थायराइड गर्दन के सामने वाले हिस्से पर एक छोटी-सी तितली के आकार की ग्रंथि है, जब यह ग्लॅंड कम या ज्यादा मात्रा में थायराइड हार्मोन बनाने लगे तो इस स्थिति में थायराइड रोग हो जाता है। अमूमन पुरुषों और महिलाओं में इसके लक्षण एक समान होते हैं लेकिन कई बार इसके लक्षणों में भिन्नता भी हो सकती है। फिलहाल, यदि आप भी इस रोग से ग्रस्त हैं तो निम्नलिखित योगासन से आप थायराइड को कंट्रोल कर सकते हैं।
सर्वांगासन (सपोर्टेड शोल्डर स्टैंड)
- सर्वांगासन में पीठ के बल सीधे लेट जाएं, इस दौरान पैरों के तलवे कूल्हे के करीब जमीन को छूते रहें।
- सांस अंदर लेते हुए दोनो पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं और इस दौरान पैरों को सपोर्ट देने के लिए अपने हाथों से कूल्हे को पकड़ लें। कोहनियां जमीन पर टिकाए रखें।
- इस मुद्रा में 1 से 2 बार सांस अंदर और बाहर करें, संतुलन बनने पर पैरों को ऊपर की तरफ एक सीध में कर लें।
- अपने शरीर की क्षमता के अनुसार 1 से 5 मिनट तक इस मुद्रा में रहें और फिर धीरे से सामान्य स्थिति में आ जाएं।
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हलासन (प्लो पोज)
- अगर आप सर्वांगासन करते हैं तो हलासन आपके लिए काफी आसान होगा।
- पीठ के बल सीधे लेट जाएं और सर्वांगासन की तरह सांस अंदर लेते हुए अपने पैरों को ऊपर की तरफ उठाएं और हाथों से कूल्हे को पकड़ लें, ताकि संतुलन बना रहे। इस दौरान कोहनी जमीन पर रखें।
- कंधे, कूल्हे व पैर एक सीध में होने चाहिए और ठोड़ी छाती को छूनी चाहिए।
- इस स्थिति में संतुलन बनने पर पैरों को सिर के पीछे जमीन तक ले जाएं लेकिन आपके घुटने नहीं मुड़ने चाहिए।
- अगर कंधों में पर्याप्त लचीलापन महसूस हो तो, इस मुद्रा में हाथों को जमीन पर रहने दें। यदि लचीलापन न महसूस हो तो हाथों को जमीन पर रखने की बजाय पीठ को सहारा दीजिए।
- अपनी क्षमता के मुताबिक 60 से 90 सेकेंड तक इस मुद्रा में रहें और फिर धीरे से पैरों को सामान्य स्थिति में ले आएं।
मत्स्यासन (फिश पोज)
- मत्स्यासन में दोनों पैरों को सामने की तरफ करके सीधा बैठ जाएं और ऊपर के धड़ को थोड़ा-सा पीछे ले जाएं व कोहनियों को जमीन पर टिका दें, ताकि आपका ऊपर का धड़ हवा में रहे।
- अब अपने सिर को पीछे ढीला छोड़ दें, इस दौरान सिर का पिछला हिस्सा जमीन को छूता रहेगा।
- छाती को जितना हो सके उतना ऊपर उठाएं।
- इस मुद्रा में 15 से 30 सेकेंड तक रहें।
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मार्जरासन (कैट काऊ पोज)
- मार्जरी आसन करने के लिए जमीन पर दोनों हथेलियों और घुटनों को टिका कर इस मुद्रा में आ जाएं (पैर के पंजो की उंगलियां पीछे की तरफ और हाथ एकदम सीधे होने चाहिए)
- अब धीरे-धीरे सांस को छोड़ते हुए सिर को छाती की तरफ लाएं और पीठ को छत की ओर अर्ध गोलाकार अवस्था में ले जाएं। इस दौरान ठोड़ी छाती को छूनी चाहिए। इससे पीठ में खिंचाव आएगा।
- अब इसके विपरीत करें, यानी सांस लेते हुए सिर को छत की तरफ उठाएं और पीठ को अंदर यानी जमीन की तरफ अर्ध गोलाकार अवस्था में लाएं।
- इस मुद्रा को 10 से 20 बार दोहराना फायदेमंद होगा।
ऐसे कई अध्ययन हुए हैं जिनसे इस बात का खुलासा हुआ है कि कुछ योगासन थायराइड समस्या में सुधार ला सकते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इन योगासन के जरिए थायराइड को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। थायराइड को कंट्रोल करने के लिए योग के साथ-साथ दवा और उचित जीवनशैली अपनाने की भी जरूरत है।
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