ग्रेस पीरियड के नुकसान
ग्रेस पीरियड में भी प्रीमियम न भरने पर कई नुकसान हो सकते हैं, भले ही पॉलिसी का प्रकार कुछ भी हो।
(1) पहले से मौजूद बीमारियों के लिए कवरेज का नुकसान
ज्यादातर बीमाकर्ताओं द्वारा दिए जाने वाले ग्रेस पीरियड के अंत तक, यदि प्रीमियम का भुगतान नहीं किया गया, तो पहले से मौजूद बीमारियों का कवरेज अमान्य किया जा सकता है। ऐसे में पॉलिसीधारक को पॉलिसी कॉन्ट्रेक्ट में निर्धारित वेटिंग पीरियड को फिर से पूरा करने की जरूरत हो सकती है।
(2) बीमा कवरेज का नुकसान
बीमा पॉलिसी का लाभ तब मिलता है जब आप समय पर क्लेम करते हैं। यदि आप समय पर या ग्रेस पीरियड के दौरान हेल्थ इन्शुरन्स प्रीमियम का भुगतान नहीं कर पाते हैं, तो आपके द्वारा किए गए क्लेम को अमान्य माना जा सकता है, जिससे आप अपनी पॉलिसी के तहत कवरेज खो सकते हैं।
(3) नो क्लेम बोनस का नुकसान
हेल्थ इन्शुरन्स लेने वाला व्यक्ति यदि क्लेम नहीं करता है, तो ऐसे में वह नो क्लेम बोनस का लाभ उठा सकता है। यूं समझिए हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी बीमाकर्ता को एक तरह से इनाम देती है, जिसमें या तो बीमा कंपनी कवरेज बढ़ा सकती है या प्रीमियम में डिस्काउंट दे सकती है। यदि ग्रेस पीरियड में भी प्रीमियम न भरा गया तो ऐसे में नो क्लेम बोनस का फायदा नहीं उठाया जा सकता है।
(4) गंभीर बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड का नुकसान
किडनी फेल होना, कैंसर या दिल का दौरा पड़ने जैसी कई गंभीर बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड होता है यानी पॉलिसी लेने के बाद तुरंत यह बीमारियां कवर नहीं होती है, इनके कवरेज के लिए आपको बीमा कंपनी द्वारा निर्धारित समय तक इंतजार करने की आवश्यकता होती है। ऐसा सिर्फ स्वास्थ्य बीमा में ही नहीं, बल्कि जीवन बीमा में भी होता है। ग्रेस पीरियड खत्म होते होते यदि प्रीमियम का भुगतान नहीं किया गया, तो बीमाधारकों को मजबूरन दोबारा से वेटिंग पीरियड काटना पड़ सकता है।
(5) लैप्स पॉलिसी को रिन्यू करने की ज्यादा लागत
सामान्य तौर पर, मौजूदा बीमा पॉलिसी लैप्स हो जाने के बाद नई बीमा पॉलिसी खरीदने की आवश्यकता होती है। ऐसे में ऊपर बताए गए नुकसान के साथ-साथ नो क्लेम बोनस व अन्य ऐसे लाभ नहीं उठाए जा सकते हैं, जिसकी वजह से आपकी प्रीमियम की दर कम हो सकती थी। अब यदि आप पॉलिसी रिवाइव करना चाहते हैं, तो यह पहले से चल रहे प्रीमियम की अपेक्षा महंगा पड़ सकता है।
रिवाइव पीरियड : ग्रेस पीरियड खत्म हो जाने के बाद बीमा कंपनियां एक निश्चित समय के अंदर पॉलिसी को फिर से सक्रिय या एक्टिव करने का विकल्प दे सकती हैं। इस समय को रिवाइव पीरियड के नाम से जाना जाता है।
(6) पॉर्टेबिलिटी लॉस
कुछ प्रकार की सामान्य बीमा पॉलिसियों में आपको मौजूदा बीमाकर्ता को बदलने और अपनी पॉलिसी को अपनी पसंद की बीमा कंपनी में पोर्ट करने का ऑफर मिलता है। हालांकि, यदि ग्रेस पीरियड खत्म होने तक प्रीमियम का भुगतान नहीं किया जाता है, तो पॉलिसी समाप्त हो जाती है और आप पॉर्टेबिलिटी जैसी सुविधा का लाभ नहीं ले सकते हैं।
पॉर्टेबिलिटी : उदाहरण से समझिए- आपने मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी सुना होगा, जिसमें नंबर वही रहता है और कंपनी बदल जाती है। ठीक वैसे ही इन्शुरन्स में भी पॉर्टेबिलिटी फीचर काम करता है, इसमें पॉलिसी वही रहती है और आप बीमा कंपनी बदल सकते हैं।
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