व्यायाम विशेषज्ञों का शुरू से मानना रहा है कि रनिंग यानी दौड़ लगाना हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है। लोग सुविधानुसार इस लाभ को प्राप्त करने के प्रयास में लगे रहते हैं। कुछ लोग ऐसे हैं जो सुबह होते ही पार्क पहुंच जाते हैं और दैनिक क्रिया के रूप में रनिंग करते हैं। वहीं कुछ लोग होते हैं जो जिम में ट्रेडमिल पर 10-20 मिनट भाग कर इस गतिविधि को पूरा करते हैं। इन दो प्रकार के लोगों के बाद नंबर आता है उस तीसरे वर्ग का जो रनिंग करने से खुद को बचाते रहता है। आपको शायद ज्ञात हो, अन्य व्यायाम की तरह रनिंग करने के दौरान भी शरीर एंडोर्फिन हार्मोन पैदा करता है जो इंसान को सकारात्मकता और खुशी की भावनाओं को देने में मददगार है।
यदि आपने कभी दौड़कर लंबी दूरी तय की हो तो यह मालूम होगा कि एक समय के बाद रुक जाने की कितनी तीव्र इच्छा होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उस वक्त आपको लगता है कि अब आप गिर जाएंगे। जब आप कुछ वक्त के लिए रुक कर आराम करते हैं तो फिर वह अनुभव खत्म हो जाता है। रुकने के दौरान आपका शरीर उन सभी बाधाओं से लड़ता है जो आपकी गति में रुकावट डाल रहे थे, और फिर से एक बार आप तैयार हो जाते हैं। यह वही गतिविधि है, जिसे बोलचाल की भाषा में रर्नस हाई के रूप में जाना जाता है। इसे दूसरी भाषा में ऐसे समझा जा सकता है- व्यायाम के दौरान शरीर में उत्पन्न एंडोर्फिन के चलते उपजी वह भावना जिससे आप तरोताजा, तनाव मुक्त और आराम का अनुभव करते हैं, वही है रर्नस हाई।
हालांकि, हाल में हुए कुछ शोधों ने एक अलग ही सिद्धांत प्रस्तुत किया है। उसके मुताबिक एंडोर्फिन सहित विभिन्न न्यूरोट्रांसमीटर रर्नस हाई के कारक हो सकते हैं।