को कम कर सकता है। क्योंकि जब तक बच्चे के दूध पीने से आपका स्तन खाली नहीं हो जाए तब तक यह दुबारा नहीं भरता है और अधिक समय तक ऐसा होने से आपकी दूध ग्रंथि से दूध का उत्पादन कम होने लगता है। इसलिए स्तन के दूध के उचित उत्पादन के लिए कम से कम 10 से 12 बार अपने बच्चे को दूध पिलाए।

अक्सर माताएं अपने बच्चे के दूध पिलाने का समय याद नहीं रखती है और जब वो रोते हैं तो उन्हें चुप कराने के लिए पाकिफिएर का इस्तेमाल करने लगती हैं। इससे भी स्तन के दूध में कमी आ सकती है क्योंकि बच्चा एक पाकिफिएर और माता के स्तन में कंफ्यूज हो जाता है। अगर पाकिफिएर का इस्तेमाल ज़्यादा किया जाए तो बच्चा माँ के स्तन से दूध काम पीता है जिससे माँ के दूध की खपत काम हो जाती है। इसका परिणाम यह होता है कि आपके दूध उत्पादन में कमी आ जायेगी और आपके बच्चे को पूरी तरह दूध नहीं मिल पाएगा।

ज्यादातर भारतीय माँ अपने बच्चे को अच्छी नींद देने के लिए रात में बार बार दूध पिलाती रहती हैँ। दो बार दूध पिलाने के बीच में आपके स्तन में कितना दूध स्टोर होता है उसकी एक सीमा होती है। यदि आप अपने बच्चे को रात में बहुत अधिक समय तक दूध पिलाएंगी तो आपका दूध उत्पादन घट जाएगा। इसके अलावा प्रोलैक्टिन स्तन के दूध के उत्पादन से जुड़ा होता है जो रात में अधिक स्रावित होता है। इसलिए दूध का अधिक उत्पादन रात में होता है, पर इसके लिए स्तनपान कराना आवश्यक। तो अपने बच्चे को दो से तीन बार रात में दूध अवश्य पिलाएं पर उससे बहुत ज़्यादा नहीं।

स्तनपान करवाना एक मां के लिए सुखदायक होता है और शांति प्रदान करता है। लेकिन प्रसव के बाद अक्सर महिलाओं के लिए एक चुनौती होता है - उन्हें तनाव और अवसाद हो सकता है जिसके कारण कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है। कोर्टिसोल एक तनाव हार्मोन है जो नई मां के लिए अच्छा नहीं होता है। इसके कारण स्तन का दूध भी कम हो जाता है। इसलिए अपने बच्चे को उचित पोषण देने करने के लिए शांत रहें और तनाव से बचें।

कई महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मधुमेह, थायराइड, हाई बीपी आदि स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं। यदि आपको गर्भावस्था के दौरान इस प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हुई हैं तो बच्चे को जन्म देने के बाद बिना चिकित्सा सहायता के इनका इलाज करना मुश्किल होगा। तो बेहतर यही होगा की आप अपने स्वास्थ्य की देखभाल करें ताकि आप प्रसव के बाद भी स्वस्थ हों और आपके स्तन के दूध में कमी न हो।

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साल्विया, पुदीना और अन्य प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां जो आप स्वास्थ्य कारणों के लिए शायद लेती हों, यह आपके दूध उत्पादन में कमी ला सकती हैं। इसलिए अगर आप स्तनपान करवा रहीं हैं या निकट भविष्य में करवाने वाली हैं, तो इन प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।

आपको धूम्रपान की आदत कुछ देर के लिए आपको सुख तो देती है लेकिन यह आपके स्तनपान रूटीन के लिए हानिकारक होती है। कैफीन, शराब और तम्बाकू आपके दूध के उत्पादन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं और आपके बच्चे को पर्याप्त मात्रा में दूध की आपूर्ति से वंचित रखते हैं।

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