हनुमान फल / लक्ष्मण फल / ग्राविओला जैसे नामों से जाना जाने वाला यह फल मैक्सिको, कैरिबियन और दक्षिण अमेरिका में पाया जाता हैं। इसका वैज्ञानिक नाम एनोना मूरिकाटा (Annona Muricata) हैं। इस फल का स्वाद स्ट्रॉबेरी और अनानास का एक स्वादिष्ट संयोजन है और दुनिया के इन हिस्सों में बहुत लोकप्रिय हैं। अफ्रीका और कभी-कभी दक्षिण-पूर्वी एशिया में और यहां तक ​​कि फ्लोरिडा में भी इसकी खेती की जाती हैं। यह फल Annona फेमिली के अन्य फलों जैसे सीताफल, रामफल इत्यादि जैसा ही फल है और इस फेमिली में सबसे बड़े फलों में से एक हैं। इस फल के मुलायम पल्प और फाइबर का उपयोग पेय पदार्थ, डेसर्ट, शक्कर और कैंडी बनाने के लिए तथा साथ ही दुनिया के कई हिस्सों में प्रचलित पारंपरिक चिकित्सा उपचारों में भी किया जाता हैं।

स्वादिष्ट होने के साथ साथ इस फल में काफी मात्रा में विटामिन और पोषक तत्व पाए जाते हैं, प्रमुख रूप से विटामिन सी, विटामिन बी और कई एंटीऑक्सीडेंट यौगिक इत्यादि। इस फल के रस का उपयोग शरीर पर लगाने के लिए किया जाता हैं, जबकि इसके बीज का उपयोग पीस कर तथा इसकी पत्तियों का उपयोग काढ़ा बनाकर प्राकृतिक उपचार के लिए किया जाता हैं। इसके बीज और पत्तियों को एक साथ उपयोग करके आप एक स्ट्रांग चाय भी बना सकते हैं, जिसके हमारे शरीर में कई बेहतरीन लाभ होते हैं।

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  7. ग्रेविओला करता है प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत - Graviola for Immune System in Hindi
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  9. हनुमान फल के नुकसान - Hanuman Phal ke Nuksan in Hindi

परजीवी नियंत्रण: उन क्षेत्रों में जहां परजीवी संक्रमण अधिक सामान्य होते हैं, लक्ष्मण फल की विरोधी परजीवी प्रकृति के कारण यह एक लोकप्रिय उपचार बन गया हैं। फल की पत्तियों से बनी चाय पीकर आप अपने पेट को साफ कर सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपकी जठरांत्र प्रणाली सुचारू रूप से कार्य कर रही हैं। विटामिन C में समृद्ध होने के कारण, स्कर्वी और पेचिश के लिए प्राकृतिक उपचार के रूप में कई वर्षों से हनुमान फल का उपयोग किया जाता रहा हैं। हनुमान फल का रस जठरांत्र संबंधी मार्ग को शुद्ध करने और शरीर से अतिरिक्त विषों और लवण को निकालने के लिए एक बहुत प्रभावी मूत्रवर्धक भी हो सकता है। ऐल्कलॉइड (Alkaloids) और क्विनॉलोन (Quinolones) सहित, सूजन कम करने वाले घटक पेट में परजीवी को कम कर सकते हैं और पेट में किसी भी दर्द और जलन से राहत दिला सकते हैं। (और पढ़ें - पुदीने की चाय रखे पाचन स्वस्थ)

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यदि आप जोड़ो के दर्द या सूजन से पीड़ित हैं, खासकर गाउट या गठिया जैसी स्थितियों से, तो प्रभावित क्षेत्र पर हनुमान फल के काढ़े से मालिश करने से कुछ राहत मिल सकती हैं। हनुमान फल में पाए जाने वाले सूजन कम करने वाले यौगिक प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से उपचार करते हुए, दर्द को शांत और जोड़ो के लचीलेपन में सुधार भी करते हैं।

यदि आप खांसी, सर्दी या श्वसन सम्बंधित बीमारी के अन्य रूप से पीड़ित हैं, तो इस फल के सूजन कम करने वाले गुण आपके वायुमार्ग को साफ करने में, रक्त-संकुलन (शरीर के किसी एक भाग में खुन का असाधारण जमाव) से राहत देने और जलन शांत करने में मदद कर सकते हैं। यह कफ और बलगम को समाप्त करने का विश्वसनीय तरीका हैं, जहां कई रोगाणु जीवित रह सकते हैं। नाक छिद्रों और श्वसन तंत्रिकाओं की सूजन को कम करने से, यह चिकित्सा की गति भी बढ़ा सकता है। (और पढ़ें - सिर्फ दस मिनट में कफ और खांसी से पाएं छुटकारा)

हनुमान फल से बनी चाय का उपयोग सदियों से तनाव को मुक्त करने के लिए किया गया है। हनुमान फल में कुछ ऐसे सूजन को कम करने वाले और सुखदायक गुण हैं जो अत्यधिक तनाव और चिंता से छुटकारा पाने के लिए बहुत प्रभावी हैं। शरीर में तनाव वाले हार्मोन हानिकारक हो सकते हैं और आपके प्राकृतिक चयापचय चक्र के साथ-साथ आपकी नींद को भी प्रभावित कर सकते हैं। यदि आप अनिद्रा से पीड़ित हैं या आपको नींद में बेचैनी का अनुभव होता है, तो हनुमान फल से बनी चाय आपके लिए एक अच्छा विकल्प है। (और पढ़ें - एक गहरी नींद के लिए सोने से पहले अपनी बॉडी को इस तरह करें स्ट्रेच)

