टिंडा एक ऐसी सब्जी है जिसका नाम सुनते ही बहुत से लोग मुंह बनाते लगते हैं। घर में खाने में टिंडा बना है ये सुनते ही बहुत से लोगों का मूड खराब हो जाता है क्योंकि उन्हें लगता है ये बिना स्वाद की बेकार सब्जी है। लेकिन जब आप इसके फायदे और गुणों के बारे में जान लेंगे तो सब्जी मंडी में निश्चित तौर पर इस सब्जी को खोजते फिरेंगे।

यह एक बेहद कॉमन सब्जी है जो हल्के हरे रंग की होती है और इसका आकार गोल होता है और यह कई बार देखने में ग्रीन ऐपल जैसी भी नजर आती है। आप चाहें तो इसकी सूखी सब्जी, रस वाली सब्जी या फिर अचार भी बना सकते हैं। तो आइए जानते हैं कि आखिर टिंडे की सब्जी को खाने के फायदे क्या-क्या हैं, क्या यह किसी के लिए नुकसानदेह भी हो सकती है, इसमें कौन-कौन से पोषक तत्व होते हैं। 

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वैज्ञानिक नाम : प्रेसिट्रुलस फिस्टुलोसस (praecitrullus fistulosus)
परिवार : क्युकरबिटासिए (Cucurbitaceae)
अंग्रेजी नाम : ऐपल गार्ड, इंडियन राउंड गार्ड, इंडियन स्क्वॉश
भौगोलिक विवरण : टिंडे की सब्जी को मुख्य रूप से भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में ही उगाया जाता है। पंजाब, उत्तर प्रदेश, मुंबई और राजस्थान जैसी जगहों पर यह सब्जी आमतौर पर मंडियों में नजर आती है। हालांकि, टिंडे को घाना और केन्या जैसे अफ्रीकी देशों में भी उगाया जाता है। भारत में टिंडा आमतौर पर फरवरी से अप्रैल के आखिर तक या फिर बारिश के मौसम में जून के मध्य से जुलाई के आखिर तक उगाया जाता है।

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  1. टिंडा क्या होता है? - What is Tinda in Hindi?
  2. टिंडा में पोषक तत्व की मात्रा - Tinda Nutrition in Hindi
  3. टिंडा के फायदे - Benefits of Tinda in Hindi
  4. टिंडा की तासीर - Tinda Effect on Body in Hindi
  5. टिंडा के नुकसान - Side Effects of Tinda in Hindi

लौकी और कद्दू की ही तरह, टिंडा भी बेल या लताओं में उगने वाली सब्जी है और इस पर सबसे पहले पीले रंग के फूल आते हैं। इसकी पत्तियां भी गोलाकर और लंबी होती हैं। यह सब्जी बाहर से देखने में हरे रंग की होती है लेकिन अंदर से यह सफेद होती है और इसमें बीज भी होते हैं। इसके सफेद भाग को सब्जी बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। वैसे तो यह सब्जी पूरे साल मार्केट में आसानी से मिल जाती है, लेकिन इसका पीक सीजन वसंत ऋतु में होता है। वैसे तो आमतौर पर टिंडे की सब्जी या अचार ही खाया जाता है लेकिन कई बार टिंडे के जूस को भी त्वचा और बालों में लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 

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टिंडा ढेर सारे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। खीरा और ककड़ी की ही तरह टिंडे में भी पानी की मात्रा अधिक होती है और इसमें कोलेस्ट्रॉल शून्य होता है। इसके अलावा इसमें विटामिन्स और मिनरल्स भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा टिंडे में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं। टिंडे में पाए जाने वाले न्यूट्रिएंट्स की बात करें तो :

(और पढ़ें - पोषक तत्वों के लाभ)

