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Himalaya Bonnisan Drops बिना डॉक्टर के पर्चे द्वारा मिलने वाली आयुर्वेदिक दवा है, जो मुख्यतः उदरशूल के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा Himalaya Bonnisan Drops का उपयोग कुछ दूसरी समस्याओं के लिए भी किया जा सकता है। इनके बारे में नीचे विस्तार से जानकारी दी गयी है। Himalaya Bonnisan Drops के मुख्य घटक हैं पिप्पली, इलायची, डिल तेल जिनकी प्रकृति और गुणों के बारे में नीचे बताया गया है। Himalaya Bonnisan Drops की उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है। यह जानकारी विस्तार से खुराक वाले भाग में दी गई है।
पिप्पली |
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इलायची |
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सोया तेल |
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Himalaya Bonnisan Drop इन बिमारियों के इलाज में काम आती है -
मुख्य लाभ
अन्य लाभ
यह अधिकतर मामलों में दी जाने वाली Himalaya Bonnisan Drop की खुराक है। कृपया याद रखें कि हर रोगी और उनका मामला अलग हो सकता है। इसलिए रोग, दवाई देने के तरीके, रोगी की आयु, रोगी का चिकित्सा इतिहास और अन्य कारकों के आधार पर Himalaya Bonnisan Drop की खुराक अलग हो सकती है।
चिकित्सा साहित्य में Himalaya Bonnisan Drop के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि, Himalaya Bonnisan Drop का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें।
Himalaya Bonnisan Drop का पेट पर क्या असर होता है?
बिना किसी डर के आप Himalaya Bonnisan Drops ले सकते हैं। यह पेट के लिए सुरक्षित है।
क्या Himalaya Bonnisan Drop का उपयोग बच्चों के लिए ठीक है?
बच्चों के लिए Himalaya Bonnisan Drops लेना सुरक्षित माना जा सकता है।
क्या Himalaya Bonnisan Drop शरीर को सुस्त तो नहीं कर देती है?
Himalaya Bonnisan Drops लेने के बाद ड्राइव करना या दूसरे कामों को करना सुरक्षित है, क्योंकि आपको झपकी नहीं आएगी।
इस जानकारी के लेखक है -
BAMS, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डर्माटोलॉजी, मनोचिकित्सा, आयुर्वेद, सेक्सोलोजी, मधुमेह चिकित्सक
10 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 4. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 2004: Page No - 105 - 106
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 1. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1986: Page No 36-37
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