खराब दिनचर्या के चलते हमें कई प्रकार की गंभीर बीमारियों ने घेर लिया है। हड्डियों की एक ऐसी ही विकृति है- ऑस्टियोपोरोसिस। इस बीमारी में हड्डी इतनी नाजुक हो जाती है कि गिरने, खांसने और झुकने जैसे हल्के तनाव भी गंभीर फ्रैक्चर का कारण बन सकते हैं। इस स्थिति में काफी दर्द होता है, जिससे लोग ऐसी गतिविधियों से बचते हैं, जिनमें ज्यादा शक्ति की आवश्यकता होती है। हड्डियों से जुड़ी इस तरह की समस्याओं से ग्रसित लोगों के लिए व्यायाम सबसे प्रभावी उपाय होता है। व्यायाम से इन हड्डियों को मजबूत किया जा सकता है।

हड्डियों के घनत्व में कमी आ जाने के चलते ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या उत्पन्न होती है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं इस समस्या की शिकार अधिक होती हैं। हार्मोनल परिवर्तन की वजह से महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा अधिक होता है। साल 2015 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ वीमेन हेल्थ में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में ऑस्टियोपोरोसिस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। देश में 50 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों की संख्या 230 मिलियन यानी 23 करोड़ है, इनमें से 46 मिलियन यानी 4.6 करोड़ महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस की शिकार हैं।

आमतौर पर देखने को मिलता है कि खराब दिनचर्या की वजह से पुरुष और महिला दोनों में 30 वर्ष की आयु के बाद हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है। ऐसे में नियमित व्यायाम करके हड्डियों के साथ-साथ ऊतकों को भी मजबूती दी जा सकती है। नियमित व्यायाम से मांसपेशियों में भी वृद्धि होती है, जो हड्डियों पर पड़ने वाले अनावश्यक दबाव को कम करने के साथ, उन्हें नियत स्थान पर बनाए रखने में मदद करती हैं।

ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रसित रोगी को कौन सा व्यायाम कितने समय तक करना है, इसका पैमाना हर व्यक्ति में अलग होता है। यह उस व्यक्ति के हड्डियों के स्वास्थ्य और चिकित्सकीय क्रम पर निर्भर करता है। ऐसे में किसी भी भारी शारीरिक गतिविधि या व्यायाम से पहले ऐसे मरीजों को डॉक्टर से परामर्श अवश्य करना चाहिए। डॉक्टर रोगी की हड्डी के घनत्व की जांच करके उचित सलाह देंगे।

  1. ऑस्टियोपोरोसिस के व्यायाम के फायदे - Osteoporosis Exercise ke fayde
  2. ऑस्टियोपोरोसिस के व्यायाम कितने प्रकार के होते हैं? - Osteoporosis Exercise ke Types
  3. हड्डियों की मजबूती के लिए स्ट्रेंथ ट्रेनिंग व्यायाम - Haddiyo ki majbooti ke liye Strength training
  4. ऑस्टियोपोरोसिस पीड़ितों के लिए वेट-बेअरिंग व्यायाम - Osteoporosis patients ke liye Weight bearing exercises
  5. ऑस्टियोपोरोसिस पीड़ितों के लिए संतुलन बनाने वाले व्यायाम - Osteoporosis patients ke liye Balancing exercises
  6. ऑस्टियोपोरोसिस पीड़ितों के लिए लचीलापन लाने वाले व्यायाम - Osteoporosis patients ke liye Flexibility exercises
  7. ऑस्टियोपोरोसिस पीड़ितों के लिए ध्यान रखने योग्य बातें - Osteoporosis patients ke liye precautions

ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रसित लोग समस्याओं के चलते शारीरिक गतिविधियों से दूर रहकर बहुत सामान्य सी जिंदगी बिताने को मजबूर होते हैं। यहां ध्यान रखने की जरूरत है कि अगर आप दैनिक रूप से शारीरिक गतिविधि नहीं करते हैं तो इससे कई अन्य प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं। जैसे शारीरिक मुद्रा का खराब होना, संतुलन और स्थिरता गड़बड़ी आदि। वहीं दूसरी ओर अगर आप नियमित रूप से व्यायाम करते हैं तो आपको निम्न लाभ प्राप्त होते हैं।

