साइकोपैथी
व्यक्तित्व विकार है जिसमें व्यक्ति असामाजिक व्यवहार करने लगता है, दूसरों के प्रति सहानुभूति दिखाने या पछतावा महसूस करने की क्षमता खो देता है और साथ ही उसका व्यवहार आक्रामक और अपमानजनक भी होता है। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को साइकोपैथ कहते हैं और वह अहंकारी व्यकित्व का होता है। मौजूदा समय में, मनोविकृति संबंधी किसी भी संस्था ने साइकोपैथी के डायग्नोसिस को मंजूरी नहीं दी है लेकिन अदालत में आपराधिक मामलों के दौरान और आम जनता और प्रेस के लोगों के बीच इसका काफी इस्तेमाल होता है। यहां पर ये जानना जरूरी है कि
साइकोसिस यानी मनोविकृति और साइकोपैथी के बीच महत्वपूर्ण अंतर है।
साइकोपैथी को ट्राइआर्किक मॉडल के साथ एक चेकलिस्ट के आधार पर परिभाषित किया गया है, जो बताता है कि अलग-अलग डिग्री की तीन विशिष्टताएं हैं जिनमें साइकोपैथी शामिल है। वे विशिष्टताएं हैं-
- बोल्डनेस (दुःसाहस)- साइकोपैथी के मरीजों में अत्यधिक मात्रा में आत्मविश्वास और सामाजिक हठधर्मिता होती है। आमतौर पर मरीज तनाव और खतरे के प्रति सहनशील होते हैं। एमिग्डाला (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का हिस्सा) का संबंध डर से होता है।
- सामाजिक रूप से अनुचित व्यवहार- साइकोपैथी के मरीजों में आवेग या उत्तेजना को नियंत्रित करने की कमी होती है जैसे- किसी तीव्र इच्छा को नियंत्रित करने से जुड़ी समस्या, योजना बनाने में कठिनाई और व्यवहार से जुड़े नियमों का पालन न करना। मस्तिष्क का सामने वाला हिस्सा (फ्रंटल लोब) नियंत्रण और निषेध के लिए जिम्मेदार होता है।
- अधम व्यवहार करना- साइकोपैथी के मरीजों में दूसरों के प्रति सहानुभूति दिखाने और नजदीकी और गहरे रिश्ते बनाने का अभाव होता है, वे खुद को सशक्त महसूस कराने के लिए बेहद क्रूर होते हैं, दूसरों का शोषण करने की प्रवृत्ति रखते हैं और उनका स्वभाव विध्वंसकारी या घातक होता है।
साइकोपैथी की समस्या से पीड़ित लोग अलग-अलग जाति, नस्ल और सांस्कृतिक समूह का हिस्सा होते हैं। कुछ शोधों से पता चलता है कि करीब 1 प्रतिशत पुरुष और 0.7 प्रतिशत महिलाओं में साइकोपैथी के लक्षण देखने को मिलते हैं। हालांकि, कई बार मरीजों में साइकोपैथी से जुड़े लक्षण तो नजर आते हैं लेकिन वह साइकोपैथ नहीं होता है। (और पढ़ें-
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