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आप हनुमान फल के बीज को पीसकर उसका पाउडर बनाकर त्वचा पर लगा सकते हैं ताकि त्वचा में कसाव आए और आपको चेहरे की झुर्रियों, बढ़ती उम्र के निशान और दाग-धब्बों को कम करने में मदद मिले। इस पेस्ट को प्रभावित क्षेत्रों में नियमित रूप से लगाने से ना केवल आप स्वस्थ त्वचा पाएंगे, बल्कि जीवाणु संक्रमण से स्वयं को सुरक्षित भी रख सकेंगे। (और पढ़ें - अगर बढ़ती झुर्रियों से हैं परेशान तो इस्तेमाल करें ये एंटी एजिंग फेस मास्क)

हनुमान फल का सबसे दिलचस्प लाभ इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे एसीटोजिनिन (acetogenins), क्विनॉलोन (quinolones) और ऐल्कलॉइड (alkaloids) से प्राप्त होता है। ये सीधे कैंसर की रोकथाम और ट्यूमर के आकार को कम करने के साथ जुड़े हुए हैं। हनुमान फल के अद्वितीय कार्बनिक यौगिकों पर व्यापक शोध किया गया है और क्या यह एक वैकल्पिक कैंसर उपचार है, इस पर भी व्यापक रूप से अध्ययन किया गया है। इसमें मौजूद एसिटोजिनिन गैर-सामान्य कोशिकाओं के विकास के लिए रक्त के प्रवाह को काट सकते हैं और ये पहले से ही स्तन, अग्नाशयी, प्रोस्टेट और फेफड़ों के कैंसर के इलाज के साथ सकारात्मक रूप से जुड़े हुए हैं।

ताज़ा पेय या डेसर्ट के माध्यम से अपने आहार में थोड़ा सा हनुमान फल शामिल करना आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत कर आपके समग्र स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। इस प्रकार यह कई बीमारियों को दूर रखता है। विटामिन सी में समृद्ध होने के कारण यह फल सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को उत्तेजित करता है। साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स मुक्त कणों को बेअसर करते हैं और लम्बे समय से चलती बीमारियों को रोकने में मदद करते हैं। (और पढ़ें - प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ)

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दर्द से राहत के लिए हनुमान फल घावों और ज़ख्मों पर बाहरी रूप में कई पीढ़ियों से इस्तेमाल किया गया है लेकिन दर्द को दूर करने के लिए आंतरिक रूप से भी यह काम आता है। इस प्रभावशाली उष्णकटिबंधीय फल के शामक और सूजन को कम करने के गुण सभी प्रकार के शरीर के दर्द के लिए एक अच्छा समाधान हैं। (और पढ़ें - जोजोबा तेल का उपयोग घाव के लिए)

  1. जानवरों पर किए गए प्रयोगों के अनुसार, यह पाया गया है कि यह पौधा रक्तचाप के स्तर को कम कर सकता है। यह पौधा रक्त वाहिकाओं को भी फैला सकता है इसलिए निम्न रक्तचाप वाले व्यक्ति को हर कीमत पर इसके सेवन से बचना चाहिए। वास्तव में, जो उच्च रक्तचाप के लिए दवा ले रहे हैं उनको इसके सेवन से पहले अपने डॉक्टरों से परामर्श लेना चाहिए। किसी भी अन्य प्राकृतिक उत्पाद की तरह, आपको इसे भी नियंत्रित मात्रा में ही उपभोग करना चाहिए। इसकी उच्च मात्रा उल्टी के साथ-साथ मतली के कारण भी पैदा कर सकती है।
  2. कई शोधों के अनुसार, इस पौधे के तने और पत्तियों का उपयोग करने बनाई गई चाय, न्यूरोटॉक्सिसीटी विकारों को जन्म दे सकती है।
  3. यदि आप अवसाद के लिए उपचार करवा रहे हैं और उसी के लिए दवाओं का सेवन कर रहे हैं, तो आपको निश्चित रूप से हनुमान फल के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि यह एंटी डेप्रेस्सेंट लाभों को अस्वीकार कर सकता है।
  4. अधिक लंबे समय के लिए इसका उपयोग शरीर में कवक और खमीर संक्रमण के विकास को जन्म दे सकता है।
  5. कई शोधों ने संकेत दिया है कि इस फल में मौजूद रसायन पार्किन्सन विकार से पीड़ित मनुष्यों में मौजूद है। इसलिए इस न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से पीड़ित रोगियों को इसके सेवन से बचना चाहिए, अन्यथा यह लक्षणों को खराब कर सकता है।
  6. यह हनुमान फल के गंभीर साइड इफेक्ट में से एक है। ग्रेविओला की अधिक खुराक शरीर की हृदय प्रणाली को प्रभावित कर सकती है। यह फल अपने अवसाद प्रभाव के लिए जाना जाता है। इसलिए, दिल की समस्याओं से पीड़ित लोगों को पूरी तरह से इसके उपयोग से बचने चाहिए।
  7. सौर्सोप का अत्यधिक सेवन गर्भाशय के संकुचन को उत्तेजित कर सकता है। गर्भवती महिलाओं को इसके उपयोग से बचना चाहिए क्योंकि इससे गर्भपात हो सकता है।
  8. हनुमान फल का सेवन तंत्रिका संबंधी विकारों के विकास को पैदा कर सकता है।

उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें हनुमान फल (लक्ष्मण फल) है

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