फिट रहने के लिए वेट ट्रेनिंग, फ्लै‍क्‍सिबिलिटी और ऐरोबिक एक्‍सरसाइजों के साथ-साथ सर्किट ट्रेनिंग और क्रॉसफिट जैसे कई विशिष्‍ट तरीके होते हैं। इनमें से ज्‍यादातर वर्कआउट में एक ही मांसपेशियों का बार-बार कॉन्‍ट्रैक्‍शन और एक्‍सटेंशन होता है जिससे वो धीरे-धीरे टोन होती हैं, मसल्‍स बनती हैं या फैट घटता है।

आइसोमेट्रिक एक्‍सरसाइज, हालांकि, इसके विपरीत सिद्धांत पर काम करती है। इसमें कोई मूवमेंट नहीं होती है। आइसोमेट्रिक होल्‍ड को स्‍टेटिक स्‍ट्रेंथ ट्रेनिंग भी कहते हैं। फिटनेस विशेषज्ञ और अध्ययन इस बात पर बंटे हुए हैं कि क्या आइसोमेट्रिक एक्‍सरसाइज शरीर को ताकत देने में मदद करती है।

हालांकि, इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता है ये शरीर की मौजूदा स्‍ट्रेंथ को बनाए रखने के लिए बहुत अच्‍छी है और इससे इंजरी रिहैबिलिटेशन के दौरान दोबारा स्‍ट्रेंथ पाने में मदद मिलती है।

आइसोमेट्रिक एक्‍सरसाइज में कई मांसपेशियां और मसल ग्रुप शामिल होते हैं। इन एक्‍सरसाइजों में एक समय तक इन मांसपेशियों को कॉन्‍ट्रैक्‍ट करते रहना होता है। इससे शरीर में विभिन्‍न मांसपेशियों के विकास में मदद करता है। ये एक्‍सरसाइज ज्‍यादा मुश्किल मूवमेंट करते समय एथलेटिक परफॉर्मेंस में भी सुधार करता है।

लंबे समय तक दर्द, अकड़न, वर्कआउट इंजरी और रनिंग इंजरी एक्‍सरसाइज करने वालों को लगती रहती हैं और ये एथलीटों की रूटीन का एक हिस्‍सा है। चोट लगने के बाद पूरी तरह से फिट होने में स्‍ट्रेंथ वापिस पाने के साथ प्रभावित हिस्‍से में मोशन को पूरी तरह से ठीक करना शामिल होता है।

दुनियाभर के फिजिकल थेरेपिस्‍ट इंजरी यानि चोट लगने के बाद वापिस फिजिकल एक्टिविटी करने के लिए रिकवर होने में अपने रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम में आइसोमेट्रिक एक्‍सरसाइज को शामिल करते हैं।

  1. आइसोमेट्रिक एक्‍सरसाइज के फायदे - Benefits of isometric exercises in hindi
  2. कैसी होती हैं आइसोमेट्रिक एक्‍सरसाइज - Examples of isometric exercises in hindi
  3. आइसोमेट्रिक एक्‍सरसाइजों के लिए टिप्‍स - Tips for isometric exercises in hindi
  4. सारांश - Takeaways

आजकल हर तरह के वर्कआउट में आइसोमेट्रिक एक्‍सरसाइजों को शामिल किया जा रहा है। यहां तक कि इन्‍हें आप घर पर भी आसानी से कर सकते हैं। इसके कुछ लाभ हैं :

