पीसीओएस में गुड फैट:
भोजन में अधिक मात्रा में सैचुरेटेड और ट्रांस फैट लेने की वजह से वजन बढ़ने, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रोल की दिक्कत हो सकती है। इसलिए अपने आहार में ऐसी चीज़ों को शामिल करने से बचें। इनकी जगह स्वस्थ असंतृप्त वसा को चुनें जो कि वेजिटेबल ऑयल्स जैसे कि कैनोला तेल और जैतून के तेल, सूरजमुखी का तेल, सरसों का तेल, नारियल का तेल, एवोकैडो, बादाम, अखरोट आदि में पाया जाता है।
फाइबरयुक्त आहार:
ज्यादा से ज्यादा फाइबर खाने से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने और कोलेस्ट्रोल को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा फाइबर युक्त भोजन करने से पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस करता है जिससे भूख कम लगती है और आप कम खाना खाते हैं। इससे वजन को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। प्रतिदिन 21 से 25 ग्राम फाइबर खाएं। इसके लिए बैरीज़, नाशपाती, संतरा, अंजीर, किवी, पालक, ब्रोकली, दालें, छोले, सोयाबीन, राजमा खाएं। इसके अलावा पत्तेदार सब्जियां, चोकर सहित आटा, छिलके सहित एवं रेशेदार फल, इसबगोल, जई जरूर खाएं।
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प्रोटीन से भरा भोजन:
फाइबर की तरह प्रोटीन भी लंबे समय तक पेट को भरा हुआ रखता है और इससे आपको भूख कम लगती है। वजन को नियंत्रित करने का ये एक महत्वपूर्ण तरीका है। अपने प्रत्येक भोजन और स्नैक में थोड़ा प्रोटीन जरूर रखें जिसके लिए आप उबले अण्डे , काला चना चाट, हमस सब्जियों के सलाद के साथ, ग्रिल्ड पनीर, अंकुरित भेल आदि को मध्य भोजन के रूप में ले सकते हैं । प्रोटीन में चिकन या मछली ले सकते हैं, वहीं शाकाहारी महिलाओं के लिए दालें, सोया, पनीर, चौथाई कप नट्स या बीज प्रोटीन के बेहतरीन स्रोत हैं। दूध और लो फैट योगर्ट भी प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं।
हरी सब्जियां:
अपने आहार में हरी सब्जियों को जरूर शामिल करें। इसमें उच्च मात्रा में पोषक तत्व और कम कैलोरी मौजूद होती है। इसलिए हरी सब्जियां शरीर को पोषण देने के साथ-साथ वजन कम करने में भी मदद करती हैं। पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं को हरी सब्जियां जैसे कि पालक, मेथी, चौलाई, तरोई, लौकी, भिंडी आदि लेने की सलाह दी जाती है।
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लीन ग्रास-फेड मीट:
किसी भी संतुलित आहार में लीन मीट (कम वसा और उच्च मात्रा में प्रोटीन वाला मीट) जरूर होता है। पीसीओडी से ग्रस्त महिलाओं के लिए लीन मीट बहुत फायदेमंद होता है। अगर हार्मोनल असंतुलन के कारण वजन कम करने में दिक्कत आ रही है तो आपको अपने आहार में लीन मीट को शामिल करना चाहिए।
आहार में वसा की मात्रा का ध्यान रखने जितना ही जरूरी है ऑर्गेनिक मांस का सेवन करना। नॉन ऑर्गेनिक मांस (एंटीबायोटिक या विकास हार्मोन के बिना पशुओं द्वारा उत्पादित पोल्ट्री, अंडे और डेयरी उत्पाद) में आमतौर पर पशु को दिए जाने वाले उच्च स्तर के हार्मोन होते हैं और इसका सेवन करने पर इनका सीधा असर मनुष्य के हार्मोन लेवल पर पड़ता है। वहीं दूसरी ओर ऑर्गेनिक मांस में पशु हार्मोन का स्तर काफी कम होता है इसलिए हार्मोंस के असंतुलन की स्थिति में ये फायदेमंद होता है।
एंटीऑक्सीडेंट्स वाले आहार:
आपको अपने आहार में ऐसी चीज़ों को शामिल करना चाहिए जिसमें एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा ज्यादा हो। एंटीऑक्सीडेंट्स के लिए रंग बिरंगे फल एवं सब्जियां, आंवला, मशरूम,लहसुन, फैटी फिश, बादाम, मूंगफली, चिलगोज़ा, सूरजमुखी के बीज, चिआ सीड्स, ग्रीन टी, हल्दी, लौंग आदि को अपने रोज के भोजन में शामिल कर करते हैं। इन सभी चीज़ों उच्च मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं। वैसे तो एंटीऑक्सीडेंट आहार सभी के लिए फायदेमंद होता है लेकिन पीसीओडी की स्थिति में ज्यादा लाभकारी सिद्ध होता है।
पीसीओडी से ग्रस्त महिलाओं में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (शरीर में फ्री रेडिकल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स में असंतुलन) का स्तर बहुत ज्यादा देखा गया है। आहार में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स को शामिल कर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम एवं नियंत्रित किया जा सकता है। इस तरह के खाद्य पदार्थों का चयन करते समय इनका जीआई इंडेक्स भी चैक कर लें क्योंकि हाई जीआई वाली चीज़ें ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा सकती है। इस वजह से पीसीओएस से ग्रस्त महिला में डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।
पीसीओडी में साबुत अनाज:
पीसीओडी से ग्रस्त महिला में सामान्य लोगों की तुलना में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा चार गुना ज्यादा होता है। साबुत अनाज में उच्च मात्रा में फाइबर होता है जो कि इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
ब्राउन राइस, गेहूं से बना पास्ता, होलव्हीट ब्रेड, ज्वार, बाजरा, रागी आदि साबुत अनाज में आते हैं। इनका सेवन करने के बाद कार्बोहाइड्रेट देर से पचता है जिससे खून में शर्करा धीमी गति से रक्त में पहुँचता है और रक्त शर्करा का स्तर अचानक या तेजी से नहीं बढ़ता है।
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वो चीजें जो इन्सुलिन लेवल को ठीक रखेंगी:
अपने आहार में मेथी, दालचीनी एवं मोरिंगा लीव्स ( सहजन के पत्ते) शामिल करें। कई अध्ययनों के अनुसार ये भोज्य पदार्थ इन्सुलिन की सेंस्टिविटी को बढ़ाने में एवं इंसुलिन रेसिस्टेन्स को भी करने में मदद करते हैं।
पानी की मात्रा ज्यादा रखें:
पीसीओडी में शरीर में पानी इकट्ठा होने (वाटर रेटेन्शन) की समस्या भी देखी जाती है। कोशिश करिये कि दिन में ८-१० गिलास पानी रोज पीएं। सादा पानी नहीं पी पाते तो सादा नीबू पानी पी सकते हैं या पानी में खीरा, नींबू, अदरक, रोजमेरी या सेलरी डाल कर रख लें और डेटॉक्स वाटर की तरह पी सकते हैं।
आयरन की मात्रा ठीक रखें:
माहवारी के दौरान ज्यादा रक्तस्राव के कारण आयरन की कमी के आसार बढ़ जाते हैं. पालक, अंकुरित दालें, छोले, राजमा, किनुआ, गुड़, कद्दू के बीज, कम वसा वाले चिकन या मीट, लोहे की कढ़ाही आदि का प्रयोग कर के अपने भोजन में आयरन की मात्रा बढ़ा सकते हैं.
अन्य आवश्यक पोषक तत्व:
पीसीओडी में कुछ अन्य पोषक तत्व भी आवश्यक होते है जैसे- कैल्शियम, विटामिन बी १२ इनको अपने भोजन में शामिल करें
- कैल्शियम के लिए- दूध, दूध से बनी चीजें, रागी, अंडा, संतरे का जूस, पालक आदि।
- विटामिन बी १२ के लिए- दूध एवं दूध से बने पदार्थ, अण्डा, ऑर्गन मीट ( लीवर और किडनी), मछली, विटामिन बी १२ फोर्टीफाइड भोज्य पदार्थ