हर 10 में से 1 व्यक्ति थायराइड से परेशान है. यूं तो थायराइड महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करता है, लेकिन यह पुरुषों और बच्चों को भी अपनी गिरफ्त में ले सकता है. यह बात अक्सर लोगों को परेशान करती है कि आखिरकार एक आम व्यक्ति में थायराइड का लेवल कितना होना चाहिए. इसका कोई तय पैमाना नहीं है. सच तो यह है कि थायराइड स्टिमूलेटिंग हार्मोन यानी टीएसएच व्यक्ति की उम्र, सेक्स और जिंदगी के स्टेज पर निर्भर करता है.

आइए, इस लेख में हम जानते हैं कि थायराइड लेवल कितना होना चाहिए -

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  1. थायराइड स्टिमूलेटिंग हार्मोन क्या है ?
  2. टीएसएच लेवल कितना होना चाहिए ?
  3. हाइपोथायराइडिज्म क्या है?
  4. हाइपरथायराइडिज्म क्या है?
  5. सारांश
नार्मल थायराइड लेवल कितना होना चाहिए? के डॉक्टर

थायराइड स्टिमूलेटिंग हार्मोन आपकी पिट्यूटरी ग्लैंड द्वारा बनता है, जो आपके पूरे शरीर में हार्मोन निर्माण और मेटाबॉलिज्म को बैलेंस करने में सहायक है. आपके मेटाबॉलिज्म के लिए थायरॉक्सिन जैसे जरूरी हार्मोन के निर्माण में टीएसएच आपके थायराइड ग्लैंड की सहायता करता है. यह आपके ओवरऑल एनर्जी लेवल व नर्व फंक्शन आदि को दुरुस्त रखने में अपना योगदान देता है.

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सामान्य टीएसएच लेवल 0.45 और 4.5 mU/L के बीच रहता है. हाल का एक शोध कहता है कि सामान्य रेंज 0.45 से 4.12 के बीच रहना चाहिए. जैसा कि हमने ऊपर जाना कि टीएसएच आपकी उम्र, सेक्स और जीवन के स्टेज पर निर्भर करता है.

उदाहरण के लिए 28 वर्ष की युवती का सामान्य टीएसएच 4.2 mU/L हो सकता है, तो वहीं 88 वर्ष की बुजुर्ग महिला का 8.9 mU/L भी हो सकता है. स्ट्रेस, डाइट, दवाइयां और मासिक धर्म की वजह से टीएसएच का स्तर ऊपर-नीचे हो सकता है.

आइए विस्तार से जानते हैं कि थायराइड कितना होना चाहिए -

महिलाओं में टीएसएच लेवल

पीरियड्स, बच्चे को जन्म देते समय और मेनोपॉज के बाद महिलाओं में टीएसएच स्तर असामान्य होने का खतरा ज्यादा रहता है. एक अध्ययन तो यह भी कहता है कि अगर बुजुर्ग महिलाओं में थायराइड नोड्यूल के साथ टीएसएच लेवल ज्यादा हो जाए, तो थायराइड कैंसर होने का खतरा रहता है.

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पुरुषों में टीएसएच लेवल

पुरुषों में टीएसएच लेवल ज्यादा हो या कम, यह उनकी फर्टिलिटी को प्रभावित करता है. हाइपोथायराइड या हायपरथायराइड वाले पुरुषों के कुछ ही सामान्य शेप वाले स्पर्म होते हैं. महिलाओं की तुलना में यदि पुरुषों का टीएसएच लेवल ज्यादा हो, तो उनके जेनाइटल के असामान्य रूप से विकसित होने की आशंका रहती है.

