भारत में सदियों से स्क्वाट्स व्यायाम के विभिन्न रूपों का चलन रहा है। उदाहरण के लिए स्वतंत्रता-पूर्व के समय में महान भारतीय पहलवान गामा प्रतिदिन 5000 स्क्वाट्स का अभ्यास किया करते थे। हां उस दर्जे की मेहनत और व्यायाम करने का जज्बा हर किसी में होना मुश्किल है, लेकिन स्क्वाट्स के व्यायाम आपको लंबे समय पर शक्तिशाली और ऊर्जावान बनाए रखते हैं, विशेषज्ञों का ऐसा मानना है।
पुश-अप व्यायाम की तरह ही स्क्वाट भी सबसे सामान्य और प्रभावी बॉडीवेट व्यायामों में से एक हैं। आमतौर पर जिम में इस व्यायाम को नजरअंदाज कर दिया जाता है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर स्क्वाट्स व्यायाम को सही तरीके और तकनीक से किया जाए तो न सिर्फ इससे पैरों को मजबूती मलती है, साथ ही यह कई अन्य अंगों को दीर्घकालीन लाभ प्रदान करता है।
अन्य बॉडीवेट व्यायामों की तरह स्क्वाट करने के लिए आपको किसी उपकरण की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए बस आपको इतनी ही जगह की जरूरत होती है, जिसमें आप आराम से खड़े होकर इस व्यायाम को कर सकें। एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन के एक अध्ययन के अनुसार, शारीरिक निष्क्रियता प्रारंभिक मृत्यु दर के प्राथमिक लक्षणों में से एक है। इसके लिए स्क्वाट सबसे सरल और प्रभावी व्यायाम है, जिसे प्रयोग में लाकर आप आसानी से अपने शरीर के सभी अंगों को सक्रिय अवस्था में ला सकते है।
स्क्वाट्स व्यायाम से जोड़ों के साथ हड्डियों, मांसपेशियों को मजबूत बनाया जा सकता है। शरीर के निचले हिस्से की मांसपेशियों को शक्ति देने में यह व्यायाम काफी कारगर होता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि किस प्रकार से स्क्वाट्स व्यायाम को सही तरीके से करके इससे लाभ प्राप्त किया जा सकता है।