मौसम्बी गर्मी के मौसम में कई लोगों की बेहद पसंदीदा होती है। यह खाने में थोड़ी खट्टी और थोड़ी मीठी होती है। शुरुआत में मौसम्बी (मौसमी) की उत्पत्ति की संभावना इंडोनेशिया और चीन जैसे दुनियाभर के कई देशों में की गई थी, लेकिन बाद में इसे भारतीय मूल का फल मान लिया गया। भारत में मौसमी ज्यादातर जुलाई और अगस्त में पाई जाती है। यह उन पेड़ों पर उगते हैं जिन पेड़ों को फल देने में पांच से सात साल का समय लगता है और यह मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। अक्सर लोग मौसम्बी और नींबू के बीच का अंतर समझ नहीं पाते, क्योंकि इनकी नस्ल समान हैं। मौसमी और नींबू खट्टे फलों में आते हैं और इनमें पोषक तत्व भी समान होते हैं। 

यह आमतौर पर नींबू की तरह दिखती है, लेकिन आकार में बड़ी होती है और स्वाद में मीठी। इसका स्वाद कुछ-कुछ संतरे के भी समान होता है। मौसमी विटामिन से समृद्ध होती है, खासकर विटामिन बी9 और विटामिन सी

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मीठे नींबू के बारे में आम तथ्य -

  • बॉटनिकल नाम : साइट्रस लिमेटा
  • परिवार : साइट्रस फ्रूट, रुटेसिआय
  • आम नाम : स्वीट लाइम, "मौसम्बी"
  • संस्कृत नाम : "जम्बीराम"
  • इसका इस्तेमाल किस तरह से होता है : मौसम्बी की त्वचा, गूदा और बीज।
  • कहाँ पाई जाती है : शुरुआत में मौसमी की उत्पत्ति की संभावना इंडोनेशिया और चीन जैसे दुनियाभर के कई देशों में की गई थी और लेकिन बाद में इसे भारतीय मूल का फल मान लिया गया। अब यह इजिप्ट, सीरिया, फिलिस्तीन आदि में भी पाई जाती है।  
  1. मौसमी में मौजूद पोषक तत्व - Mausami me maujood poshak tatva
  2. मौसमी फल खाने के फायदे - Mausami fal khane ke fayde
  3. मौसमी खाने के नुकसान - Mausami khane ke nuksan

मौसमी में कम कैलोरी होती है और इसमें फैट की भी मात्रा कम होती है। एक मौसमी में लगभग 43 कैलोरी होती है और इसमें 0.3 ग्राम फैट पाया जाता है। यह पोटैशियम और विटामिन सी से भी समृद्ध होता है, जिसमें स्वास्थ्य संबंधित फायदे मौजूद होते हैं और यह शरीर को ठंडा रखता है। मौसमी में कार्बोहाइड्रेट भी पाया जाता है।

पोषक तत्व  प्रति 100 ग्राम मूल्य
पानी 90.79 ग्राम
उर्जा 25 ग्राम
प्रोटीन 0.42 ग्राम
फैट  0.07 ग्राम 
कार्बोहाइड्रेट  8.42 ग्राम
फाइबर  0.4 ग्राम 
चीनी  1.69 ग्राम

 

खनिज प्रति 100 ग्राम मूल्य
कैल्शियम  14 मिलीग्राम 
आयरन 0.09 मिलीग्राम 
मैग्नीशियम  8 मिलीग्राम
फास्फोरस 14 मिलीग्राम
पोटैशियम 117 मिलीग्राम
सोडियम 2 मिलीग्राम
जिंक  0.08 मिलीग्राम

(और पढ़ें - कम कार्बोहाइड्रेट वाला भारतीय भोजन)

 

विटामिन प्रति 100 ग्राम मूल्य
विटामिन बी1 0.025 मिलीग्राम 
विटामिन बी2 0.015 मिलीग्राम 
विटामिन बी3 0.142 मिलीग्राम 
विटामिन बी6 0.038 मिलीग्राम 
विटामिन बी9 0.01 मिलीग्राम 
विटामिन सी 30.0 मिलीग्राम 
विटामिन ए 0.002 मिलीग्राम 
विटामिन ई 0.22 मिलीग्राम 
विटामिन k 0.0006 मिलीग्राम

 

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मौसमी फल खाने के फायदे इस प्रकार हैं -

