जिम में आपको अक्सर भीड़ दिखती होगी, इसमें भी सबसे ज्यादा व्यस्त रहता है कार्डियो सेक्शन। सुबह-शाम लोग ट्रेडमिल पर दौड़ते-भागते नजर आ ही जाते हैं, बाकी लोग हाथों और पैरों के व्यायाम के लिए 'एलिप्टिकल मशीन' का सहारा लेते हैं। एलिप्टिकल मशीन को व्यायाम की भाषा में क्रॉस ट्रेनर के नाम से जाना जाता है। क्रॉस ट्रेनर ऐसी मशीन है, जिसमें एक साथ हाथ और पैर दोनों का व्यायाम किया जाता है।

साल 1995 में फिटनेस कंपनी प्रीकॉर द्वारा इस मशीन का आविष्कार किया गया था। तब से लेकर अब तक यह दुनियाभर के जिम और फिटनेस सेंटर्स में एक प्रमुख मशीन के रूप में पहचान बना चुकी है। हालांकि, अन्य दूसरे जिम उपकरणों की ही तरह क्रॉस ट्रेनर कितना प्रभावी है, इस पर लंबे समय से बहस होती रही है। इन सब के बीच इस लेख में हम आपको क्रॉस ट्रेनर मशीन के जरिए एक्सरसाइज करने के फायदे और इससे जुड़ी हर छोटी-मोटी जानकारी देंगे।

  1. किस तरह से काम करता है क्रॉस ट्रेनर? - Cross Trainer workout kis trah se kiya jata hai
  2. क्रॉस ट्रेनर के फायदे? - Cross trainer workout ke fayede
  3. क्रॉस ट्रेनर से पेट की चर्बी कम कर सकते हैं? - Belly fat kam karne me cross trainer workout hai faydemand
  4. क्या क्रॉस ट्रेनर, ट्रेडमिल से बेहतर है? - Cross trainer behtar hai ya treadmill?
  5. क्रॉस ट्रेनर मशीन कितनी लागत में मिल सकती है? - Cross trainer ks cost kitna hota hai?

क्रॉस ट्रेनर, व्यायाम के लिए प्रयोग में लायी जाने वाली उन मशीनों में से है जो आपको अमूमन सभी जिम और फिटनेस सेंटरों में आसानी से मिल जाएगी। इस मशीन में दो हैंडल और दो फुट पैडल होता है। मशीन के साथ व्यायाम को शुरू करने के लिए सबसे पहले अपने दोनों पैरों को पैडल पर रखकर दोनों हाथों से हैंडल को पकड़ना होता है।

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, क्रॉस ट्रेनर में अलग-अलग गतिविधियों और व्यायामों को मिलाकर एक बेहतरीन वर्कआउट तैयार किया जाता है। चलने, दौड़ने या सीढ़ियों चढ़ने जैसे अभ्यास इस मशीन की मदद से एक साथ ही किए जा सकते हैं। इससे एक बार में ही आप पूरे शरीर का व्यायाम कर सकते हैं।

क्रॉस ट्रेनर मशीन पर आप पैरों, कूल्हों, पीठ, कोर, छाती, कंधों और बाहों के विभिन्न हिस्सों के व्यायाम के लिए खुद को आसानी से एडजस्ट कर सकते हैं। मशीन पर आगे और पीछे दोनों ओर पैडल मारते हुए आप एक साथ विभिन्न मांसपेशियों के समूहों का व्यायाम कर सकते हैं।

क्रॉस ट्रेनर मशीन पर व्यायाम के दौरान कोशिश करें कि जल्दी से जल्दी आप लय और गति प्राप्त कर लें। पूरे अभ्यास के दौरान अपनी शारीरिक स्थिति का विशेष ध्यान रखें। मशीन के साथ अभ्यास शुरू करने से पहले मशीन को अपने अनुसार सही से एडजस्ट कर लें। ध्यान रखें कि अभ्यास के दौरान आपकी पीठ सीधी रहे। किसी भी समय हैंडल का सहारा लेते हुए पीठ को आगे की ओर न झुकाएं। इतना ही नहीं अपनी एड़ियों को भी स्थिर रखें, इन्हें भी पैडल से न उठाएं।

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ट्रेडमिल या अन्य कार्डियो आधारित मशीनों की तुलना में एलिप्टिकल मशीनों को लेकर हमेशा से लोगों के मन में कई प्रकार के सवाल रहे हैं। इस बारे में फिटनेस विशेषज्ञों का मानना है कि क्रॉस ट्रेनर का उपयोग करना बहुत आसान है। इस पर अभ्यास करने से आपके पूरे शरीर का व्यायाम आसानी से हो जाता है।

