कब्ज की समस्या महिलाओं को अक्सर डिलीवरी के बाद परेशान करती है। महिलाओं में डिलीवरी के बाद होने वाली समस्याओं में इस समस्या को बेहद ही आम माना जाता है। भारत में भी डिलीवरी के बाद तकरीबन आधे से ज्यादा महिलाओं को इस समस्या का सामना करना पड़ता है। इस समस्या से बचने के लिए महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान ही कई तरह उपाय बताए जाते हैं, ताकि डिलीवरी के बाद कब्ज से बच सकें। आपको बता दें कि कुछ उपायों को आजमाने से डिलीवरी के बाद कब्ज की समस्या को चंद दिनों में ठीक किया जा सकता है।

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  1. क्या डिलीवरी के बाद कब्ज गंभीर समस्या है? - Is Constipation after childbirth a serious problem in Hindi
  2. डिलीवरी के बाद कब्ज के कारण - causes of postpartum constipation in Hindi
  3. डिलीवरी के बाद कब्ज का इलाज - Treatment for postpartum constipation in Hindi
  4. सारांश

डिलीवरी के बाद होने वाली कब्ज की समस्या आमतौर पर गंभीर नहीं होती है, लेकिन कई बार यह अन्य बीमारियों की ओर इशारा करती है। अगर महिलाओं को मल त्यागने में परेशानी हो या उनके मल में खून या आंव आने लगे, तो ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। इसके अलावा यदि आपको पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस हो, तो भी आपको तुरंत चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए। साथ ही साथ भोजन के पचने व बाहर आने की प्रक्रिया में कठिनाई हो रही हो या आप सख्त मल का त्याग कर रहीं हों, तो यह स्थिति आगे चलकर बवासीर रोग बन सकती है। डिलीवरी के बाद कब्ज होने से बवासीर की समस्या का भी खतरा बना रहता है। इस दौरान होने वाला बवासीर का रोग आपको परेशान कर सकता है, लेकिन यह किसी गंभीर रोग की ओर इशारा नहीं करता है। डिलीवरी के बाद यदि आपको कब्ज की समस्या हो तो आप घबराएं नहीं, ऐसे में आप अपने डॉक्टर से मिलकर इस समस्या पर बात करें।

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यहाँ बताया गया है कि महिलाओं में डिलीवरी के बाद कब्ज क्यों होती है -

1. मनोवैज्ञानिक कारण

  • सी-सेक्शन (सिजेरियन डिलीवरी) के बाद पेट के निचले हिस्से में लगने वाले टांके व बच्चे के जन्म के समय होने वाले ऑपरेशन के दौरान योनि पर लगने वाले टांकों पर अतिरिक्त दबाव न पड़े, इस डर से भी महिलाओं को कब्ज की समस्या रहने लगती है। महिलाएं अपने मन में धारणा बना लेती हैं कि यदि वह मल त्यागते समय पेट पर दबाव बनाएंगी, तो इससे उनको टांके वाले हिस्से में दर्द होगा और उनकी यही सोच बवासीर या कब्ज होने की वजह बनती है। (और पढ़ें - प्रसव के बाद टांके
  • हाल ही में मां बनने वाली अधिकतर महिलाएं अस्पताल के शौचालयों का इस्तेमाल करना पसंद नहीं करती हैं। ऐसा महिलाएं अस्पताल के शौचालयों में होने वाली गंदगी के कारण करती हैं। शौचालय का इस्तेमाल न करने से उनका मल आंतों में ही रह जाता है और जिससे धीरे-धीरे यह कब्ज की समस्या बन जाती है। (और पढ़ें - प्रसव के बाद वजन कम कैसे करें)
  • प्रसव के समय होने वाली चिंता भी महिलाओं में कब्ज की समस्या का कारण बनती है। चिंता करने के कारण महिलाओं को मल त्यागने में समस्या होती है। (और पढ़ें - डिलीवरी के बाद डिप्रेशन)