  • टिंडा एक ऐसी सब्जी है जो वजन घटाने में मदद कर सकती है। इसका कारण ये है कि टिंडा में कैलोरीज की मात्रा बेहद कम होती है। 100 ग्राम टिंडे में सिर्फ 21 कैलोरीज होती है और 93.5 ग्राम पानी होता है। साथ ही डाइट्री फाइबर भी अच्छी मात्रा में होता है, इसलिए टिंडा खाने के बाद लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस होता है। इस कारण भी टिंडा वेट लॉस में मदद कर सकता है। (और पढ़ें - वेट लॉस डाइट प्लान)
  • टिंडा कब्ज की समस्या को भी दूर करने में मदद करता है। इसका कारण ये है कि टिंडा में फाइबर और पानी की मात्रा अधिक होती है जो मलोत्सर्ग में मदद करता है। साथ ही यह आंत में मौजूद विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालकर कोलोन कैंसर को होने से भी रोकता है। इसके अलावा टिंडा पाचन को बेहतर बनाकर पेट फूलना, पेट में ऐंठन महसूस होना जैसी कई दिक्कतों को भी दूर करता है। 
  • सेहत से जुड़े कई फायदों की वजह से टिंडा को सुपरफूड के तौर पर देखा जाता है और यह सब्जी ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के साथ ही हृदय रोग को रोकने में भी मदद करती है। टिंडा में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं और साथ ही इसमें कोलेस्ट्रॉल भी शून्य होता है। ये सारी चीजें स्ट्रोक और हृदय रोग के साथ ही ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करने में मदद करती हैं। (और पढ़ें - ब्लड प्रेशर नापने का सही तरीका)
  • टिंडा किडनी को भी साफ रखने में मदद करता है। इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है इसलिए यह शरीर के अंदरूनी अंगों में पर्याप्त हाइड्रेशन रखने के साथ ही किडनी में जमा विषाक्त पदार्थों को भी सही तरीके से शरीर से बाहर निकालने का काम करता है। किडनी साफ रहने से पथरी की आशंका भी कम हो जाती है।
  • टिंडा इम्यूनिटी को भी मजबूत बनाने में मदद करता है क्योंकि यह विटामिन ए और विटामिन सी का बेहतरीन सोर्स है। विटामिन सी पानी में घुलनशील एंटीऑक्सीडेंट है जो इम्यूनिटी बूस्टर की तरह काम करने के साथ आयरन को सोखने में भी शरीर की मदद करता है।
  • टिंडा त्वचा से जुड़े संक्रमणों को भी दूर करता है। अगर स्किन पर किसी तरह की एलर्जी हो गई हो, फंगल इंफेक्शन हो गया हो या फिर सनबर्न या प्रदूषण की वजह से स्किन खराब हो रही हो तो इन सारी समस्याओं को भी दूर करने में मदद करता है टिंडा। टिंडा में विटामिन ई होता है जो त्वचा को सॉफ्ट बनाने के साथ ही उसे मॉइश्चराइज करने में भी मदद करता है।
  • स्किन के साथ ही बालों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है टिंडा। इसमें विटामिन्स और मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं जो स्कैल्प में होने वाली खुजली और ड्राईनेस को दूर कर डैंड्रफ की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। साथ ही हेयर फॉलिकल्स को सुरक्षित रखकर बालों को लंबा और मजबूत बनाने में भी मदद करता है। (और पढ़ें - बालों को लंबा करने के उपाय)

जैसा कि हमने पहले ही बताया है कि खीरे के परिवार से होने के कारण टिंडे में पानी की मात्रा अधिक होती है और इसलिए इसकी तासीर ठंडी होती है और यह शरीर पर ठंडा असर करता है।

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वैसे तो पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण टिंडा सेहत के लिए फायदेमंद होता है, बावजूद इसके टिंडा के कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं :

  • सीमित मात्रा में ही टिंडा का सेवन करना चाहिए। इसका कारण ये है कि इसमें फाइबर और पानी की मात्रा अधिक होती है और और अगर बहुत ज्यादा टिंडा खा लिया जाए तो डायरिया और पेट में ऐंठन जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
  • जिन मरीजों को तेज बुखार हो उन्हें भी टिंडा का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती ही और यह मरीज के ठीक होने की प्रक्रिया को और धीमा कर सकता है।
  • गर्भवती महिलाओं और बच्चों को अपना दूध पिलाने वाली महिलाओं के लिए टिंडा फायदेमंद है या नुकसानदेह इस बारे में जानकारी मौजूद नहीं है। लिहाजा ऐसी महिलाओं को अपने डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए कि टिंडा का सेवन उनके लिए उचित है या नहीं। (और पढ़ें - गर्भावस्था में क्या खाएं)
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