भारत में ज्यादातर लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि रेड मीट कौन सा होता है। कुछ लोगों को यह भी डर रहता है कि कहीं रेड मीट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो नहीं है। वास्तव में रेड मीट स्तनधारीयों से प्राप्त बिना पका हुआ मांस होता है। पकने से पहले इसका रंग लाल होता है, इसलिए इसे रेड मीट, लाल मीट और लाल मांस आदि कहा जाता है। मीट की कोशिकाओं में मायोग्लोबिन नाम का एक प्रोटीन पाया जाता है, जो कोशिकाओं का लाल रंग प्रदान करता है। कोशिकाओं में जितनी अधिक मात्रा में मायोग्लोबिन होगा, मीट का रंग उतना ही लाल होगा।

वैसे तो मानव सदियों से लाल मीट खाता आ रहा है, लेकिन कई लोग मानते हैं कि रेड मीट खाना स्वास्थ्य को हानि पहुंचाता है। इस आर्टिकल में रेड मीट पर किए गए विभिन्न अध्ययनों पर चर्चा की गई है, जिनमें जांच की गई थी कि रेड मीट स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है। 

रेड मीट में मुख्य रूप से मट्टन, पोर्क व अन्य कई स्तनधारी जानवरों के मीट शामिल हैं। कुछ प्रकार के मीट जिन्हें रेड मीट में शामिल नहीं किया जाता, उनमें मुख्य रूप से मुर्गे, टर्की, बतख, अन्य कई पक्षी और खरगोश आदि से प्राप्त मीट शामिल है।

(और पढ़ें - चिकन के फायदे)

  1. रेड मीट खाने के फायदे - Red Meat ke fayde
  2. रेड मीट खाने के नुकसान - Red Meat khane ke nuksan

रेड मीट खाने के क्या फायदे होते हैं?

पोषक तत्वों से उच्च आहारों में लाल मीट भी शामिल है। रेड मीट प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स का एक अच्छा स्रोत होता है और इसे उचित मात्रा में संतुलित आहार के विकल्पों में आसानी से शामिल किया जा सकता है। इतना ही नहीं रेड मीट में कई एंटीऑक्सीडेंट व तत्व पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। बिना पके 100 ग्राम रेड मीट में आरडीए (Recommended Dietary Allowance) के अनुसार निम्न मात्रा में पोषक तत्व होते हैं:

रेड मीट में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में अन्य कई विटामिन व खनिज पदार्थ पाए जाते हैं। इसमें मौजूद आयरन उच्च गुणवत्ता का होता है, पौधों से प्राप्त होने वाले आयरन के मुकाबले यह अच्छे से अवशोषित होता है।

इसके अलावा लाल मीट में क्रिएटिन और कार्नोसिन जैसे आवश्यक पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। जो लोग मीट नहीं खाते हैं, अक्सर उनके शरीर में इन पोषक तत्वों की कमी पाई जाती है। जिन लोगों में क्रिएटिन और कार्नोसिन की कमी होती है, उनमें मांसपेशियों व मस्तिष्क से संबंधित समस्याएं होने का खतरा सबसे अधिक रहता है।

कुछ अध्ययनों में मुताबिक अनाज खाने वाले जानवरों के मुकाबले घास खाने वाले जानवरों से प्राप्त रेड मीट और अधिक स्वास्थ्यवर्धक होता है। क्योंकि इसमें हृदय के लिए स्वास्थ्यवर्धक ओमेगा-3s, फैटी एसिड सीएलए और उच्च मात्रा में विटामिन ई और ए होता है।

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रेड मीट खाने के क्या नुकसान हैं?

कई लोगों का मानना है कि रेड मीट खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, जबकि कुछ लोग रेड मीट को सेहत के लिए अच्छा मानते हैं। इसलिए रेड मीट पर काफी अध्ययन किए जा चुके हैं। हालांकि इनमें से ज्यादातर अध्ययन अवलोकन के रूप में किए गए थे, जिन्हें कारण बनने वाली स्थितियों का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया था, ये कारणों की पुष्टि नहीं कर पाते।

हृदय संबंधी रोग व डायबिटीज

कई अवलोकन अध्ययनों में पाया गया कि रेड मीट से हृदय संबंधी रोग होने का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है। हालांकि सभी प्रकार के रेड मीट इस स्थिति का कारण नहीं बनते हैं। एक बड़ी संख्या में आबादी पर कई अध्ययन किए जा चुके हैं, जिनमें पाया गया कि लाल मीट खाने से हृदय रोग और डायबिटीज होने का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है। लेकिन इस अध्ययन में बिना तैयार मांस से होने वाली स्थितियों के कारणों की पुष्टि नहीं हो पाई।

इतना ही नहीं कुछ अध्ययनों में एक बड़ी संख्या में लोगों में यह भी पाया गया था कि तैयार किया गया (प्रोसेस्ड) रेड मीट व्यक्ति की उम्र को भी प्रभावित करता है, जबकि अनप्रोसेस्ड मीट से संबंधित ऐसी किसी समस्या की पुष्टि नहीं हो पाई। इसलिए इससे होने वाली स्थितियों के बारे में जानने से पहले एक बार प्रोसेस्ड और अनप्रोसेस्ड मीट के अंतर का पता लगा लेना चाहिए, क्योंकि इन दोनों के प्रभावों में काफी अंतर देखा जाता है।

रेड मीट और कैंसर का संबंध

कुछ अध्ययनों में पाया गया कि अत्यधिक मात्रा में प्रोसेस्ड रेड मीट खाने से कोलन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। कोलन (बड़ी आंत) का कैंसर दुनियाभर में चौथा सबसे अधिक होने वाला कैंसर है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि प्रोसेस्ड और अनप्रोसेस्ड रेड मीट दोनों को एक साथ काफी अधिक खाया जाता है।

मेटा एनालिसिस के अनुसार कई अध्ययनों में यह भी पाया गया कि रेड मीट से कोलन कैंसर होने का खतरा बहुत ही कम होता है। एक मेटा एनालिसिस में की गई रिसर्च में पाया गया कि लाल मीट खाने से पुरुषों में पड़ने वाले प्रभाव बहुत ही कम और महिलाओं में किसी प्रकार के प्रभाव की पुष्टि नहीं की गई। 

कुछ अध्ययनकर्ताओं के अनुसार रेड मीट कैंसर का कारण नहीं बनता, बल्कि उसे पकाते समय उसमें हानिकारक तत्व पैदा हो जाते हैं जो कोलन कैंसर होने का खतरा बढ़ाते हैं। इसलिए रेड मीट को पकाने का तरीका भी कैंसर का कारण बनने वाली कई स्थितियों से जुड़ा हो सकता है।

जीवन को प्रभावित करता है रेड मीट

एक नई रिसर्च की गई जिससे यह प्रमाण मिलते हैं कि नियमित रूप से रेड मीट का सेवन करना व्यक्ति की उम्र को कम कर सकता है। अध्ययनकर्ताओं ने सुझाया कि जो व्यक्ति नियमित रूप से रेड मीट खाते हैं, अगर वे उनकी जगह अन्य स्वास्थ्यवर्धक प्रोटीन स्रोतों को चुनें, तो उनके स्वास्थ्य में काफी हद तक सुधार हो सकता है।

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि पहले हुए अध्ययनों के अनुसार रेड मीट डायबिटीज, हृदय रोग और कई प्रकार के कैंसर होने के जोखिम को बढ़ा देता है। अध्ययनों में यह भी बताया गया है कि रेड मीट खाने वाले व्यक्तियों का जीवनकाल भी प्रभावित हुआ है। लेकिन ये अध्ययन ज्यादातर एक निश्चित समय के लिए किए गए थे और इन्हें विशेष परिस्थितियों के अनुसार डिजाइन किया गया था जिनमें कुछ गलतियां भी थी। इतना ही नहीं ये अध्ययन एक विशेष क्षेत्र व उसकी आबादी पर किए गए थे, इसलिए विभिन्न क्षेत्रों और वहां पर मीट के स्रोतों के अनुसार किसी व्यक्ति पर रेड मीट के प्रभावों में बदलाव भी हो सकता है।

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