आजकल हर दूसरा व्यक्ति तनाव का सामना कर रहा है. कुछ घर की परिस्थितियों के चलते, तो कुछ अपने करियर की वजह से तनाव में रहते हैं. तनाव के चलते अन्य परेशानियां भी बढ़ सकती हें, क्योंकि तनाव व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित कर सकता है. तनाव में रहने पर कई बीमारियां व्यक्ति को घेर सकती हैं. तनाव के चलते अस्थमा की समस्या भी हो सकती है या फिर अस्थमा के लक्षण बढ़ सकते हैं. ऐसे में तनाव को कम करके अस्थमा के लक्षणों में सुधार किया जा सकता है.

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आज इस लेख में आप जानेंगे कि तनाव और अस्थमा किस प्रकार एक-दूसरे से जुड़ें हैं और इसका इलाज किस प्रकार किया जा सकता है -

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  1. तनाव और अस्थमा कैसे संबंधित है?
  2. तनाव के चलते अस्थमा होने के लक्षण
  3. तनाव व अस्थमा के कारण
  4. तनाव व अस्थमा का इलाज
  5. अस्थमा के साथ तनाव को कैसे प्रबंधित करें?
  6. सारांश
तनाव से अस्थमा होने के कारण व इलाज के डॉक्टर

तनाव और अस्थमा एक-दूसरे से संबंधित होते हैं. दरअसल, तनाव एक भावनात्मक और शारीरिक स्थिति है, जो अस्थमा के शुरुआती लक्षणों को विकसित कर सकता है. इतना ही नहीं तनाव उन लोगों को भी ट्रिगर कर सकता है, जिन्हें पहले से ही अस्थमा की बीमारी है. इस स्थिति में अस्थमा के दौरे से बचने के लिए तनाव को कम करना जरूरी होता है. अस्थमा एंड एलर्जी फाउंडेशन ऑफ अमेरिका (एएएफए) के अनुसार, तनाव के चलते अस्थमा की समस्या हो सकती है, लेकिन ऐसा बेहद कम मामलों में ही होता है.

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तनाव की वजह से होने वाले अस्थमा के लक्षण सामान्य अस्थमा की तरह ही होते हैं. तनाव किसी व्यक्ति में अस्थमा के लक्षणों को ट्रिगर भी कर सकता है. तनाव व अस्थमा के लक्षण इस प्रकार हैं -

अगर किसी व्यक्ति में सिर्फ तनाव की वजह से अस्थमा विकसित होता है, तो उसे ये लक्षण भी महसूस हो सकते हैं -

अगर तनाव को प्रतिबंधित कर लिया जाए, तो अस्थमा के साथ ही इन लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है.

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किसी भी व्यक्ति को तनाव तब होता है, जब वह कोई दबाव या खतरा महसूस करता है. शोध से पता चलता है कि तनाव कई तरह से अस्थमा के लक्षणों को विकसित कर सकता है. तनाव की वजह से अस्थमा निम्न कारण से हो सकता है -

तेजी से सांस लेना

तेजी से सांस लेना तनाव का एक आम लक्षण होता है. जब कोई व्यक्ति तेजी से सांस लेता है, तो सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम एक्टिव हो जाता है. यह नर्वस सिस्टम का वह हिस्सा होता है, जो इमरजेंसी की स्थिति में प्रतिक्रिया देता है. सैंपैथेटिक नर्वस सिस्टम उस समय एक्टिव हो जाता है, जब शरीर किसी खतरे में होता है. इस स्थिति में व्यक्ति को तेजी से सांस लेने व मांसपेशियों में तनाव जैसे लक्षणों का अनुभव हो सकता है. अगर किसी व्यक्ति को तनाव लंबे समय से है, तो उसमें अस्थमा के लक्षण जैसे - सांस लेने में मुश्किल जैसी समस्या हो सकती है.

