आमतौर पर स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों से बचने के लिए हेल्थ इन्शुरन्स लिया जाता है लेकिन इसका फायदा तभी लिया जा सकता है जब आप इसके प्रीमियम को समय पर भरते रहें। हालांकि, हर बीमित व्यक्ति हेल्थ इन्शुरन्स कराने के बाद प्रीमियम को समय पर भरने की सोचता है, लेकिन कई बार अधिक व्यस्त रहने या अचानक से नए खर्चे आने के बाद प्रीमियम भरने में व्यक्ति असमर्थ हो जाता है। ऐसे में सभी बीमा कंपनियां आपको कुछ दिन का समय देती हैं और इसी अतिरिक्त समय को हेल्थ इन्शुरन्स में ग्रेस पीरियड के नाम से जाना जाता है। ऐसे में कई तरह के प्रश्न मन में आ सकते हैं जैसे क्या पॉलिसी लैप्स हो जाएगी या आपको कवरेज मिलेगा या नहीं इत्यादि। इन प्रश्नों के जवाब नीचे आर्टिकल में दिए गए हैं -

  1. हेल्थ इन्शुरन्स में ग्रेस पीरियड क्या होता है? - What is the Grace Period in Health Insurance Plans in Hindi
  2. हेल्थ इन्शुरन्स में ग्रेस पीरियड के फायदे - Benefits of grace period in Health Insurance in Hindi
  3. हेल्थ इन्शुरन्स ग्रेस पीरियड कैसे काम करता है? - How Does Grace Period in Health Insurance Work in Hindi
  4. ग्रेस पीरियड खत्म होने के बाद क्या होता है? - What Happens After Insurance Grace Period is Over in Hindi
  5. वेटिंग पीरियड और ग्रेस पीरियड में अंतर - Difference between Waiting Period and Insurance Grace Period in Hindi
  6. क्या ग्रेस पीरियड खत्म होने के बाद प्रीमियम का भुगतान किया जा सकता है? - Can I pay the premium after the grace period ends in Hindi
  7. क्या स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में ग्रेस पीरियड 30 दिन होता है? - Is there a grace period of 30 days in all health insurance policy?
  8. समय पर प्रीमियम का भुगतान न करने के नुकसान - Drawbacks of Not Paying Premiums on Time
  9. याद रखने वाली बातें - Things to remember about Grace Period in Health Insurance in Hindi
  10. निष्कर्ष

सीधे शब्दों में कहें तो, ग्रेस पीरियड बीमा कंपनी की ओर​ से दिया जाने वाला वह एक्सट्रा समय है, जिसमें प्रीमियम भुगतान करने का दूसरा मौका मिलता है और यदि आप इस एक्सट्रा समय में प्रीमियम भर देते हैं तो पॉलिसी को लैप्स होने से बचाया जा सकता है। प्रीमियम भरने के लिए मिलने वाले इस अतिरिक्त​ समय को ग्रेस पीरियड कहते हैं। पॉलिसी के प्रकार के आधार पर ग्रेस पीरियड अलग-अलग हो सकता है। यदि आप छमाही या सलाना प्रीमियम जमा कर रहे हैं, तो आमतौर पर हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियां 30 दिनों का ग्रेस पीरियड देती हैं, जबकि मासिक रूप से प्रीमियम जमा करने पर 15 दिन का ग्रेस पीरियड दिया जाता है। यदि आप अपने प्लान से संबंधित ग्रेस पीरियड के बारे में जानना चाहते हैं, तो कृपया पॉलिसी बॉन्ड चेक करें।

उदा​हरण-

यदि आपने किसी हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी से पॉलिसी ली है, जिसमें प्रीमियम भरने की आखिरी तारीख (15 जुलाई 2021) तक आपने प्रीमियम जमा नहीं किया है, तो ऐसे में पॉलिसी बॉन्ड के अनुसार आपको ग्रेस पीरियड या एक्सट्रा दिन दिए जाएंगे। मान लीजिए ग्रेस पीरियड 30 दिनों का है, तो प्रीमियम जमा करने की अंतिम तारीख होगी 15 अगस्त 2021 और ग्रेस पीरियड यदि 15 दिनों का है तो अंतिम तारीख 30 जुलाई 2021 होगी।

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हेल्थ इन्शुरन्स में ग्रेस पीरियड के फायदे निम्नलिखित हैं :

