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HASS Lakshmivilasa Rasa (Nardiya) बिना डॉक्टर के पर्चे द्वारा मिलने वाली आयुर्वेदिक दवा है, जो मुख्यतः मलेरिया, टाइफाइड, निमोनिया के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। HASS Lakshmivilasa Rasa (Nardiya) के मुख्य घटक हैं गोखरू, जायफल, शतावरी, विदारीकंद, अभ्रक भस्म, अतिबला जिनकी प्रकृति और गुणों के बारे में नीचे बताया गया है। HASS Lakshmivilasa Rasa (Nardiya) की उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है। यह जानकारी विस्तार से खुराक वाले भाग में दी गई है।
गोखरू |
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जायफल |
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शतावरी |
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विदारीकंद |
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अभ्रक भस्म |
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अतिबला |
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HASS Lakshmivilas Rasa (Nardiya) (80 tab of 250 mg each) इन बिमारियों के इलाज में काम आती है -
मुख्य लाभ
यह अधिकतर मामलों में दी जाने वाली HASS Lakshmivilas Rasa (Nardiya) (80 tab of 250 mg each) की खुराक है। कृपया याद रखें कि हर रोगी और उनका मामला अलग हो सकता है। इसलिए रोग, दवाई देने के तरीके, रोगी की आयु, रोगी का चिकित्सा इतिहास और अन्य कारकों के आधार पर HASS Lakshmivilas Rasa (Nardiya) (80 tab of 250 mg each) की खुराक अलग हो सकती है।
आयु वर्ग | खुराक |
व्यस्क |
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चिकित्सा साहित्य में HASS Lakshmivilasa Rasa (Nardiya) के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि, HASS Lakshmivilasa Rasa (Nardiya) का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें।
क्या HASS Lakshmivilas Rasa (Nardiya) (80 tab of 250 mg each) का उपयोग गर्भवती महिला के लिए ठीक है?
प्रेग्नेंट महिला पर HASS Lakshmivilasa Rasa (Nardiya) के अच्छे या बुरे प्रभाव के बारे में चिकित्सा जगत में कोई रिसर्च न हो पाने के चलते पूरी जानकारी मौजूद नहीं हैं। इसको जब भी लें डॉक्टर से पूछने के बाद ही लें।
क्या HASS Lakshmivilas Rasa (Nardiya) (80 tab of 250 mg each) का उपयोग स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए ठीक है?
कुछ समय से स्तनपान कराने वाली महिला को HASS Lakshmivilasa Rasa (Nardiya) से किस तरह के प्रभाव होंगे, इस विषय पर किसी भी विशेषज्ञ का कोई मत नहीं हैं। इसलिए डॉक्टर से परार्मश के बाद ही इसका सेवन करें।
HASS Lakshmivilas Rasa (Nardiya) (80 tab of 250 mg each) का पेट पर क्या असर होता है?
HASS Lakshmivilasa Rasa (Nardiya) को पेट के लिए सुरक्षित माना जाता है।
क्या HASS Lakshmivilas Rasa (Nardiya) (80 tab of 250 mg each) का उपयोग बच्चों के लिए ठीक है?
शोध उपलब्ध न होने की वजह से HASS Lakshmivilasa Rasa (Nardiya) का बच्चों पर क्या असर होता है इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
क्या HASS Lakshmivilas Rasa (Nardiya) (80 tab of 250 mg each) का उपयोग शराब का सेवन करने वालों के लिए सही है
HASS Lakshmivilasa Rasa (Nardiya) का शरीर पर क्या असर होता है इस बारे में कुछ कह पाना मुश्किल है। इस पर कोई रिसर्च नहीं हो पाई है।
क्या HASS Lakshmivilas Rasa (Nardiya) (80 tab of 250 mg each) शरीर को सुस्त तो नहीं कर देती है?
HASS Lakshmivilasa Rasa (Nardiya) के सेवन के बाद चक्कर आना या झपकी आना जैसी दिक्कतें नहीं होती हैं। इसलिए आप वाहन चला सकते हैं या मशीनरी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
क्या HASS Lakshmivilas Rasa (Nardiya) (80 tab of 250 mg each) का उपयोग करने से आदत तो नहीं लग जाती है?
नहीं, HASS Lakshmivilasa Rasa (Nardiya) लेने से कोई लत नहीं पड़ती। फिर भी, जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह पर ही HASS Lakshmivilasa Rasa (Nardiya) का इस्तेमाल करें।
इस जानकारी के लेखक है -
BAMS, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डर्माटोलॉजी, मनोचिकित्सा, आयुर्वेद, सेक्सोलोजी, मधुमेह चिकित्सक
10 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. Volume- I. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1999: Page No 49-52
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 1. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1986: Page No 69-70
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 4. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 2004: Page No 122 - 123
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 2. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1999: Page No 183 - 184
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 1. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1986: Page No 25-26