स्वस्थ और फिट रहने के लिए सामान्य व्यक्ति के लिए कौन से व्यायाम करने आवश्यक हैं, कार्डियोवैस्कुलर और शक्ति बढ़ाने वाले व्यायामों में से ऐसे लोगों को किन्हें ज्यादा प्रयोग में लाना चाहिए, इन विषयों पर लंबे समय से चर्चा होती रही है। लोगों को फिटनेस की इन दोनों शाखाओं का पूरा लाभ प्राप्त हो सके इसलिए प्रशिक्षकों ने दोनों को एकसाथ मिलाकर प्रयोग में लाने की कोशिशें कीं। इसी सोच के तहत सर्किट ट्रेनिग अभ्यास की शुरुआत 1950 के दशक से हुई। इस अभ्यास में वेट ट्रेनिंग और उच्च तीव्रता वाले अभ्यासों का संतुलित समायोजन किया गया जिससे कम समय में लोगों को ज्यादा से ज्यादा लाभ प्रदान किया जा सके।
इन दोनों व्यायामों के लाभ और धैर्य के स्तर भिन्न हैं, ऐसे में सर्किट ट्रेनिंग लोगों के लिए कई स्तरों पर खरा उतर सकता है। एक ओर जहां कछ व्यायाम निर्धारित अवधि में लक्षित मांसपेशियों के विकास और शक्तिवर्धन के लिए किए जाते हैं वहीं बाकी की मांसपेशियों के समूहों के लिए अलग से व्यायाम की आवश्यकता होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए फिटनेस से जुड़े विशेषज्ञों ने हाल के वर्षों में कई बदलाव कर लोगों को कम से कम समय में अधिक फायदा पहुंचाने का प्रयास किया है।
एचआईआईटी, क्रॉसफिट या बॉडीवेट व्यायामों के साथ आप कार्डियोवैस्कुलर गतिविधियों को कर सकते हैं। प्रारंभिक रूप से सेना के जवानों द्वारा सर्किट ट्रेनिंग अभ्यास देख सकते हैं। यहीं से ही इसकी कई सारे अनेक रूप विकसित हुए हैं। सर्किट ट्रेनिंग चीजों को दिलचस्प बनाए रखने का एक शानदार तरीका हो सकता है। आप अपनी पसंद के अनुसार दिनचर्या को सेट कर सकते हैं, आप अपनी पसंद का कोई भी व्यायाम जोड़ सकते हैं। सर्किट के दिनचर्या को पूरा करने के लिए छोटी अवधि भी पर्याप्त होती है। समय के साथ-साथ आप इसको बढ़ा सकते हैं।