रूमेटिक फीवर आमतौर पर कम उम्र वाले बच्चों में होने वाली सबसे आम परेशानियों में से एक है। इसे स्ट्रेप थ्रोट से जुड़ी जटिलताओं में से एक माना जाता है। स्ट्रेप थ्रोट, एक प्रकार का जीवाणु संक्रमण है जिसके कारण गले में सूजन और दर्द की परेशानी होती है। आमतौर पर 5 से 15 वर्ष की आयु वाले बच्चों में ज्यादा देखी जाने वाली यह परेशनी कई बार गंभीर भी हो सकती है। रूमेटिक फीवर के कारण बुखार, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में सूजन व दर्द और कुछ मामलों में लाल दाने भी हो सकते हैं।
उप-सहारा अफ्रीका, दक्षिण मध्य एशिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में यह बीमारी काफी सामान्य है। रूमेटिक फीवर के कारण घुटने, टखनों, कोहनियों और कलाई के जोड़ों में सूजन और दर्द होना सबसे आम है। यह दर्द एक जोड़ से दूसरे में भी पहुंच सकता है। हालांकि, इस बीमारी की सबसे खतरनाक स्थिति हृदय को होने वाली क्षति है। रूमेटिक फीवर के आधे से ज्यादा मामले में देखने को मिला है कि यह हृदय के वाल्व को क्षति पहुंचाता है, इसके कारण शरीर के अन्य अंगों को, रक्त को पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इसके गंभीर मामलों में हार्ट फेल होने का भी खतरा रहता है।
इसके अलावा रूमेटिक फीवर अस्थायी तंत्रिका तंत्र विकार को भी बढ़ावा दे सकती है। इस विकार के हल्के मामलों में लोगों को ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई जबकि गंभीर मामलों में हाथ, पैर और चेहरे की मांसपेशियों में अनियंत्रित रूप से ऐंठन की समस्या हो सकती है। एंटीबायोटिक दवाओं और उपचार के अन्य माध्यमों के कारण रूमेटिक फीवर के मामले अब विकसित देशों में कम दिखाई देते हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में अमेरिका के गरीब हिस्सों में इस बीमारी ने दोबारा लोगों को शिकार बनाना शुरू किया है। सर्दियों और वसंत के दौरान इसके ज्यादा मामले सामने आते रहे हैं।
इस लेख में हम रूमेटिक फीवर के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानेंगे।