प्रोटियस सिंड्रोम एक अत्यंत दुर्लभ और लंबे समय तक रहने वाली स्थिति है। इसके कारण त्वचा, हड्डियों, रक्त वाहिकाओं और संयोजी ऊतकों में असामान्य रूप से वृद्धि होने लगती है। कई बार इस प्रकार की वृद्धि को कैंसर मान लिया जाता है, लेकिन आमतौर पर यह कैंसर नहीं होता है। शरीर में होने वाली यह वृद्धि हल्की या गंभीर हो सकती है। इतना ही नहीं यह शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, रीढ़ की हड्डी और खोपड़ी को इससे सबसे ज्यादा प्रभावित देखा जाता है। आमतौर पर जन्म के समय इसके लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ 6 से 18 महीने की आयु में इसके लक्षण स्पष्ट होने लगते हैं।
डॉक्टरों के मुताबिक अगर समय रहते प्रोटियस सिंड्रोम का निदान और इलाज हो जाए तो इसके
लक्षणों को ठीक करने की संभावना अधिक होती है। अगर इसका इलाज नहीं हो पाता है तो शरीर में होने वाली यह असामान्य वृद्धि कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बन सकती है। अगर इस समस्या को अनुपचारित ही छोड़ दिया जाए तो लोगों में यह शारीरिक गतिशीलता से संबंधित कई प्रकार की परेशानियों का कारण बन सकती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक प्रोटियस सिंड्रोम वाले कुछ लोगों में न्यूरोलॉजिकल असामान्यताएं भी हो सकती हैं, इसमें बौद्धिक विकलांगता, दौरे पड़ना और दिखाई न देना आदि शामिल हैं। इसके अलावा व्यक्ति के चेहरे में भी कई प्रकार की दिक्कतें हो सकती हैं जैसे चेहरे का असामान्य रूप से लंबा होना, नाक का छोटा होना, मुंह का खुला रहना आदि। इस लेख में हम प्रोटियस सिंड्रोम के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानेंगे।