देश और दुनिया में एक बड़ा तबका लाल मांस यानी रेड मीट खाता है। कई सदियों से लोग रेड मीट का सेवन करते आ रहे हैं। क्या आपको पता है कि रेड मीट खाना कितना खतरनाक हो सकता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि रेड मीट के नियमित सेवन से मौत भी हो सकती है। दरअसल, रेड मीट खाने से शरीर के अंदर कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जो आगे चलकर जानलेवा भी साबित हो सकती हैं।
जानलेवा है रेड मीट
एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि नियमित रूप से लाल मांस (रेड मीट) खाना मानव शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। ये मृत्यु दर (मरने वालों की संख्या) को बढ़ाता है। शोध के मुताबिक रेड मीट खाने से कई गंभीर जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं। जैसे-
रेट मीट घातक क्यों है?
- मिनेसोटा यूनिवर्सिटी के इकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डेविड टिलमैन ने हाल ही में की गई अपनी रिसर्च में बताया कि रेड मीट खाना ना केवल इंसानों में मौत के खतरे को बढ़ाता है बल्कि यह हमारे पर्यावरण के लिए भी घातक है।
- बीएमजे वेबसाइट में प्रकाशित हेल्थ प्रोफेशनल्स फॉलो-अप स्टडी और नर्सेस मेडिकल स्टडी में भी पता चला है कि 8 साल की अवधि (पीरियड) में रेड मीट का रोजाना सेवन करने वाले लोगों में मृत्यु की आशंका ज्यादा थी।
ऐसी ही एक रिपोर्ट साल 2012 में आर्काइव्ज ऑफ इंटरनल मेडिसिन ने जारी की थी जिसके नतीजे चौंकाने वाले थे। हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 1986 में रेट मीट खाने वालों पर एक रिसर्च की गई थी। इस बीच अध्यनकर्ताओं की टीम ने रेड मीट खाने और उसके बाद होने वाले नकारात्मक प्रभावों की गहराई से जांच की। इस दौरान हेल्थ प्रोफेशनल्स फॉलो-अप स्टडी में शामिल 37 हजार से अधिक पुरुषों और नर्सेस मेडिकल स्टडी में शामिल 83 हजार महिलाओं पर रिसर्च की गई। हालांकि, रिसर्च की शुरुआत में अध्ययन में शामिल सभी लोग कैंसर और हृदय रोग से जुड़ी बीमारियों से मुक्त थे।
रिसर्च टीम ने हर 2 साल के अंतराल में इन लोगों की सेहत, वजन और शारीरिक गतिविधियों से जुड़ी जानकारी ली। 26 साल चली इस रिसर्च के दौरान अध्ययन का हिस्सा रहे करीब 24 हजार लोगों की मौत हो गई, इनमें से 5,900 लोगों को हृदय रोग हो चुका था, जबकि 9,500 लोगों की मौत कैंसर से हुई और इसकी एक बड़ी वजह रेड मीट का सेवन पाया गया।
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20 प्रतिशत बढ़ा मृत्यु का खतरा
हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार शोधकर्ताओं को जांच से पता चला कि एक दिन में एक बार से ज्यादा लाल मांस (रेड मीट) खाने से मृत्यु का जोखिम 13 प्रतिशत तक बढ़ जाता है, जबकि रेड मीट के अधिक सेवन से मृत्यु का खतरा 20 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
रेड मीट के सेवन पर डॉक्टर की राय
myUpchar से जुड़ी डॉ. अर्चना निरुला ने बताया कि जिन देशों में रेड मीट खाया जाता है उनकी तुलना में रेड मीट नहीं खाने वाले देशों में लोगों की उम्र ज्यादा होती है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि रेड मीट सेहत के लिए खतरनाक होता है और इससे आपकी उम्र के कुछ साल कम हो सकते हैं। डॉक्टर के अनुसार जापान के कुछ हिस्सों में लोग रेड मीट का सेवन न के बराबर करते हैं, इसलिए वहां के लोगों की औसतन आयु 90-100 वर्ष के करीब होती है।
रेड मीट से क्यों बढ़ता है मृत्यु का खतरा
यह सिर्फ एक विश्लेष्णात्मक स्टडी थी और इसमें रेड मीट से मृत्यु के जोखिम बढ़ने के सही कारण का पता नहीं चल पाया है। हालंकि, शोधकर्ताओं ने कुछ संभावित कारणों के बारे में बताया है जिनकी वजह से ऐसा हो सकता है।
- शोधकर्ताओं का कहना है कि रेड मीट में सैचुरेटेड फैट, कोलेस्ट्रॉल, हेमे आयरन और प्रिजर्वेटिव्स (खाने को लंबे समय तक रखने के लिए इस्तेमाल किए गए पदार्थ) होते हैं, जो कार्डियोमेटाबोलिक (हृदय और चयापचय से संबंधित) स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
- रेड मीट को उच्च तापमान पर पकाने से कार्सिनोजेनिक (कैंसर पैदा करने वाले) पदार्थों का उत्पादन होता है। रेड मीट में ट्रिमेथाइलमिन एन-ऑक्साइड होता है, जिसके बारे में शोधकर्ताओं का मानना है कि ये एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों में रुकावट) का कारण बन सकता है।
- रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि रेड मीट के सेवन से किडनी फेल होने का खतरा भी बढ़ सकता है।
- नेचर मेडिसिन जर्नल में छपे एक अध्ययन के मुताबिक, रेड मीट में मौजूद कार्निटिन नामक पदार्थ धमनियों में कठोरता या रुकावट का कारण बन सकता है।
- रेड मीट में ज्यादा मात्रा में यूरिक एसिड होता है, जो शरीर में जमा होकर गठिया जैसी कई बीमारियों का कारण बन सकता है।
- रेड मीट के कारण होने वाली और भी कई घातक बीमारियां हैं जैसे - स्तन कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर जो कि हमें मौत की ओर धकेलती हैं।
सामान्य तौर पर हम प्राकृतिक रूप से मिलने वाले आहार के जरिए भी कई तरह के प्रोटीन और खनिज पदार्थ प्राप्त कर सकते हैं, जिनके ना के बराबर साइड इफेक्ट्स (दुष्प्रभाव) होते हैं। लिहाजा रेड मीट को छोड़कर अगर फलों, सूखे मेवे, सब्जियों का संतुलित मात्रा में सेवन करें तो हम स्वस्थ् रहने के साथ-साथ पृथ्वी को भी संतुलित रखने में योगदान दे सकते हैं।