  • ब्‍लड प्रेशर : साल 2014 में प्रकाशित एक स्‍टडी के अनुसार 18 साल से अधिक उम्र के प्रतिभागियों का आठ हफ्तों के अंदर आइसोमेट्रिक एक्‍सरसाइजों से ब्‍लड प्रेशर में गिरावट आई।
  • मसल लॉस से बचाव : आइसोमेट्रिक होल्‍ड नियमित रूप से करने पर मसल टोन और स्‍ट्रेंथ को बनाए रखने में मदद मिलती है। यही वजह है कि एथलीटों के ट्रेनिंग रूटीन में इसे रखा जाता है। बुजुर्ग लोगों को भी ये एक्‍सरसाइज करनी चाहिए क्‍योंकि उम्र बढ़ने पर यह मसल लॉस से बचाता है, मांसपेशियों में ऊतकों, लिगामेंटों और टेंडनों को स्‍वस्‍थ रखती हैं।
  • कम समय लगता है : आइसोमेट्रिक एक्‍सरसाइजों को करने के लिए आपको ज्‍यादा समय निकालने की जरूरत नहीं होती है। आइसोमेट्रिक होल्‍ड कुछ सेकंड में हो जाता है।
  • मसल स्‍ट्रेंथ बढ़ती है : आइसोमेट्रिक होल्‍ड में मांसपेशियां कुछ समय के लिए एक पोजीशन में बनी रहती हैं इसलिए इसके लिए बाकी मूवमेंट वाली एक्‍सरसाइजों की तुलना में मसल स्‍ट्रेंथ ज्‍यादा चाहिए होती है। इस तरह मसल गेन होता है।
  • मसल इंजरी से बचाव : एंथलीटों को चोट लगने या लंबे समय से दर्द होने पर आइसोमेट्रिक एक्‍सरसाइज फायदा पहुंचाती हैं। रिहैबिलिटेशन के दौरान फिजियोथेरेपिस्‍ट लगातार इनका इस्‍तेमाल करते हैं। ये एक्‍सरसाइज शरीर के कमजोर हिस्‍सों को मजबूत करने में भी मदद करती हैं और चोट लगने से बचाती हैं और हड्डियों को ताकत देकर ऑस्टियोआर्थराइटिस एवं ऑस्टियोपोरोसिस से बचाती है।
  • लचीलापन बढ़ता है : इन एक्‍सरसाइजों में लंबे समय तक एक पोजीशन में रूकना पड़ता है। आइसोलेटिड होल्‍ड किसी खास मसल ग्रुप के मोशन को ठीक करने में मदद करती है।
  • वजन घटाना : आइसोमेट्रिक एक्‍सरसाइज में लंबे समय तक एक ही पोजीशन में मांसपेशियों को रखना पड़ता है जिससे कैलोरी जल्‍दी खर्च हो सकती है। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्‍म बढ़ता है और वजन कम करने में मदद मिलती है।
  • कोई इक्‍यूपमेंट नहीं : ज्‍यादातर आइसोमेट्रिक एक्‍सरसाइजों में कोई वजन उठाने या किसी इक्‍यूपमेंट की जरूरत नहीं होती है और आप इसे कहीं भी कर सकते हैं। इसमें कुछ एडवांस मूवमेंट करने के लिए वेट और इक्‍यूपमेंट्स का इस्‍तेमाल किया जा सकता है।
  • शरीर की सभी मांसपेशियों पर करता है काम : आइसोलेटिड एक्‍सरसाइजों में शरीर के सभी प्रमुख मसल ग्रुप एंगेज होते हैं। उदाहरण के तौर पर, जब आप प्‍लैंक में होते हैं जो बांहों, कंधों, पीठ, धड़क, कूल्‍हों, टांगों और पैर की उंगलियां तक शामिल होती हैं।
  • तनाव होता है दूर : किसी अन्‍य फिजिकल एक्टिविटी की तरह आइसोमेट्रिक एक्‍सरसाइजों से शरीर में एंडोर्फिन बनाने में भी मदद मिलती है। एंडोर्फिन हार्मोन पॉजिटिव महसूस करवाता है। यह डिप्रेशन, एंग्‍जायटी, स्‍ट्रेस और अन्‍य मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं से लड़ने में मदद करता है।
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आइसोमेट्रिक एक्‍सरसाइज कई तरह की होती है और अलग-अलग समय पर शरीर के विभिन्‍न मसल ग्रुप इसमें शामिल होते हैं। फिटनेस एक्‍सपर्ट फिटनेस में सुधार लाने के लिए रोज एक्‍सरसाइज रूटीन में आइसोमेट्रिक एक्‍सरसाइज को शामिल करने की सलाह देते हैं। यहां हम आपका कुछ एक्‍सरसाइज बता रहे हैं, जो आपके वर्कआउट प्रोग्राम का हिस्‍सा बन सकते हैं।