2. अन्य कारण

  • हार्मोन्स – मां के शरीर में होने वाले हार्मोन व प्रोजेस्टेरोन के अंसतुलित स्तर के कारण भी डिलीवरी के बाद कब्ज की समस्या होने लगती है।
  • दवाएं – प्रसव व सी-सेक्शन के दर्द को दूर करने के लिए जिन दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, उनके कारण महिलाओं में कब्ज की परेशानी शुरू हो जाती है। (और पढ़ें - प्रेग्नेंसी में होने वाली समस्याएं)
  • प्रसव पूर्व दस्त होना – प्रसव से पूर्व व प्रसव के समय होने वाले दस्त के कारण भी डिलीवरी के बाद महिलाओं में कब्ज की समस्या देखी जाती है। (और पढ़ें - प्रेग्नेंसी में दस्त)
  • ऑपरेशन में इस्तेमाल तकनीक के कारण – बच्चे के जन्म के समय होने वाले ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाली तकनीक के चलते भी इस तरह की समस्या हो जाती है, क्योंकि कई बार ऑपरेशन में डॉक्टर इस तरह के औजारों का इस्तेमाल करते हैं जिसको महिलाओं के गुदा (एनल) के हिस्से में डाला जाता है। इस तरह की तकनीक से मल को त्यागने वाली प्रक्रिया प्रभावित होती है और यह प्रक्रिया सामान्य स्थिति में आने में समय लगता है। 
  • प्रसव पूर्व विटामिन लेने से (Prenatal vitamins; प्रीनेटल विटामिन्स) – महिलाओं के शरीर में दूध बनाने की प्रक्रिया के लिए प्रसव पूर्व जिन विटामिन्स का सेवन किया जाता है, उन प्रीनेटल विटामिन्स के कारण डिलीवरी के बाद कब्ज की समस्या हो जाती है।