  • पेनाल्टी से रखे दूर : आमतौर पर यदि आप प्रीमियम समय पर नहीं भरते हैं तो हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियां ग्रेस पीरियड यानी कुछ अतिरिक्त दिन देती हैं, जिसमें आप प्रीमियम भर सकते हैं, लेकिन यह समय भी निकल जाने पर आपको पेनाल्टी या फाइन भरना पड़ सकता है। ऐसे में ग्रेस पीरियड का पता करें और यदि आप किसी वजह से प्रीमियम भरने में चूक गए हैं, तो ग्रेस पीरियड में जमा कर दें।
  • पॉलिसी लैप्स का जोखिम नहीं : ग्रेस पीरियड में यदि आप प्रीमियम नहीं भरते हैं, तो पॉलिसी लैप्स होने का भी जोखिम बन जाता है। हालांकि, यह बीमा कंपनी पर निर्भर करता है कि वह ऐसी स्थिति में क्लेम को स्वीकार करती है या नहीं। यदि पॉलिसी लैप्स हो जाती है तो ऐसे में नई पॉलिसी खरीदने का ऑप्शन रह जाता है। यह पुरानी पॉलिसी से महंगी पड़ सकती है क्योंकि तब तक ग्राहक की उम्र ज्यादा हो जाती है, जिस कारण प्रीमियम ज्यादा देना पड़ता है। नई पॉलिसी लेने पर क्रिटिकल इलनेस और प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज के लिए वेटिंग पीरियड भी एक बार फिर से शुरू हो जाएगा।

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ग्रेस पीरियड ग्राहकों के लिए एक सुविधा है। हालांकि, इससे दोनों पक्षों को फायदा होता है - ग्राहक को प्रीमियम भरने के लिए जहां अतिरिक्त समय मिल जाता है वहीं, कंपनी के साथ भी ग्राहक बने रहते हैं। देखा जाए तो बीमा कंपनी के लिए पॉलिसीधारकों को ग्रेस पीरियड देना कुछ हद तक जरूरी भी होता है, क्योंकि अक्सर वित्तीय स्थितियों से जूझने की वजह से कुछ लोग समय पर प्रीमियम का भुगतान नहीं कर पाते हैं। ऐसे में ग्रेस पीरियड पॉलिसीधारकों के लिए ढाल के रूप में काम करता है।

इन्शुरन्स ग्रेस पीरियड से संबंधित रेगुलेशन्स को उदाहरण की मदद से समझते हैं -

X नाम के व्यक्ति ने स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदी, लेकिन अचानक से आमदनी रुक जाने की वजह से वे समय पर प्रीमियम नहीं जमा कर सके। इसे ध्यान में रखते हुए, बीमाकर्ता ने उस व्यक्ति को प्रीमियम जमा करने के लिए 15 दिनों का ग्रेस पीरियड दिया। उन्होंने इस सुविधा का लाभ उठाते हुए कैसे तैसे प्रीमियम जमा कर दिया।

ग्रेस पीरियड से जुड़े कुछ अन्य तथ्य जो आपको पता होने चाहिए :

  • यदि आप ग्रेस पीरियड के अंदर प्रीमियम का भुगतान नहीं कर पाते हैं, तो ग्रेस पीरियड खत्म होने के बाद क्लेम को बीमाकर्ता कंपनी द्वारा खारिज किया जा सकता है।
  • ग्रेस पीरियड खत्म होने के बाद आपकी बीमा पॉलिसियों के कुछ लाभ जैसे 'नो क्लेम बोनस' और 'पहले से मौजूद बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड', का लाभ नहीं लिया जा सकता है।
  • ग्रेस पीरियड खत्म होने के बाद, भुगतान न करने के कारण पॉलिसी रद्द हो सकती है।

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जैसा कि ऊपर बताया गया है, ग्रेस पीरियड खत्म होने पर आप पॉलिसी का लाभ नहीं ले पाएंगे। यूं समझिए यह बीमाधार​क के लिए उसके परिवार के प्रति एक तरह की जिम्मेदारी है, प्रीमियम का भुगतान नहीं करने का अर्थ है कि उसने अपने प्रियजनों के साथ वित्तीय सुरक्षा संबंधी समझौता किया है, भले ही प्रीमियम न भरना आपकी कोई बड़ी मजबूरी क्यों न हो।

ग्रेस पीरियड खत्म होने के बाद पॉलिसीधारक को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि इससे पहले तक किए गए भुगतान का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। साथ ही, आश्रित लोग भी वित्तीय सहायता खो देते हैं।