यदि आपको गठिया या घुटनों में दर्द की कोई शिकायत है तो आपके लिए ट्रेडमिल पर दौड़ने से कहीं बेहतर क्रॉस ट्रेनर पर अभ्यास करना हो सकता है। क्रॉस ट्रेनर पर सिर्फ 20 मिनट किया गया अभ्यास कैलोरी बर्न करने में सहायक है। वार्म अप के लिए आप मशीन पर धीरे-धीरे अभ्यास के साथ शुरुआत कर सकते हैं। वहीं यदि आप वजन कम करना चाहते हैं तो पूरी गति के साथ व्यायाम कर सकते हैं।

कार्डियो एक्सरसाइज हार्ट रेट बढ़ाने, फेफड़ों की क्षमता में सुधार करने के साथ शरीर को मजबूती भी देता है। इसी तरह क्रॉस ट्रेनर पर वर्कआउट करने से भी आपको ये सारे लाभ प्राप्त हो सकते हैं। इस एक मशीन से आप कई प्रकार से लाभ प्राप्त कर सकते हैं, बस एक बार आपको इसके साथ अभ्यस्त हो जाने की आवश्यकता है। इसके बाद आप अपनी क्षमतानुसार मशीन के सेटिंग्स में बदलाव कर इसकी गति को सेट कर सकते हैं।

आप चाहें तो घर में या फिर जिम-फिटनेस सेंटरों में इस मशीन के साथ दैनिक रूप से व्यायाम कर सकते हैं। ट्रेडमिल की तुलना में क्रॉस ट्रेनर का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप क्रॉस ट्रेनर के जरिए अपने कंधों और बाजुओं का भी व्यायाम कर सकते हैं।

क्रॉस ट्रेनर से आपको निम्न लाभ भी मिलते हैं।

वजन कम करने में सहायक

कैलोरी बर्न करने वाले सबसे प्रभावी व्यायामों में से एक है क्रॉस ट्रेनर। इसके माध्यम से आप महज आधे घंटे में 270 से 400 कैलोरी तक आसानी से बर्न कर सकते हैं। आपके शरीर का वजन जितना अधिक होगा, आप उतनी ही अधिक कैलोरी बर्न करेंगे। बेशक, आप क्रॉस ट्रेनर की गति को जितना ज्यादा रखेंगे उसी के आधार पर आप ज्यादा से ज्यादा कैलोरी भी बर्न कर सकेंगे। इसके अलावा, चूंकि क्रॉस ट्रेनर कम तीव्रता वाला व्यायाम है ऐसे में अधिक वजन वाले लोग भी बिना अपने जोड़ों पर ज्यादा दबाव डाले, सुरक्षित रूप से इस व्यायाम को कर सकते हैं।

जिन लोगों का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 - 29.9 के बीच होता है उन्हें ओवरवेट और जिन लोगों का बीएमआई 30 - 39.9 के बीच होता है, उन्हें मोटापे से ग्रस्त माना जाता है। बीएमआई लंबाई से वजन के अनुपात का पैमाना होता है।

वजन कम करने के लिए क्रॉस ट्रेनर पर कितने समय तक व्यायाम करते रहना चाहिए?

हार्वर्ड हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक लेख के अनुसार विभिन्न व्यायामों की तुलना में आप क्रॉस ट्रेनर से कम समय में ज्यादा कैलोरी बर्न कर सकते हैं। अगर आप इसपर 30 मिनट का समय बिताते हैं तो आप आसानी से 270 से 400 कैलोरी तक बर्न कर सकते हैं। हालांकि, एक सेशन में कितनी कैलोरी बर्न की जा सकती है, यह व्यायाम की तीव्रता से निर्धारित होता है।

चूंकि क्रॉस ट्रेनर में शरीर के ऊपरी और निचले दो हिस्सों का उपयोग होता है, ऐसे में यह पेट की चर्बी कम करने के लिए एक बेहतरीन व्यायाम है। इसके लिए मध्यम से उच्च तीव्रता पर अभ्यास करना होता है, जिससे आप कैलोरी को तेजी से बर्न कर सकें।

शरीर से चर्बी कम करने के साथ एलिप्टिकल ट्रेनर, मांसपेशियों के विकास में भी मदद करता है। इस पर अभ्यास के दौरान कई मांसपेशियों के समूह एक साथ काम करते है, जोकि मांसपेशियों को मजबूती देने में कारगर हैं। क्रॉस ट्रेनर से आपके बांह, नितंब, जांघों (आगे और पीछे की मांसपेशियां), छाती, पीठ के साथ-साथ कोर मांसपेशियों को भी मजबूती मिलने के साथ ही अतिरिक्त चर्बी कम होती है। यहां आवश्यक है कि आप इसके साथ अपने दैनिक व्यायामों को करें और व्यायाम की तीव्रता को क्षमतानुसार बढ़ाते रहें।

