आयुर्वेद के अनुसार ऋतु के आधार पर एक सख्त डाइट रूटीन का पालन किया जाना चाहिए। पहले खाद्य पदार्थों को स्टोर करने की व्यवस्था नहीं थी, ऐसे में सभी खाद्य पदार्थों की पूरे साल उपलब्धता न होने के कारण मौसमी खाद्य पदार्थों का ही सेवन किया जाता था। लेकिन बदलते समय और प्रगतिशील सभ्यताओं के साथ भंडारण तकनीक, परिवहन और प्रौद्योगिकी के कारण बेमौसम भी सभी खाद्य पदार्थों का मिलना संभव हो पाया है। लेकिन स्वास्थ्य के विभिन्न लाभों के कारण मौसमी खाद्य पदार्थों के सेवन करने का महत्त्व अलग ही है।
आयुर्वेद के अनुसार हर मौसम में करना चाहिए मौसम के अनुसार भोजन - Ayurveda seasonal eating as per dosha
आयुर्वेद पूरे वर्ष को वात, पित और कफ मौसम में विभाजित करता है। सीज़न के आधार पर ये दोष हमारे शरीर को प्रभावित करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार मौसमी भोजन का सेवन इसी वात, पित और कफ के विभाजन पर आधारित है
वर्षा ऋतु के बाद का खान पान - Food to eat in late fall to early winter season in hindi
सूखा, ठंडा, हवादार मौसम बरसात के अंतिम दिनों से प्रारंभिक सर्दियों के मौसम (सितम्बर से नवंबर) तक रहता है। आयुर्वेद के अनुसार यह वता मौसम कहलाता है। इस मौसम में सूखी त्वचा, कब्ज, गैस, ऑस्टियोपोरोसिस, गठिया, सक्रियता और पीएमएस जैसी समस्याएं होती हैँ। इस लिए इस मौसम में गर्म सूप, उबली हुई जड़ वाली सब्जियां, घी और शहद के साथ गर्म दूध और एक कप अदरक डाल कर गर्म चाय का सेवन करना चाहिए। इस मौसम में अपने अंदर की अग्नि को सक्रीय रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीधे चयापचय पर प्रभाव डालती है। (और पढ़ें – वात, पित्त और कफ असंतुलन और उनके लक्षण)
शीत ऋतु में उपयोगी पाक - What to eat during winter season in hindi
यह मौसम सर्दियां जब ख़त्म होने वाली होती हैं, तब से लेकर प्रारंभिक वसंत (मार्च से अप्रैल) तक रहता है जिसमें मौसम सूखा, ठंडा और गीला रहता है। आयुर्वेद के अनुसार यह काफा मौसम कहलाता है. इस मौसम में एलर्जी, कफ, साइनस, सुस्ती और मोटापे जैसी समस्याएं अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाती हैँ। इसलिए मौसम के प्रभाव से बचने और शरीर का संतुलन बनाए रखने के लिए गर्म और कटु स्वाद वाले खाद्य पदार्थ जैसे जामुन, उबला हुआ अंकुरित अनाज, साग और सिंहपर्णी का सेवन करना चाहिए। (और पढ़ें – आयुर्वेद के तीन दोष वात पित्त और कफ क्या हैं?)
ग्रीष्म ऋतु में खान पान - Food to eat in summers in hindi
यह मौसम वसंत के अंत से गर्मियों (मई से जून) तक रहता है। आयुर्वेद के अनुसार यह पित्त मौसम कहलाता है। इस मौसम की प्रकृति गर्मी होती है। गर्म, शुष्क और तेज मौसम के कारण सीने में जलन, हाई बीपी, मतली और गैस की समस्या बढ़ जाती है। इन लक्षणों से बचने के लिए इस मौसम में एलोवेरा जूस, ककड़ी, नारियल पानी, आम, पुदीना, तुरई आदि का सेवन करना चाहिए।
ऋतु के अनुसार भोजन के फायदें - Health benefits of eating seasonal produce in hindi
आपके दोषों से लड़ने और उनसे जुडी मौसमी समस्याओं को दूर करने में लाभदायक मौसमी खाद्य पदार्थों का सेवन करने के कई लाभ हैं -