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सूजन

तनाव की वजह से होना वाली सूजन भी अस्थमा का कारण बन सकती है. 2006 में हुए रिसर्च के अनुसार तनाव साइटोकिन्स और इओसिनोफिल्स के स्तर को बढ़ाता है. बढ़ा हुआ साइटोकिन्स और इओसिनोफिल्स का स्तर वायुमार्ग में सूजन पैदा कर सकता है. सूजन अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा सकता है. इस स्थिति में अस्थमा का दौरा पड़ने का जोखिम भी बढ़ सकता है.

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दवा पर प्रभाव

तनाव दवाइयों की प्रभावशीलता को भी कम कर सकता है. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति पहले से ही अस्थमा का रोगी है और वह तनाव लेता है, तो उसमें दवाइयों का असर कम होने लगेगा. तनाव अस्थमा की कुछ दवाओं के प्रति प्रभावशीलता को कम कर सकता है. इसमें इनहेल्ड बीटा-2-एगोनिस्ट्स शामिल है.

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तनाव और अस्थमा का इलाज करने के लिए दवाइयों का सहारा लेना जरूरी हो जाता है. अस्थमा के लक्षणों को कम करने के लिए डॉक्टर निम्न दवाइयां लिख सकते हैं -

बीटा-2 एगोनिस्ट

बीटा -2 एगोनिस्ट एक प्रकार का ब्रोन्कोडायलेटर है. ये दवाइयां बंद वायुमार्ग को खोलने में मदद करती हैं. साथ ही वायुमार्ग के आसपास की मांसपेशियों को आराम देती हैं. शॉर्ट-एक्टिंग बीटा -2 एगोनिस्ट (एसएबीए) अस्थमा के मरीजों के लक्षणों को तेजी से कम करने में मदद कर सकता है. 

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एंटीकोलिनर्जिक

एंटीकोलिनर्जिक दवाइयां भी ब्रोन्कोडायलेटर्स हैं. ये दवाइयां भी बंद वायुमार्ग को खोलने में मदद करती हैं और मांसपेशियों को कसने या संकरी होने से रोकती हैं.

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एंटी इंफ्लेमेटरी

एंटी इंफ्लेमेटरी दवाइयां वायुमार्ग में सूजन को कम करने में मदद कर सकती हैं. साथ ही बलगम के उत्पादन को भी कम करती हैं. इससे सांस लेना आसान हो जाता है. 

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अगर किसी व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है कि तनाव में आने पर उसके अस्था से जुड़े लक्षण बढ़ते हैं, तो उसे निम्न बातों पर जरूर ध्यान देना चाहिए -

  • उन स्थितियों से बचने की कोशिश करें, जो तनावग्रस्त बनाती हैं.
  • रोजाना एक्सरसाइज जरूर करें, इससे तनाव कम होगा. साथ ही अस्थमा के लक्षणों में भी कमी आएगी, लेकिन तेजी से एक्सरसाइज करने से बचें.
  • तनाव और अस्थमा के लक्षणों को कम करने के लिए पर्याप्त नींद लेना भी जरूरी होता है.
  • हेल्दी डाइट लेने से तनाव और अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है.

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तनाव और अस्थमा एक-दूसरे से काफी हद तक संबंधित होते हैं, लेकिन सभी मामलों में नहीं. तनाव, अस्थमा के लक्षणों को विकसित और ट्रिगर कर सकता है. अगर तनाव की वजह से तेजी से सांस लेने और वायुमार्ग में सूजन जैसे लक्षण महसूस होते हैं, तो इससे अस्थमा विकसित हो सकता है. इसलिए, तनाव को कम करके अस्थमा के लक्षणों को कम किया जा सकता है. इसके लिए अच्छी नींद लें, सांस लेने वाली एक्सरसाइज और मेडिटेशन करें. अगर तनाव की वजह से तेजी से सांस आ रही है या दिल की धड़कने बढ़ रही हैं, तो इन स्थितियों में अस्थमा की जांच जरूर करवा लेनी चाहिए.

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