वह एक चीज जो हम इंसानों को अन्य प्रजातियों से बहुत अलग बनाती है, वह है हमारा भोजन का उपभोग करने का तरीका। जैसे-जैसे इंसान विकसित होता गया वैसे-वैसे उसका खाना पकाने का तरीका भी और बेहतर होता गया। हमने शिकारी और संग्रहकर्ता के रूप में शुरुआत की जिसकी वजह से हम अधिक से अधिक सामग्रियों के संपर्क में आए। इस बात के कुछ सबूत मौजूद हैं कि हमारे पूर्वजों ने लगभग 10 लाख साल पहले आग पर काबू पाया था और 5 लाख साल पहले खाना बनाना शुरू किया था: इस बारे में किंवदंती ये है कि शुरुआत में प्रारंभिक मानव ने गलती से एक आग में मांस का एक टुकड़ा गिरा दिया था। आग ने मांस को नरम कर दिया, जिससे उसका स्वाद बेहतर हो गया और वह मांस अधिक सुपाच्य भी हो गया।
इसके बाद कृषि और अन्न भंडार का युग आया और हम अलग-अलग तरीके से खाने और रहने लगे। खाना पकाने के साथ इंसान का यह संबंध जारी रहा और बढ़ता गया। पुरातत्वविदों को मिट्टी के निशान के साथ ही 20 हजार साल पुराने मिट्टी के बर्तन मिले हैं, जो बताते हैं कि वे उन सभी वर्षों में चीन में खाना पकाने के लिए उपयोग किए गए थे। धीरे-धीरे निश्चित रूप से, खाना पकाने की प्रक्रिया को लोकप्रियता मिली।
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जैसे-जैसे वक्त बीतता गया समय के साथ हमने भोजन को भूनना (रोस्ट करना), स्मोक करना, सींक पर भूनना (बारबेक्यू), उबालना, हल्का उबालना (ब्लांच करना), भाप में पकाना (स्टीम करना), फ्राई करना, मसाले के मिश्रण में रखना (मैरीनेट करना), सेंकना (स्टू करना), भूनना या ग्रिल करना, बेक करना, माइक्रोवेव करना, पानी सुखाना (डिहाइड्रेट करना), जूस निकालना, गरम तेल में तेजी से भूनना (स्टर-फ्राई), अचार बनाना, किण्वन या फर्मेंटेशन करना सीख लिया- जरूरी नहीं कि ये सब उसी क्रम में हो।
इसमें कोई शक नहीं कि खाना पकाने का अर्थ केवल भोजन को नरम करना या खाने योग्य बनाने के बारे में नहीं है। सही तरीके से खाना पकाने से कीटाणुओं से छुटकारा मिलता है, भोजन में सबसे अच्छा स्वाद आता है और भोजन की पाचन शक्ति बढ़ जाती है- हमारा शरीर कच्चे भोजन की तुलना में पके हुए भोजन से अधिक पोषक तत्वों को अवशोषित कर सकता है।
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हालांकि कुछ समय पहले इस बात पर बहस शुरू हुई कि खाना पकाने से खाद्य पदार्थ, स्वास्थ्य के लिए बेहतर बनता है या बुरा। यह सच है कि खाना पकाने के दौरान खाद्य पदार्थ के कुछ पोषक तत्व कम हो जाते हैं- उदाहरण के लिए, विटामिन बी और विटामिन सी जैसे पानी में घुलनशील विटामिन भोजन को उबालने और छानने से धुल सकते हैं। लेकिन खाना पकाने या खाद्य प्रसंस्करण के कुछ तरीके ऐसे भी हैं जिनसे भोजन के पोषक मूल्य को बढ़ाया जा सकता है। उदाहरण के लिए- किण्वित या फर्मेंटेड खाद्य पदार्थ जैसे इडली, ढोकला और गाजर की कांजी पीने से आंत की सेहत में सुधार होता है।
हम भोजन पकाने का कौन सा तरीका चुनते हैं इससे न सिर्फ भोजन की बनावट, स्वाद और तापमान में बदलाव होता है बल्कि पोषक तत्वों के मामले में भी कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। भोजन के पोषक तत्वों पर खाना पकाने के विभिन्न तरीकों का क्या प्रभाव पड़ता है और पोषण को संरक्षित करने के लिए खाना पकाने का सबसे अच्छा तरीका कौन सा है, इस बारे में हम आपको इस आर्टिकल में जानकारी दे रहे हैं।