मौसमी खाने से त्वचा स्वस्थ रहती है - Mausami khane se twacha swasth rehti hai

मौसंबी न सिर्फ महिलाओं के बालों के लिए अच्छी होती है बल्कि यह त्वचा को स्वस्थ रखने में भी मदद करती है। इसमें विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं। मीठी मौसमी स्किन केयर प्रोडक्ट में भी दवाई के रूप में इस्तेमाल की जाती है। यह रूखी त्वचा को मॉइस्चराइज करता है और त्वचा को स्वस्थ रखता है। यह आपकी रंगत में भी सुधार करती है। मौसमी में मौजूद विटामिन सी न सिर्फ त्वचा को गोरा करता है बल्कि त्वचा के दाग-धब्बे और मुहांसों को भी कम करता है। यह पसीने और शरीर की बदबू को भी दूर करता है। मौसमी खाने से खून साफ होता है और त्वचा संबंधी समस्याओं से भी राहत मिलती है। होंठों पर मोसम्बी जूस लगाने से होंठ फटने की समस्या हल होती है।  

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मौसमी खाने से शरीर से विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं - Mausami khane se sharer se vishakt padarth nikal jate hain

शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए मौसंबी प्राकृतिक और बहुत ही बेहतरीन स्रोत है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स, फ्लेवोनॉयड्स और कैरोटेनॉयड्स (Carotenoids) होते हैं जो शरीर की अशुद्धियों को साफ करते हैं और विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करते हैं। मौसंबी तनाव और प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव को कम करता है और शरीर को ऊर्जा से भरपूर रखता है। मौसमी फाइबर से समृद्ध होती है और आंत प्रणाली से विषाक्त पदार्थों को साफ कर कब्ज से छुटकारा दिलाती है।

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मौसमी फल खाने से पाचन क्रिया सही रहती है - Mausami khane se pachan kriya sahi rehti hai

ताजा मौसमी जठरांत्र संबंधी समस्याओं से राहत दिलाती है जैसे कब्ज और बदहजमी। फल में मौजूद फाइबर छोटी आंत को स्वस्थ रखने में मदद करता है। मौसमी में पाए जाने वाले फ्लैवोनोएड्स नामक तत्व, पाचक रस, पित्तरस उस अम्ल के स्त्राव को बढ़ा देता है, जो पाचन क्रिया को चलाते हैं। अपच की समस्या के लिए मीठी मौसमी खाने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इससे लार ग्रंथि उत्तेजित होती है जिससे एन्ज़ाइम्स बढ़ते हैं और एन्ज़ाइम बढ़ने से मल त्याग बेहतर होता है। इस तरह आपकी पाचन क्रिया स्वस्थ रहती है। मोसंबी दस्त, उल्टी और मतली को भी नियंत्रित करती है।

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वजन कम करने के लिए मौसमी खाएं - Vajan kam karne ke liye mausami khaye

इस फल में कैलोरी की मात्रा बेहद कम होती है और इस तरह इसे वजन कम करने के लिए बेहद अच्छा फल माना जाता है। मौसंबी खाने से न सिर्फ वजन कम होता है बल्कि इससे आपकी प्यास भी मिटती है। मीठी मौसंबी में कम मात्रा में कैलोरी होती है और इसे खाने से भूख भी मिटती है। एक ग्लास मौसमी के जूस में एक छोटा चम्मच शहद डालकर खाने से अत्यधिक कैलोरी बर्न होती है।

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मोसंबी से प्रतिरोधक क्षमता बढती है - Mosambi se prartirodhak shamta badhti hai

मीठी मौसमी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है क्योंकि यह विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध होती है। यह रक्त को साफ करती है और शरीर का रक्त प्रवाह सही रखती है। मौसमी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने में मदद करती है। यह त्वचा में होने वाली सूजन को भी दूर करती है और संक्रमण से बचाती है। सर्दी जुकाम के लिए विटामिन सी बेहद अच्छा होता है। मीठी मौसमी विटामिन सी से समृद्ध होती है और इसे रोजाना खाने से बैक्टीरिया और वायरस के खिलाफ लड़ने में मदद मिलती है और इस तरह इम्यूनिटी बढ़ती है।

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मौसम्बी खाने से दो मुहें बालों की समस्या कम होती है - Mosambi khaane se do muhen balo ki samasya kam hoti hai

मीठी मौसमी त्वचा के साथ-साथ बालों के लिए भी बेहद अच्छी होती है। इस फल के जूस का इस्तेमाल बालों के उत्पादों के लिए किया जाता है जैसे शैम्पू, हेयर मास्क और बालों से जुडी समस्याओं के लिए मिलने वाली दवाइयां। यह रूसी और बाल झड़ने की परेशानी को भी कम करने में मदद करता है। साथ ही यह दो मुहें बालों के लिए बेहद प्रभावी होता है। इसके अलावा मौसमी के इस्तेमाल से बाल बेहद तेजी से बढ़ते हैं। खट्टे फलों के फायदों को देखते हुए कई उत्पादों में साइट्रस फलों को शामिल किया जाने लगा है।

