आयुर्वेद की दुनिया तमाम गुणकारी औषधियों से भरी हुई है। घरों में मौजूद ये औषधियां और मसाले न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाती हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी इन्हें काफी फायदेमंद माना जाता है। ऐसी एक एक औषधि है-बड़ी इलाइची। इसे अलग-अलग जगहों पर कई अन्य नामों जैसे काली इलायची या मोटी इलाइची के नाम से भी जाना जाता है। दिखने में गहरे भूरे रंग की इस फली के अंदर काले रंग के बीज होते हैं। यह पूर्वी हिमालय के सबसे लोकप्रिय मसालों में से एक है। इस औषधि की गुणवत्ता को देखते हुए कई अन्य हिस्सों में इसकी उपज को बढ़ाया गया है, लिहाजा अब दार्जिलिंग, दक्षिणी भूटान, सिक्किम और पूर्वी नेपाल के कई हिस्सों इसकी खेती की जा रही है। उत्तराखंड और पूर्वोत्तर राज्यों में भी इसे बड़े स्तर पर उपजाया जाता है।
जैसा कि उपरोक्त पंक्तियों में बताया गया कि यह औषधि कई स्तर से फायदेमंद है, इसका उदाहरण चीन से लिया जा सकता है। चीन में पहले बड़ी इलाइची को मलेरिया और पेट की बीमारियों के लिए दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। इसी तरह पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति में इसका उपयोग पीलिया के उपचार में किया जाता रहा है।
भारत दुनियाभर में बड़ी इलाइची का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। इसकी दो किस्में अमोमम सुबुलेटम और अमोमम त्सोको का उत्पादन यहां होता है। भारत और पाकिस्तान जैसे देशों के व्यंजनों में इसे उपयोग में लाया जाता है। बिरयानी जैसे भोजन के स्वाद को बढ़ाने में बड़ी इलाइची को काफी पसंद किया जाता रहा है। आइए बड़ी इलाइची से संबंधित कुछ और जानकारियों पर नजर डालते हैं।
वैज्ञानिक नाम : ए. सुबुलेटम
परिवार : जिन्जिबरेसी
अन्य नाम : बड़ी इलाइची, मोटी इलाइची, काली इलाइची
उपयोग किए गए भाग: फल, पत्ते, बीज
मूल क्षेत्र : पूर्वी हिमालय
भौगोलिक वितरण : भारत के उत्तर-पूर्व राज्य, दार्जिलिंग, नेपाल और भूटान