प्‍लैंक

इस आसान एक्‍सरसाइज से कोर स्‍ट्रेंथ और स्‍टेबिलिटी में धीरे-धीरे सुधार आता है जिसमें आपको ग्रैविटी के फोर्स के विपरीत खुद को होल्‍ड करने की जरूरत होती है। इस एक्‍सरसाइज को आप कुछ अलग तरीकों से कर सकते हैं।

तरीका

  • पेट के बल लेट जाएं और फोरआर्म्‍स (कोहनी के नीचे का हिस्‍सा) को जमीन पर इस तरह रखें कि आपके हाथ सीधे कंधों के नीचे आएं।
  • अब खुद को सीधा उठाएं और सिर से लेकर पैरों तक सीधा रहें। जमीन पर सिर्फ फोरआर्म और पैर की उंगलियां होनी चाहिए।
  • नॉर्मली सांस लें और इस पोजीशन में लगभग 30 सेकंड तक रूकें। धीरे-धीरे समय बढ़ाते रहें।

साइड प्‍लैंक

यह प्‍लैंक एक्‍सरसाइज का एक रूप है जिसमें शरीर की साइड की मांसपेशियों को टारगेट किया जाता है जो कि ओब्‍लिक हैं।

तरीका

  • करवट लेकर लेट जाएं और एक टांग को दूसरी टांग पर रखें। फोरआर्म मैट या जमीन पर होनी चाहिए और आपकी कोहनी कंधे की लाइन के अंदर होनी चाहिए।
  • शरीर को सीधा रखें और खुद को ऊपर उठाएं। शरीर की एक साइड पर हाथ को टिका कर रखें।
  • नॉर्मली सांस लें और दोनों साइडों में इस पोजीशन में 20 सेकंड तक रहें।

वॉल सिट

यह एक्‍सरसाइज बिना कुर्सी के दीवार के सहारे बैठकर की जाती है। इसमें शरीर की निचले हिस्‍से की मांसपेशियां शामिल होती हैं और यह कोर-क्रंचिंग हेल्‍ड भी अच्‍छा करती है।

तरीका

  • सिर और पीठ दीवार को छूती होनी चाहिए और आप बैठ जाएं। आपके पैर दीवार से दो फीट दूर होने चाहिए।
  • घुटनों के लेवल पर कूल्‍हों को नीचे स्‍क्‍वैट पोजीशन में लाएं।
  • आप अपनी बांहों को सीधे आगे बढ़ाकर या उन्हें अपने सिर के पीछे लॉक करके अपने आप को संतुलित कर सकते हैं।
  • इस पोजीशन में 30 सेकंड तक रहें और सामान्‍य रूप से सांस लें।

आइसोमेट्रिक लेटरल रेज

कंधों और पीठ की मांसपेशियों पर काम करने के लिए यह बेहतरीन एक्‍सरसाइज है।

तरीका

  • टांगों को चौड़ा कर के सीधे खड़े हो जाएं। आप अपने दोनों हाथों में हल्‍के डंबल उठा सकते हैं।
  • दोनों हाथों को साइड में कंधों तक ऊपर उठाएं और आपकी कोहनी मुड़नी नहीं चाहिए।
  • दोनों हाथों को एक ही लेवल पर रखें और 30 सेकंड के लिए इस पोजीशन में रहें और सामान्‍य रूप से सांस लें।

ओवरहेड होल्‍ड

शरीर के ऊपरी हिस्‍से की मांसपेशियों को एंगेज करने वाली यह भी एक एक्‍सरसाइज है। इसमें कंधों के जोड़ शामिल होते हैं। यह एक्‍सरसाइज मुश्किल हो सकती है।