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मौसमी फल रखे स्कर्वी रोग को दूर - Mausami fal rakhe scurvy rog ko door

जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया मीठी मौसमी में विटामिन सी होता है जो कि स्कर्वी रोग के इलाज के लिए बेहद आवश्यक है। स्कर्वी एक ऐसी बीमारी है जो विटामिन सी की कमी से होती है। इसके कुछ लक्षण जैसे मसूड़ों की सूजन, मुंह के छाले और जीभ के छाले, फटे होंठ, त्वचा पर चकत्ते, फ्लू आदि है। मीठी मौसमी मसूड़ों से खून को भी रोकने में मदद करती है। मौसमी खाने से मुंह की बदबू से भी छुटकारा मिलता है।

(और पढ़ें - मसूड़ों की सूजन कम करने के उपाय)

पीलिया में खाएं मोसंबी - Piliya me khaye mosambi

अगर आपको पीलिया है तो डॉक्टर ऐसे में मौसमी खाने की सलाह देते हैं। इसमें कई खनिज पदार्थ और विटामिन मौजूद होते हैं जो वयस्क को होने वाली पीलिया की बीमारी का इलाज करने में मदद करते हैं। यह लीवर को कार्य करने के लिए बढ़ावा देता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।

(और पढ़ें - पीलिया को दूर करने के उपाय)

मौसमी फल पेप्टिक अल्सर से दिलाए छुटकारा - Mausami fal peptic alsar se dilaye chutkara

पेट की परत, छोटी आंत का ऊपरी भाग या खाने की नली के निचले भाग में होने वाले छालों को पेट में अल्सर कहते हैं। मौसमी में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीबायोटिक गुण होते हैं, जिनके कारण पेप्टिक अल्सर करने वाला बैक्टीरिया (हेलिकोबैक्टर पायलोरी) पेट में जीवित नहीं रह पाता। इस तरह मीठी मौसमी खाने से पेप्टिक अल्सर को बढ़ावा देने वाले बैक्टीरिया मर जाते हैं और पेप्टिक अल्सर की समस्या धीरे-धीरे कम होने लगती है।

(और पढ़ें - पेट के अल्सर के घरेलू उपाय)

मौसमी फल सिकल सेल एनीमिया बीमारी को करता है दूर - Mausami fal sickle cell anemia bimari ko karta hai door

अनुवांशिक बीमारी, सिकल सेल एनीमिया, लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करती है। इस स्थिति में लाल रक्त कोशिकाएं दरांती के आकार की होने लगती हैं और कठोर व चिपचिपी बन जाती हैं। परिणामस्वरुप, शरीर के विभिन्न अंगों में ब्लड सर्कुलेशन और ऑक्सीजन की आपूर्ति सही तरह से नहीं हो पाती, जिस वजह से उत्तक खराब होने लगते हैं और शरीर में गंभीर दर्द की समस्या होने लगती है। शोध ने पाया कि खट्टे फल बीमारियों से बचाते हैं और लाल रक्त कोशिकाओं के आकार में आए बदलावों को बढ़ने से रोकते हैं।

जिन लोगों को यह बीमारी होती है उन्हें परजीवियों से होने वाली बीमारियां होने की संभावना भी अधिक होती है, जैसे मलेरिया। इन मामलों में, आमतौर पर दर्द शरीर में पानी की कमी से, एसिडोसिस और बुखार के कारण होता है। हाल ही में की गयी एक रिसर्च के अनुसार, जिन लोगों को सिकल सेल एनीमिया के साथ मलेरिया है तो उन्हें मीठी मौसमी खानी चाहिए। इससे मलेरिया के परजीवी मर जाते हैं और लाल रक्त कोशिकाओं को पहुंचने वाले नुकसान कम हो जाता है।

(और पढ़ें - मलेरिया से बचने का तरीका)

 

गठिया रोग में खाएं मोसंबी - Gathiya rog me khaye mosambi

मीठी मोसंबी में एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर, खनिज और अन्य पोषक तत्व होते है। यह सभी पोषक तत्व सूजन को कम करते हैं और यह सूजन गठिया से पीड़ित लोगों को प्रभावित करती है। मीठी मौसमी का सबसे बड़ा घटक है विटामिन सी, जो कि शरीर के उत्तकों में आयी सूजन को कम करने में मदद करता है। मौसमी फोलिक एसिड और विटामिन सी से समृद्ध होती है, जो ऑस्टियोआर्थराइटिसरूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या से बचाव करती है। कार्टिलेज (कार्टिलेज मजबूत तथा लचीले ऊतक होते हैं, जो जोड़ों में पाए जाते हैं, और दो हड्डियों को आपस में जोड़ने का काम करते हैं।) से जुड़े पुराने विकार को ऑस्टियोआर्थराइटिस कहते हैं जबकि ऑटोइम्यून रोग (Autoimmune disease) जिसकी वजह से जोड़ों में दर्द होता है उसे रूमेटाइड आर्थराइटिस कहते हैं।

