किसी बीमारी या एक्सीडेंट के समय हेल्थ इन्शुरन्स का महत्व तो आप जानते ही हैं। इसके साथ ही हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियां ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को लुभाने के लिए कुछ विशेष पॉलिसी भी ऑफर करती हैं। जैसे - क्रिटिकल इलनेस इन्शुरन्स, कैंसर इन्शुरन्स, सीनियर सिटिजन इन्शुरन्स और प्री-एग्जिस्टिंग इलनेस इन्शुरन्स आदि। इसी तरह से हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियां हृदय रोगियों (हार्ट पेशेंट) के लिए भी हेल्थ इन्शुरन्स की पेशकश करती हैं। जिसमें गंभीर हृदय रोग सहित हृदय संबंधी की तरह की बीमारियों के लिए कवरेज प्रदान किया जाता है।
इंडियन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, कुल हार्ट अटैक के मामलों में से 50 फीसद से ज्यादा 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों में रिपोर्ट किए जाते हैं। यही नहीं 25 फीसद हार्ट अटैक के मामले 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों में सामने आते हैं। इस तरह से दो चौंकाने वाले आंकड़े प्रकट होते हैं - एक तो ये कि कुल हार्ट अटैक के मामलों में से 25 फीसद 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों में आते हैं, जबकि कहा जाता है कि कम उम्र में बीमारी का खतरा कम होता है। दूसरा यह कि कुल हार्ट अटैक के मामलों में से 25 फीसद मामले सिर्फ 40 से 50 वर्ष की उम्र के लोगों में आते हैं। इसलिए आपको अपने दिल का और ज्यादा ध्यान रखना चाहिए। यही कारण है कि कार्डियक हेल्थ इन्शुरन्स भी महत्वपूर्ण हो जाता है। हार्ट हेल्थ इन्शुरन्स बढ़ती मेडिकल कॉस्ट से बीमाधारक को सुरक्षित रखता है, अन्यथा यह बीमारी उसकी पूरी सेविंग्स को एक झटके में खत्म कर सकती है।
(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में क्या कवर नहीं होता है)
कार्डिएक हेल्थ इन्शुरन्स प्लान रिफ्रैक्टरी हार्ट फेलियर, मायोकार्डियल इंफार्क्शन या हार्ट अटैक और कार्डियोमायोपैथी जैसी एक्यूट हार्ट डिजीज में कवरेज प्रदान करता है। इस तरह की मेडिकल इमरजेंसी से बिना किसी तनाव के और पैसे की चिंता के निपटने के लिए हृदय रोगियों के लिए हेल्थ इन्शुरन्स लेना बेहद जरूरी हो जाता है। ज्यादातर हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियों के पास कार्डियक हेल्थ इन्शुरन्स प्लान है। आप अपने लिए सर्वोत्तम चुनकर निश्चिंत हो जाएं।