तरीका

  • सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथों में मध्‍यम वजन वाली प्‍लेट, डंबल या केटलबेल पकड़ें और ये आपके सिर के ऊपर होनी चाहिए।
  • सीधे खड़े रहें, सामान्‍य रूप से सांस लें और 30 सेकंड तक इस पोजीशन में रहें।

डैड हैंग

एक हॉरिजोंटल बार पर लटकने से शरीर के कई हिस्‍सों जैसे कि बांहों, कंधों, पीठ और कोर की मूवमेंट होती है। इससे रीढ़ को लंबा या स्‍ट्रेच करने में भी मदद मिलती है। यह पुल-अप्‍स बेहतर तरीके से करने के लिए स्‍ट्रेंथ भी बढ़ाता है।

तरीका

  • एक पुल-अप बार के नीचे खड़े हो जाएं और इसको पकड़ कर लटक जाएं।
  • सामान्‍य रूप से सांस लें और इस पोजीशन में 30 सेकंड तक रहें।

लेग लिफ्ट

इस एक्‍सरसाइज से पीठ के निचले हिस्‍से, पेट और टांगों की मांसपेशियां सक्रिय होती हैं।

तरीका

  • एक हॉरिजॉन्‍टल बार पर लटक जाएं।
  • टांगों को उठाकर अपने सामने जाएं और आपकी बॉडी L शेप में होनी चाहिए।
  • नॉर्मली सांस लेते समय 10 सेकंड के लिए इस पोजीशन में रहें।

बॉडी होल्‍ड

ये एक मुश्किल एक्‍सरसाइज है। इससे कोर स्‍ट्रेंथ बनती है और बॉडी के संतुलन में भी सुधार आता है।

तरीका

  • घुटनों को मोड़कर जमीन पर बैठ जाएं।
  • टांगों को सीधा रखें और ऊपर उठाएं। शरीर को V शेप में लाकर बाहों को सीधे ऊपर उठाएं।
  • नॉर्मली सांस लें और 15 सेकंड तक इस पोजीशन में रहें।

ऊपर बताई गई एक्‍सरसाइजों के अलावा और भी कई अन्‍य होल्‍ड होते हैं तो पूरे ट्रेनिंग रूटीन में असरकारी हो सकते हैं। हालांकि, इन्‍हें करने के दौरान आपको कुछ बातों का ध्‍यान रखना चाहिए, जैसे कि :

  • ऊपर बताई गई सभी एक्‍सरसाइज तीन या पांच सेट में करनी चाहिए। ये आपके कंफर्ट लेवल पर भी निर्भर करता है।
  • किसी भी एक्‍सरसाइज के दौरान सांस लेना बंद न करें। सांस पर ध्‍यान देते हुए आप ज्‍यादा देर तक पोजीशन में रह सकते हैं।
  • कोई भी एक्‍सरसाइज करते समय आप सही पोस्‍चर बनाकर रखें। आपकी गलत तकनीक से दर्द और चोट लग सकती है।
  • आइसोमेट्रिक एक्‍सरसाइज से आपके मौजूदा वर्कआउट प्‍लान में मदद मिल सकती है या कुछ होल्‍ड की मदद से आप इसे ही अपना वर्कआउट बना सकते हैं।
  • इन एक्‍सरसाइजों को करते समय सही कपड़े और फुटवियर पहनें।
  • एक बार जब आप थोड़ी देर तक पोजीशन में होल्ड करने लग जाते हैं, तब आप ज्‍यादा सेट कर सकते हैं। इसमें आप वेट भी जोड़ सकते हैं।
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आइसोमेट्रिक एक्‍सरसाइजों से न सिर्फ कोर स्‍ट्रेंथ बढ़ती है बल्कि शरीर का संतुलित और स्थिरता में सुधार आता है। इससे मूवमेंट वाली स्‍ट्रेंथ ट्रेनिंग एक्‍सरसाइजों में परफॉर्मेंस में भी सुधार आता है। आइसोमेट्रिक एक्‍सरसाइजों से मांसपेशियों को मजबूती मिल सकती है और आप ज्‍यादा वेट उठा पाते हैं।

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