(और पढ़ें - गठिया में परहेज)

मौसमी कैंसर से बचाव करती है - Mausami cancer se bachav karti hai

कैंसर बहुत ही खतरनाक बीमारी है जो आजकल काफी बढ़ती जा रही है। कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो कोशिकाओं के अनियंत्रित विकास के दौरान शरीर को नुकसान पहुंचाती है। कैंसर का इलाज करने के लिए कई लैब टेस्ट व ट्रीटमेंट करवाने पड़ते हैं। हालांकि, घरेलू उपायों की मदद से भी आप कैंसर जैसी बीमारी का इलाज कर सकते हैं। मीठी मौसमी में एंटीकैंसर घटक होते हैं जो असामान्य कोशिकाओं को बढ़ने से रोकते हैं, इस तरह कैंसर के अलग-अलग प्रकार से लड़ने में मदद मिलती है। कई खट्टे फल में हैस्पेराइडिन (प्राकृतिक बायोफ्लेवनॉइड) होता है जो कि एक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट है। यह ब्रैस्ट कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, लंग कैंसर और लिवर कैंसर से भी बचाता है।

(और पढ़ें - कैंसर में क्या खाना चाहिए)

मौसमी खाने के नुकसान इस प्रकार हैं –

1. मौसमी से एसिडिटी होती है -

मौसमी में साइट्रिक एसिड व विटामिन सी होता है और अधिक मात्रा में मीठी मौसमी खाने से एसिडिटी की समस्या हो सकती है। (और पढ़ें - एसिडिटी से छुटकारा पाने के उपाय)

2. मौसमी या खट्टे फलों पर आधारित तेल लगाने से एलर्जी हो सकती है -

मौसमी का तेल लगाने से सूरज की रौशनी में त्वचा अधिक संवेदनशील हो जाती है। जिन लोगों की त्वचा संवेदनशील है और मौसमी के तेल से एलर्जी है वे अपनी त्वचा के लिए कोई भी उत्पाद खरीदने से पहले एक बार पैकेट पर देख लें कि उसमें मौसमी का तेल है या नहीं। (और पढ़ें - सनस्क्रीन क्या है)

3. गर्ड (एसिड भाटा रोग) -

गर्ड तब होता है, जब पेट में उत्पन्न एसिड या कभी-कभी पेट में मौजूद तत्व आपकी भोजन नली (Esophagus) में वापस आ जाते हैं। मौसमी में एसिड होता है, जिसकी वजह से आपकी खाने की नली को नुकसान पहुंच सकता है और इससे एसिड भाटा रोग बढ़ सकता है। 

4. मौसमी खाने से दांतों की परत खोखली हो जाती है -

मीठी मौसमी में मौजूद साइट्रिक एसिड दांतों की परत (दांतों की सफेद परत) को खोखला कर सकता है। एसिड दांतों की परत को खोखला कर देता है और दांतों में संवेदनशीलता व दर्द जैसी समस्याओं को बढ़ा सकता है। (और पढ़ें - दांतों को चमकाने करने के उपाय)

5. गर्भावस्था के दौरान सावधान रहें -

जब महिला गर्भवती होती है तो उसकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और इसकी वजह से पेट संबंधी समस्याएं बढ़ने लगती हैं। अगर आप अधिक मात्रा में मीठी मौसमी का जूस लेते हैं तो गर्भवती महिला के लिए यह हानिकारक हो सकता है। इससे पेट दर्द, पेट में मरोड़ और डायरिया की भी समस्या हो सकती है। (और पढ़ें - पेट दर्द के घरेलू उपाय)

6. मौसमी से उल्टी और मतली हो सकती है -

मीठी मौसमी चक्कर या सिरदर्द में मदद करती है, लेकिन अगर इसे आप अधिक मात्रा में खाते हैं तो इससे आपको उल्टी और पेट में दर्द की समस्या हो सकती है। यह इसलिए होता है क्योंकि इसमें विटामिन सी होता है और अधिक विटामिन सी उल्टी व मतली का कारण बनता है। 

(और पढ़ें - सिर दर्द से छुटकारा पाने के उपाय)


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें मौसमी है

संदर्भ

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