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बच्चे के जन्म के बाद 

  1. फाइबर युक्त आहार का सेवन – उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से डिलीवरी के बाद होने वाले कब्ज की समस्या को सही किया जा सकता है, क्योंकि फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों से मल त्यागने की प्रक्रिया दुरूस्त रहती है। इसके लिए महिलाओं को अपने आहार में सबूत अनाज, रोटी, सेम, ब्राउन राइस, ताजा फलहरी सब्जियों को शामिल करना होगा। इसके साथ ही साथ कुछ अन्य खाद्य पदार्थ जैसे - फलियां, राजमा, छोले, मसूर दालसोयाबीन भी मल को त्यागने की प्रक्रिया को ठीक कर कब्ज की समस्या को दूर करते हैं। पेट में बनने वाली गैस को कम करने के लिए भी इन खाद्य पदार्थों का सेवन किया जाता है। (और पढ़ें - प्रेग्नेंसी में क्या खाएं और क्या न खाएं)
  2. प्रचुर मात्रा में पानी पीएं – पानी को भरपूर मात्रा में पीने से पेट के अंदर मल सूखता नहीं है और यह आसानी से शरीर से बाहर आ जाता है। डिलीवरी के बाद अस्तपाल में रहने वाली महिलाओं को ऐसी समस्या इसलिए होती है, क्योंकि अस्पताल का वातावरण शुष्क होता है और ऐसे में उनके शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इसके अलावा स्तनपान कराने के दौरान भी महिलाओं के शरीर में पानी की कमी हो जाती है। जिसके कारण आपके शरीर को पानी की अधिक आवश्यकता होती है। ऐसा होने पर महिलाओं को रोजाना 6 से 8 गिलास पानी पीना चाहिए। इसके साथ ही साथ महिलाओं को सोने से पहले व सुबह उठने के बाद हल्के गर्म पानी को पीना चाहिए। (और पढ़ें - डिलीवरी के बाद रक्तस्त्राव)
  3. सूखे मेवे – डिलीवरी के बाद होने वाली कब्ज को दूर करने के लिए आप कुछ सूखे मेवों का सेवन कर सकती हैं। इसके लिए आप अंजीर, सूखी खुबानी व मेवों का सेवन करें, ओमेगा-3 के गुणों से भरपूर इन मेवों में कब्ज को दूर करने के क्षमता होती है। (और पढ़ें - डिलीवरी के बाद पीठ व कमर दर्द)
  4. सैर पर जाएं – सैर पर जाने से आपके शरीर के अंगों में सक्रियता आती है और इससे आपको पेट से संबंधित कोई भी रोग परेशान नहीं करता है। सर्जरी से हुए बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं को सैर पर जानें या चलने-फिरने में मुश्किल हो सकती है, लेकिन कुछ समय के बाद आप जब भी सैर की शुरूआत करें, तो धीरे-धीरे कदमों से टहलें। एक बार पूरी तरह से स्वस्थ होने पर आप नियमित सैर पर जा सकती हैं। एक जगह पर अधिक देर तक बैठने या लेटे रहने से आपकी कब्ज की समस्या बढ़ सकती है, इसलिए सुबह-शान सैर पर जाना बेहद जरूरी है। (और पढ़ें - सुबह की सैर के फायदे)
  5. मल त्यागने वाली दवाएं – मल को आसानी से त्यागने के लिए आप दवाओं को इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकती हैं। डिलीवरी के बाद जब महिलाएं कब्ज की शिकार हो जाती है, तब इस तरह की दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। इसको स्टूल सोफ्टनर्स (Stool Softeners) भी कहा जाता है। आयरन व दर्द की गोलियों के लेते समय भी आप इसका इस्तेमाल कर सकती हैं। (और पढ़ें - डिलीवरी के बाद एक्सरसाइज)
  6. स्तनपान कराना - स्तनपान कराना भी महिलाओं को कब्ज से दूर करता है। स्तनपान कराते समय जब बच्चा स्तनों से दूध पीता है, तब आपके गर्भाशय में उत्तेजना होती है, जिससे आपके मल त्यागने में आ रही समस्या या कब्ज दूर हो जाती है। (और पढ़ें - स्तनपान से जुड़ी समस्याएं व समाधान)
  7. प्रोसेस्ड आहारों से बचें - डिलीवरी के बाद कब्ज होने की स्थिति से परेशान महिलाओं को सेफद ब्रेड, बाजार के कोई भी चिप्स, कच्चा केला, चॉकलेट, फास्ट फूड व बर्गर आदि से दूरी बनानी चाहिए। इसके साथ ही साथ आपको उच्च शुगर व फैट, जैसे- चीज (Cheese), आइसक्रीम व दूध से बने खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह आहार कब्ज को बढ़ावा देते है। (और पढ़ें - डिलीवरी के बाद के पहले 40 दिन)
  8. मल त्यागने की इच्छा होने पर तुरंत शौचालय जाएं – जब आपके शरीर से मल बाहर आने वाला हो तो उसको अनावश्यक रोके नहीं। इसको बाहर न आने देने से यह आपके शरीर के अंदर लंबे समय तक रहकर सख्त हो जाता है और इससे बाद मल को त्यागते समय आपको परेशानी होती है। मल को अधिक समय तक पेट में रखने से डिलीवरी के समय ऑपरेशन से पेट में लगे टांकों पर भी जोर पड़ता है। इस कारण जब भी आपको शौचालय जाने की इच्छा हो, उसी समय मल का त्याग करें। (और पढ़ें - डिलीवरी के बाद त्वचा व बालों की देखभाल
  9. मुनक्के का सेवन करें -  मुनक्के का जूस या मुनक्का खाने से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है। यह आपके मल त्यागने की प्रक्रिया को सरल करता है। इसको सदियों से दादी व नानी के नुस्खों में शामिल किया जाता है। (और पढ़ें - डिलीवरी के बाद की समस्याएं व समाधान)
  10. दस्त के लिए दवा – जब आपको तीन दिनों तक इस समस्या से राहत न मिलें, तो आप तुरंत डॉक्टर के पास जाकर अपनी समस्या को बताएं। वह आपकी स्थिति के आधार पर आपको दस्त के लिए दवाओं का सुझाव दे सकते हैं। यह दवाएं आपको कुछ समय के लिए राहत प्रदान कर सकती है, लेकिन इस उपाय से कई बार पेट में ऐठन भी हो जाती है।

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सावधानी - दस्त की गोलियों को स्वयं न लें। इसको लेने से पहले आपको किसी डॉक्टर से अवश्य सलाह लेनी चाहिए। इसको लेने से पूर्व आपके स्तनपान कराने की स्थिति व आपके द्वारा ली जानें वाली अन्य दवाओं के बारे में डॉक्टर को पूरी जानकारी होना जरूरी है।

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डिलीवरी के बाद कब्ज एक सामान्य समस्या है, जो अक्सर शरीर में हार्मोनल बदलाव, पेट की मांसपेशियों में कमजोरी, और कम शारीरिक गतिविधि के कारण होती है। इसके अलावा, प्रसव के दौरान हुई चिकित्सा प्रक्रियाएं या दर्द निवारक दवाएं भी कब्ज का कारण बन सकती हैं। कब्ज से बचने के लिए पर्याप्त फाइबर का सेवन, भरपूर पानी पीना, और धीरे-धीरे शारीरिक गतिविधि बढ़ाना सहायक हो सकता है। अगर समस्या बनी रहती है या गंभीर होती है, तो डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

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