यदि आप व्यायाम के शुरुआती चरणों में हैं, तो गति को धीमी रखें। ज्यादा गति से क्रॉस ट्रेनर पर अभ्यास करने से आपको कुछ ही मिनटों में सांस लेने में परेशानी महसूस हो सकती है। शुरुआत में ही यदि आप बहुत तेजी से पैडल मारना शुरू कर देते हैं तो आपको पैरों में लैक्टिक एसिड बिल्ड-अप का अनुभव हो सकता है। यदि आपको इस तरह से कोई परेशानी महसूस होती है तो रुककर थोड़ी देर के लिए शरीर को आराम देना जरूरी है। आमतौर पर पैरों का दर्द और सांस फूलने की समस्या कुछ समय में अपने आप ठीक ​हो जाती है।

थोड़ी देर के आराम के बाद एक बार फिर से आप व्यायाम शुरू ​कर सकते हैं। समय के साथ-साथ आपकी गति और क्षमता में सुधार आता जाएगा। व्यायाम के दौरान कोशिश करें कि आपके हृदय की गति सामान्य से 50-85 फीसदी अधिक हो जाए। अपने अधिकतम हार्ट रेट को जानने के लिए 220 बीट प्रति मिनट से में से अपने कुल उम्र को घटाएं।

चाहे आप व्यायाम के शुरुआती चरणों में हो अथवा आप लंबे समय से दैनिक व्यायाम करते रहे हों, कुछ विशेष प्रकार के अभ्यासों से अभ्यस्त होंगे। जो लोग लॉन्ग रन या वॉक करना चाहते हैं, ट्रेडमिल उन लोगों का पसंदीदा होता है। वहीं जो लोग नया-नया व्यायाम शुरू कर रहे होते हैं या फिर जिन्हें बहुत ज्यादा रनिंग पसंद नहीं होता है ऐसे लोग क्रॉस ट्रेनर पर अधिक समय बिता सकते हैं।

ट्रेडमिल की तुलना में अगर क्रॉस ट्रेनर के फायदों की बात करें तो इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि क्रॉस ट्रेनर कम इंटेंस वाला व्यायाम है, जबकि ट्रेडमिल ट्रेनिंग में पैरों की निरंतर पाउंडिंग करनी होती है। चूंकि दोनों मशीनों के अपने अलग-अलग फायदे हैं ऐसे में फिटनेस विशेषज्ञों की सलाह है कि अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए आपको वैकल्पिक या​ फिर हर रोज दोनों मशीनों से व्यायाम करना चाहिए।

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अन्य इलेक्ट्रॉनिक व्यायाम की मशीनों की तरह ही क्रॉस ट्रेनर मंहगे उपकरणों में से एक है। 10 हजार रुपये से शुरू होकर इसके लेटेस्ट मॉडल लाखों तक में बाजार में उपलब्ध हैं। अगर आप घर पर उपयोग के लिए मशीन लेने की सोच रहे हैं तो उससे पहले इन बिंदुओं पर गौर करें।

स्थान : चूंकि इस मशीन के लिए आपको ज्यादा स्थान की जरूरत होती है। ऐसे में सुनिश्चित करें कि आपके पास इतनी जगह है, जिससे मशीन को आराम से रखकर उस पर अभ्यास किया जा सके।

बिजली : मशीन को खरीदने से पहले विक्रेता से जान लें कि इसमें बिजली की खपत कितनी होगी? इस मशीन को अधिक बिजली चाहिए होती है ऐसे में एडवांस तकनीक और कम बिजली के खपत वाली मशीन लें, आपका बिजली का बिल न बढ़े।

मशीन की देखरेख : यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि आप उपकरण का नियमित रूप से उपयोग करते हैं। इसे सुचारू रूप से चलाने के लिए नियमित रूप से उपयोग में लाना होता है। मशीन को लंबे समय तक चलाने के लिए समय-समय पर इसकी सर्विसिंग कराते रहें।

रखरखाव का खर्च : यदि आप नियमित रूप से मशीन का उपयोग करते हैं तो इसके मेंटेनेंस पर आपको बहुत अधिक नहीं खर्च करना पड़ेगा। चूंकि, ट्रेडमिल की तुलना में इस मशीन में कम ही पार्टस ऐसे होते हैं जो बहुत ज्यादा गतिशील हों, ऐसे में क्रॉस ट्रेनर की मशीन को बहुत अधिक मेंटेनेंस की आवश्यकता नहीं होती है।

नया लें या सेकेंड हैंड : आप सेकेंड हैंड एलिप्टिकल मशीन भी खरीद सकते हैं। यदि बाजार में आपको कम इस्तेमाल की हुई मशीन सस्ती कीमत में मिल जाती है, तो आप इसे सेकेंड हैंड भी ले सकते हैं। हालांकि, सेकेंड हैंड मशीनों को खरीदने से पहले अच्छी तरह से उसको चला कर देख लें। दूसरी ओर आप चाहें तो शो रूम से नई मशीन भी ले सकते हैं। नई मशीन लेने से आपको वारंटी मिल जाती है। कमोबेश यह चुनाव आपके बजट पर निर्भर करता है।

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