अगर आप मांसाहारी भोजन करना पसंद करते हैं और आपने अब तक स्नेल यानी घोंघे का मांस ट्राई नहीं किया है तो आपको यह जरूर ट्राई करना चाहिए क्योंकि घोंघा सेहत के लिहाज से भी काफी फायदेमंद माना जाता है। घोंघा इस धरती का सबसे धीमा और मंद गति से चलने वाला जीव है और यह एक सेकंड में 1.3 सेंटिमीटर की स्पीड से चलता है। मुख्य रूप से यह रात के समय या फिर बारिश के दिनों में ज्यादा सक्रिय रहता है। ज्यादातर घोंघे का जीवन सिर्फ 5 साल का होता है।
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समुद्र के पानी में मिलने वाला घोंघा न केवल प्रोटीन का बहुत अच्छा सोर्स होता है बल्कि इसमें जिंक की मात्रा भी भरपूर होती है। कई स्टडीज में ये बात कही गई है कि जिंक महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए आवश्यक है। इसलिए अगर आप फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हों तो घोंघा जरूर खाएं।
घोंघे के मांस में प्रोटीन और जिंक के अलावा, वसा (मुख्य रूप से पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड), आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, तांबा, विटामिन ए, विटामिन बी6 , विटामिन बी12, विटामिन के और फोलेट होता है। इसमें साबुत अंडे की तुलना में उच्च स्तर पर अमिनो एसिड आर्जिनिन और लाइसिन भी होता है। इसमें स्वस्थ आवश्यक फैटी एसिड जैसे लिनोलिक और लिनोलेनिक एसिड भी पाया जाता है। घोंघे के मांस की उच्च प्रोटीन, कम वसा वाली सामग्री इसे एक स्वस्थ वैकल्पिक भोजन के तौर पर पेश करती है।
साल 2009 में इंटरनैशनल जर्नल ऑफ फूड सेफ्टी, न्यूट्रिशन ऐंड पब्लिक हेल्थ नाम के जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में नाइजीरिया की एक न्यूट्रिशनिस्ट ने बताया कि घोंघा न केवल सस्ता है और आसानी से उपलब्ध है, बल्कि इसमें अधिक प्रोटीन भी होता है। इसलिए स्कूल जाने वाले वे बच्चे जो कुपोषण का शिकार हों और जिनमें आयरन की कमी हो उन्हें घोंघा खिलाया जा सकता है।
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इस आर्टिकल में हम आपको घोंघा का मांस खाने के फायदे, नुकसान और इसे खाने का सही तरीका क्या है, इस बारे में जानकारी दे रहे हैं।