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बच्चों में टीएसएच लेवल

एक अध्ययन ने बहुत करीब से बच्चों के जन्म से लेकर उनके 18 साल की उम्र तक टीएसएच लेवल को मेजर किया. खास बात तो यह है कि इस अध्ययन से पता चला कि उनके जीवन में टीएसएच लेवल हमेशा अलग-अलग रहा. उनके जन्म के पहले महीने टीएसएच स्तर बहुत ज्यादा था और धीरे-धीरे उनका टीएसएच लेवल कम होता गया, लेकिन जैसे-जैसे वह बड़े होते गए, उनके टीएसएच लेवल में फिर से बढ़ोत्तरी पाई गई.

0 से 4 दिन के बीच बच्चे का टीएसएच लेवल 1.6–24.3 mU/L, 2 से 20वें सप्ताह के बीच में 0.58–5.57 mU/L और 20वें सप्ताह से 18 वर्ष के बीच में 0.55–5.31 mU/L सामान्य माना जाता है.

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प्रेगनेंसी में टीएसएच लेवल कितना होना चाहिए

प्रेगनेंसी के दौरान हर महिला के टीएसएच लेवल को नियमित तौर पर डॉक्टर द्वारा मॉनिटर किया जाता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि हाई टीएसएच लेवल और हाइपोथायरायडिज्म मिसकैरेज का कारण बन सकते हैं. यदि किसी का टीएसएच लेवल ज्यादा या बहुत कम रहता है, तो उसे कंट्रोल करने के लिए थायराइड की दवा दी जाती है.

ज्यादा टीएसएच और हाइपोथायरायडिज्म के सफलतापूर्वक इलाज से मिसकैरेज होने का जोखिम कम हो जाता है. पहली तिमाही में टीएसएच लेवल 0.6–3.4 mU/L, दूसरी तिमाही में 0.37–3.6 mU/L और तीसरी तिमाही में 0.38–4.0 mU/L सामान्य माना जाता है. इससे कम या ज्यादा का रहना सही नहीं है.

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अगर आपका टीएसएच स्तर ज्यादा है, तो इसका मतलब यह है कि आपका थायराइड अच्छा परफॉर्म नहीं कर रहा है. लोगों को हाइपोथायराइडिज्म तब हो जाता है, जब उनका थायराइड हार्मोन के कम लेवल का निर्माण करता है. ऐसे में जब थायराइड ग्लैंड पर्याप्त हार्मोन का निर्माण नहीं करती है, तो पिट्यूटरी ग्लैंड भरपाई करने के लिए ज्यादा टीएसएच का निर्माण करती है.

इसमें व्यक्ति का वजन बढ़ने लगता है, चेहरे व गर्दन पर सूजन आ जाती है, स्किन ड्राई होने लगती है, बाल पतले होने लगते हैं, स्लो हार्ट रेट, अनियमित या हेवी पीरियड्स, फर्टिलिटी समस्या, डिप्रेशन, कब्ज जैसी परेशानियां होने लगती हैं.

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अगर आपका टीएसएच स्तर कम है, तो इसका मतलब यह है कि आप ज्यादा थायराइड का निर्माण कर रहे हैं. इसे ओवरएक्टिव थायराइड भी कहा जाता है. यदि थायराइड ग्लैंड बहुत ज्यादा हार्मोन के लेवल का स्राव कर रही है, तो पिट्यूटरी ग्लैंड कम टीएसएस का निर्माण करती है. अनियमित हार्ट बीट, मांसपेशियों की कमजोरी, नर्वस होना, नींद आने में परेशानी, डायरिया, वजन कम होना व मूड में बार-बार बदलाव होना हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण हैं.

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आज के समय में थायराइड एक आम बीमारी बन चुकी है, लेकिन सही तरीके से इसे मैनेज किया जा सकता है. हमारी सेहत के लिए टीएसएच लेवल का न तो ज्यादा होना अच्छा है और न ही कम. इससे हाइपोथायरायडिज्म और हायपरथायराइड होने का खतरा रहता है. हर व्यक्ति की उम्र, सेक्स और जीवन के विभिन्न स्टेज के अनुसार टीएसएच का लेवल अलग-अलग होता है. इसलिए समय-समय पर टीएसएच लेवल की जांच कराते रहना सही है.

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