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Sewa Sarvahita Churna बिना डॉक्टर के पर्चे द्वारा मिलने वाली आयुर्वेदिक दवा है, जो मुख्यतः शुगर, कमजोर इम्यूनिटी और पाचन तंत्र के रोग के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसके मुख्य घटक हैं आम, दारुहल्दी, अर्जुन, मंजिष्ठा, नागकेसर, पाथा, जामुन, सेमल, पाशनभेदा और किशमिश जिनकी प्रकृति और गुणों के बारे में नीचे बताया गया है। इसकी उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है। यह जानकारी विस्तार से खुराक वाले भाग में दी गई है।
आम |
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दारुहल्दी |
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अर्जुन |
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मंजिष्ठा |
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नागकेसर |
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पाथा |
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जामुन |
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सेमल |
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पाशनभेदा |
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किशमिश |
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Sewa Sarvahita Churna इन बिमारियों के इलाज में काम आती है -
मुख्य लाभ
यह अधिकतर मामलों में दी जाने वाली Sewa Sarvahita Churna की खुराक है। कृपया याद रखें कि हर रोगी और उनका मामला अलग हो सकता है। इसलिए रोग, दवाई देने के तरीके, रोगी की आयु, रोगी का चिकित्सा इतिहास और अन्य कारकों के आधार पर Sewa Sarvahita Churna की खुराक अलग हो सकती है।
आयु वर्ग | खुराक |
व्यस्क |
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चिकित्सा साहित्य में Sewa Sarvahita Churna के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि, Sewa Sarvahita Churna का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें।
क्या Sewa Sarvahita Churna का उपयोग गर्भवती महिला के लिए ठीक है?
प्रेग्नेंट महिला पर Sewa Sarvahita Churna के अच्छे या बुरे प्रभाव के बारे में चिकित्सा जगत में कोई रिसर्च न हो पाने के चलते पूरी जानकारी मौजूद नहीं हैं। इसको जब भी लें डॉक्टर से पूछने के बाद ही लें।
क्या Sewa Sarvahita Churna का उपयोग स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए ठीक है?
Sewa Sarvahita Churna का स्तनपान कराने वाली औरतों के शरीर पर किस तरह का प्रभाव होगा रिसर्च न हो पाने की वजह से कुछ कहा नहीं जा सकता है। इसलिए दवा लेने से पूर्व डॉक्टर से मिलें।
Sewa Sarvahita Churna का पेट पर क्या असर होता है?
पेट के लिए Sewa Sarvahita Churna हानिकारक नहीं है।
क्या Sewa Sarvahita Churna का उपयोग बच्चों के लिए ठीक है?
बच्चों पर Sewa Sarvahita Churna का क्या असर होगा इस बारे में जानकारी मौजूद नहीं है, क्योंकि इस विषय में अब तक कोई रिसर्च नहीं हुई है।
क्या Sewa Sarvahita Churna का उपयोग शराब का सेवन करने वालों के लिए सही है
रिसर्च न होने के कारण Sewa Sarvahita Churna के नुकसान के विषय में पूर्ण जानकारी मौजूद नहीं है। अतः डॉक्टर की सलाह पर ही इसको लें।
क्या Sewa Sarvahita Churna शरीर को सुस्त तो नहीं कर देती है?
Sewa Sarvahita Churna के सेवन के बाद चक्कर आना या झपकी आना जैसी दिक्कतें नहीं होती हैं। इसलिए आप वाहन चला सकते हैं या मशीनरी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
क्या Sewa Sarvahita Churna का उपयोग करने से आदत तो नहीं लग जाती है?
नहीं, Sewa Sarvahita Churna लेने से कोई लत नहीं पड़ती। फिर भी, जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह पर ही Sewa Sarvahita Churna का इस्तेमाल करें।
आप Sewa Sarvahita Churna को निम्नलिखित के साथ ले सकते है:
क्या Sewa Sarvahita Churna को दूध के साथ ले सकते है?
Sewa Sarvahita Churna को दूध के साथ भी लिया जा सकता है।
क्या Sewa Sarvahita Churna को शहद के साथ ले सकते है?
हां, शहद के साथ Sewa Sarvahita Churna का उपयोग करना सुरक्षित है।
क्या Sewa Sarvahita Churna को गुनगुना पानी के साथ ले सकते है?
Sewa Sarvahita Churna लेने के लिए आप गुनगुने पानी का उपयोग कर सकते हैं; यह बिल्कुल सुरक्षित है।
इस जानकारी के लेखक है -
BAMS, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डर्माटोलॉजी, मनोचिकित्सा, आयुर्वेद, सेक्सोलोजी, मधुमेह चिकित्सक
10 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume- II. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1999: Page No 34-36
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume- II. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1999: Page No 17-18
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 2. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1999: Page No - 125 - 126
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 2. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1999: Page No 57 - 60
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 1. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1986: Page No 120-121