पेचिश एक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार है, जो एक प्रकार का आंतों में संक्रमण है। इसके कारण आंतों में सूजन आ जाती है। पेचिश होने पर खून और बलगम के साथ दस्त होते हैं। यह बैक्टीरिया, वायरल संक्रमण या फिर कुछ दवाओं के कारण हो सकता है। बच्चों और बुजुर्गों में पेचिश की समस्या गंभीर रूप ले सकती है और इस स्थिति में तुरंत इलाज की जरूरत होती है। आमतौर पर पेचिश के इलाज के लिए एलोपैथिक दवाओं का उपयोग किया जाता है, जबकि आयुर्वेदिक दवाएं भी इस समस्या में कारगर साबित हो सकती हैं। पेचिश की स्थिति में बिल्वादी चूर्ण, मुस्‍ता व कुटज आदि आयुर्वेदिक दवाएं फायदेमंद साबित हो सकती हैं।

आज इस लेख में आप पेचिश में फायदेमंद आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में विस्तार से जानेंगे -

(और पढ़ें - पेचिश के घरेलू उपाय)

  1. पेचिश के लिए 5 बेस्ट आयुर्वेदिक दवाएं
  2. सारांश
पेचिश की आयुर्वेदिक दवा के डॉक्टर

अगर कोई व्यक्ति पेचिश की समस्या से पीड़ित है, तो उसे निम्न आयुर्वेदिक दवाएं देने से फायदा हो सकता है, लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि बिना डॉक्टर की सलाह के दवाएं नहीं लेनी चाहिए -

बिल्वादी चूर्ण

बिल्वादी चूर्ण को एक्यूट और क्रोनिक दोनों तरह के डायरिया में फायदेमंद माना गया है। इसके अलावा, यह आयुर्वेदिक दवा पेचिश जैसी समस्या को भी ठीक कर सकती है। यह आंत से तरल पदार्थ को सोख लेती है। नतीजतन, यह दस्त की आवृत्ति को कम कर सकती है। यह चूर्ण इंफेक्शन का कारण बनने वाले बैक्टीरिया और वायरस को खत्म करता है। साथ ही पेट फूलने जैसी समस्या को दूर कर आंत की कार्यप्रणाली में सुधार लाता है। इसे बनाने में बिल्वादी मगज, कैनबिस, धातकी, धान्यका, मोचरस, सुनथी व सौंफ आदि जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है।

(और पढ़ें - दस्त का होम्योपैथिक इलाज)

कुटज (होलारहेना एंटीडिसेंटरिका)

कुटज ऐसी जड़ी-बूटी है, जिसका इस्तेमाल आयुर्वेद में पेचिश के इलाज के लिए किया जाता है। यह पेचिश का मुख्य कारण माने जाने वाले बैक्टीरिया और अमीबिक संक्रमण के खिलाफ सबसे ज्यादा प्रभावी है। कुटज के पेड़ की छाल में कोनेसीन नामक एक अल्कलॉइड होता है, जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-डायरिया गुण होते हैं। कुटज टैबलेट, पाउडर और काढ़े सहित विभिन्न रूपों में उपलब्ध है।

(और पढ़ें - दस्त का आयुर्वेदिक इलाज)

बिल्वा (एगल मार्मेलोस)

बिल्वा को बंगाल क्वीन के नाम से भी जाना जाता है। यह आयुर्वेद में पेचिश के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक और जड़ी-बूटी है। इसमें एस्ट्रिजेंट (कसैला) और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो आंत की सूजन और दस्त को कम करने में मदद कर सकते हैं। बिल्व का उपयोग आमतौर पर काढ़े या पाउडर के रूप में किया जाता है।

(और पढ़ें - दस्त बंद करने के लिए क्या करना चाहिए)

चंद्रकला रस

चंद्रकला रस पेचिश के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक पारंपरिक आयुर्वेदिक औषधि है। इसे त्रिफलाचित्रक व गुडूची सहित विभिन्न जड़ी-बूटियों से तैयार किया जाता है। आमतौर पर चंद्रकला रस गोली के रूप में उपलब्ध होती है और इसे अन्य आयुर्वेदिक दवाओं के साथ दिया जाता है।

(और पढ़ें - दस्त को तुरंत कैसे रोकें)

मुस्‍ता (साइपरस रोटंडस)

मुस्‍ता एक जड़ी-बूटी है, जिसका इस्‍तेमाल आमतौर पर आयुर्वेद में पेचिश के इलाज के लिए किया जाता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-डायरिया गुण होते हैं। यह बैक्टीरिया और अमीबिक संक्रमण को जड़ से खत्म करने का काम करती है। मुस्‍ता का इस्‍तेमाल आमतौर पर काढ़े या पाउडर के रूप में किया जाता है।

(और पढ़ें - दस्त में क्या खाना चाहिए)

एलोपैथिक दवा के मुकाबले आयुर्वेदिक दवा ज्यादा असरदार साबित हो सकती है। इसलिए, पेचिश जैसी समस्या होने पर बिल्वादी चूर्ण व कुटज आदि आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता सकता है। हालांकि, ये दवाएं फायदेमंद हैं, लेकिन इन्हें लेने से पहले योग्य आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है, क्योंकि कुछ जड़ी-बूटियों के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसके अलावा, हाइजीन पर ध्यान देना भी जरूरी है, ताकि किसी भी तरह की बीमारी से बचा जा सके।

(और पढ़ें - इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का आयुर्वेदिक इलाज)

Dr. Paramjeet Singh.

Dr. Paramjeet Singh.

गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव

Dr. Nikhil Bhangale

Dr. Nikhil Bhangale

गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव

Dr Jagdish Singh

Dr Jagdish Singh

गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
12 वर्षों का अनुभव

Dr. Deepak Sharma

Dr. Deepak Sharma

गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
12 वर्षों का अनुभव

ऐप पर पढ़ें
cross
डॉक्टर से अपना सवाल पूछें और 10 मिनट में जवाब पाएँ