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यदि आप वेटिंग पीरियड और ग्रेस पीरियड में अंतर को लेकर भ्रम में हैं, तो बता दें वेटिंग पीरियड वह दिन होते हैं, जिन्हें काटने के बाद ही आप पॉलिसी के तहत क्लेम करने के ह​कदार हो सकते हैं। दूसरी ओर, ग्रेस पीरियड वह समय है, जिसमें बीमाधारकों को प्रीमियम भरने का एक और मौका मिलता है, यदि यह मौका भी वह खो देते हैं, तो पॉलिसी लैप्स हो जाती है और ऐसे में ब्याज के साथ प्रीमियम जमा करना पड़ सकता है।

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ग्रेस पीरियड अपने आप में  प्रीमियम जमा करने का एक और मौका है, यदि यह पीरियड भी निकल गया तो पॉलिसी खत्म हो जाती है और आमतौर पर  ऐसे में हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी पॉलिसी को रिन्यू नहीं करती हैं। हालांकि, आप पेनाल्टी भरकर बीमा हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी को रिवाइव कर सकते हैं। लेकिन यह बीमा कंपनी पर निर्भर करता है वह रिवाइव के लिए विकल्प देंगी या नहीं।

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विभिन्न स्वास्थ्य बीमा कंपनियां और पॉलिसी के प्रकार के आधार पर, ग्रेस पीरियड 24 घंटे से लेकर 30 दिन या इससे ज्यादा दिनों के लिए भी हो सकता है। सुनिश्चित करें कि आपने ग्रेस पीरियड जानने के लिए अपने पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स में मौजूद नियम और शर्तें पढ़ ली हैं, क्योंकि यह मान लेना ठीक नहीं है कि सभी स्वास्थ्य बीमा कंपनियां 30 दिनों के लिए ग्रेस पीरियड देती है।

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ग्रेस पीरियड के नुकसान

ग्रेस पीरियड में भी प्रीमियम न भरने पर कई नुकसान हो सकते हैं, भले ही पॉलिसी का प्रकार कुछ भी हो।

(1) पहले से मौजूद बीमारियों के लिए कवरेज का नुकसान

ज्यादातर बीमाकर्ताओं द्वारा दिए जाने वाले ग्रेस पीरियड के अंत तक, यदि प्रीमियम का भुगतान नहीं किया गया, तो पहले से मौजूद बीमारियों का कवरेज अमान्य किया जा सकता है। ऐसे में पॉलिसीधारक को पॉलिसी कॉन्ट्रेक्ट में निर्धारित वेटिंग पीरियड को फिर से पूरा करने की जरूरत हो सकती है।

(2) बीमा कवरेज का नुकसान

बीमा पॉलिसी का लाभ तब मिलता है जब आप समय पर क्लेम करते हैं। यदि आप समय पर या ग्रेस पीरियड के दौरान हेल्थ इन्शुरन्स प्रीमियम का भुगतान नहीं कर पाते हैं, तो आपके द्वारा किए गए क्लेम को अमान्य माना जा सकता है, जिससे आप अपनी पॉलिसी के तहत कवरेज खो सकते हैं।

(3) नो क्लेम बोनस का नुकसान

हेल्थ इन्शुरन्स लेने वाला व्यक्ति यदि क्लेम नहीं करता है, तो ऐसे में वह नो क्लेम बोनस का लाभ उठा सकता है। यूं समझिए हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी बीमाकर्ता को एक तरह से इनाम देती है, जिसमें या तो बीमा कंपनी कवरेज बढ़ा सकती है या प्रीमियम में डिस्काउंट दे सकती है। यदि ग्रेस पीरियड में भी प्रीमियम न भरा गया तो ऐसे में नो क्लेम बोनस का फायदा नहीं उठाया जा सकता है।

(4) गंभीर बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड का नुकसान

किडनी फेल होना, कैंसर या दिल का दौरा पड़ने जैसी कई गंभीर बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड होता है यानी पॉलिसी लेने के बाद तुरंत यह बीमारियां कवर नहीं होती है, इनके कवरेज के लिए आपको बीमा कंपनी द्वारा निर्धारित समय तक इंतजार करने की आवश्यकता होती है। ऐसा सिर्फ स्वास्थ्य बीमा में ही नहीं, बल्कि जीवन बीमा में भी होता है। ग्रेस पीरियड खत्म होते होते यदि प्रीमियम का भुगतान नहीं किया गया, तो बीमाधारकों को मजबूरन दोबारा से वेटिंग पीरियड काटना पड़ सकता है।

(5) लैप्स पॉलिसी को रिन्यू करने ​की ज्यादा लागत

सामान्य तौर पर, मौजूदा बीमा पॉलिसी लैप्स हो जाने के बाद नई बीमा पॉलिसी खरीदने की आवश्यकता होती है। ऐसे में ऊपर बताए गए नुकसान के साथ-साथ नो क्लेम बोनस व अन्य ऐसे लाभ नहीं उठाए जा सकते हैं, जिसकी वजह से आपकी प्रीमियम की दर कम हो सकती थी। अब यदि आप पॉलिसी रिवाइव करना चाहते हैं, तो यह पहले से चल रहे प्रीमियम की अपेक्षा महंगा पड़ सकता है।
रिवाइव पीरियड : ग्रेस पीरियड खत्म हो जाने के बाद बीमा कंपनियां एक निश्चित समय के अंदर पॉलिसी को फिर से सक्रिय या एक्टिव करने का विकल्प दे सकती हैं। इस समय को रिवाइव पीरियड के नाम से जाना जाता है।

(6) पॉर्टेबिलिटी लॉस

कुछ प्रकार की सामान्य बीमा पॉलिसियों में आपको मौजूदा बीमाकर्ता को बदलने और अपनी पॉलिसी को अपनी पसंद की बीमा कंपनी में पोर्ट करने का ऑफर मिलता है। हालांकि, ​यदि ग्रेस पीरियड खत्म होने तक प्रीमियम का भुगतान नहीं किया जाता है, तो पॉलिसी समाप्त हो जाती है और आप पॉर्टेबिलिटी जैसी सुविधा का लाभ नहीं ले सकते हैं।
पॉर्टेबिलिटी : उदाहरण से समझिए- आपने मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी सुना होगा, जिसमें नंबर वही रहता है और कंपनी बदल जाती है। ठीक वैसे ही इन्शुरन्स में भी पॉर्टेबिलिटी फीचर काम करता है, इसमें पॉलिसी वही रहती है और आप बीमा कंपनी बदल सकते हैं।

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स्वास्थ्य बीमाकर्ता यह सुनिश्चित करने के लिए ग्रेस पीरियड देते हैं कि आपका स्वास्थ्य कवरेज बरकरार रहे, भले ही आप देर से भुगतान करें।

ग्रेस पीरियड निकल जाने के बाद बीमाकर्ता कवरेज को रद्द कर सकते हैं, जिसके बाद क्लेम करने पर आपको कुछ नहीं मिलेगा।

यदि ग्रेस पीरियड में प्रीमियम जमा नहीं किया गया है, तो बीमाकर्ता कंपनी के पास य​ह ​अधिकार है कि वह पॉलिसी को रिन्यू करे या नहीं। यदि वह रिन्यू करने का विकल्प नहीं देता है, तो ऐसे में एकमात्र रास्ता नई पॉलिसी लेना होगा, जिसके लिए न सिर्फ प्रीमियम दर ज्यादा हो सकती है, बल्कि नियम व शर्तों में कुछ बदलाव भी किए जा सकते हैं।

कुल मिलाकर, ग्रेस पीरियड में भुगतान न करना या पॉलिसी रिन्यू न करना एक बीमाधारक के लिए असुविधा का कारण बन सकता है। इसलिए, सुनिश्चित करें कि आप समय पर प्रीमियम जमा करें और यदि किसी वजह से ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो कम से कम ग्रेस पीरियड का लाभ उठाएं। क्योंकि ऐसा न करना खुद को व परिवार को स्वास्थ्य संबंधी जोखिम में डालने के बराबर होगा।

यह भी याद रखें कि अगर आपकी पॉलिसी लैप्स हो गई और आपको नई पॉलिसी लेने की जरूरत है तो इस बार पहले से ज्यादा प्रीमियम भरना पड़ सकता है, क्योंकि वर्तमान में आपकी उम्र बढ़ चुकी होगी और ऐसे में बीमारियों का जोखिम भी बढ़ने लगता है। यदि आपको पहले से कोई बीमारी है तो नया हेल्थ प्लान खरीदना आपके लिए आसान नहीं होगा, आपको सब कुछ फिर से शुरू करना होगा।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में डिपेंडेंट कौन होते हैं)

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