दर्द कम करता है : नियमित रूप से व्यायाम करने से शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसके अलावा व्यायाम के जरिए ऑस्टियोपोरोसिस के कारण होने वाले दर्द से भी छुटकारा पाया जा सकता है।

हड्डी के ऊतकों को मिलती है शक्ति : शारीरिक गतिविधियों के चलते धीरे-धीरे हड्डियों के ऊतक कमजोर होने शुरू हो जाते जाते हैं, जिससे शरीर के वजन के सापेक्ष हड्डियों में शक्ति नहीं रह जाती है। प्रशिक्षकों द्वारा बताए गए व्यायामों को करने से हड्डियों के शेष ऊतकों की रक्षा की जा सकती है साथ ही उनकी क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता है।

हड्डियों की क्षति को रोकता है : ऑस्टियोपोरोसिस के मामलों में हड्डी का घनत्व बहुत कम हो जाता है। व्यायाम के साथ अच्छा पोषण, हड्डियों को दोबारा मजबूती देता है, जिससे अनावश्यक क्षरण को रोका जा सकता है।

मांसपेशियों की ताकत को बढ़ावा देता है : यह सर्वविदित है कि हर प्रकार के व्यायाम का शरीर की विभिन्न मांसपेशियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मांसपेशियों में वृद्धि होने से हड्डियों पर दबाव कम होता है, जिससे हड्डियां मजबूत बनी रहती हैं।

गतिशीलता में सुधार करता है : ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों की अक्सर शिकायत रहती है कि वे अपने अंगों को ज्यादा गति नहीं दे पाते हैं, क्योंकि उनकी हड्डियां कमजोर हो जाती है और उनमें क्षरण का खतरा बहुत अधिक होता है। नियमित व्यायाम इस समस्या से मुक्ति दिलाता है। इससे लोगों का आत्मविश्वास बढ़ता है कि उनकी हड्डियों को कोई नुकसान नहीं होगा।

संतुलन और समन्वय को बेहतर बनाता है : ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों में शारीरिक समन्वय की कमी देखी जाती है। व्यायाम से शरीर में संतुलन को सही करने के साथ अंगों में समन्वय को बेहतर बनाया जा सकता है।

फिटनेस में सुधार : ऑस्टियोपोरोसिस के कारण कई तरह की बीमारियों के साथ-साथ शरीर में संक्रमण और चोटों से लड़ने वाली प्रतिरोध क्षमता भी कम होती है। शारीरिक रूप से फिट रहने से प्रतिरोधक क्षमता में सुधार के साथ मांसपेशियों और हड्डियों में मजबूती आती है। इसके साथ हृदय और फेफड़े भी स्वस्थ बने रहते हैं।

फ्रैक्चर का खतरा कम रहता है : जिन लोगों को पहले से फ्रैक्चर हुआ हो या ऑस्टियोपोरोसिस के कारण इसका खतरा हो, उनके लिए व्यायाम फायदेमंद होता है। व्यायाम से हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूती मिलती है, साथ ही एक मजबूत शरीरिक प्रणाली का निर्माण होता है जो आकस्मिक चोट के दौरान फ्रैक्चर के खतरे को कम करता है।

मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव : व्यायाम का मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह मस्तिष्क को शरीर में एंडोर्फिन हार्मोन भेजने के लिए प्रेरित करता है, जो खुशी और सकारात्मक भावनाओं का विकास करती है।

उम्र, लिंग, स्थिति की गंभीरता और अन्य मापदंडों के आधार पर डॉक्टर की सलाह से व्यक्ति के लिए एक सुरक्षित और लाभकारी व्यायाम की योजना बनाई जाती है। ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित लोगों को सप्ताह में तीन से चार दिन व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। इसमें कुछ प्रकार के व्यायाम शामिल होते हैं जो हड्डियों के बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।

  • हड्डियों की मजबूती के लिए स्ट्रेंथ ट्रेनिंग व्यायाम
  • ऑस्टियोपोरोसिस पीड़ितों के लिए वेट-बेअरिंग व्यायाम
  • ऑस्टियोपोरोसिस पीड़ितों के लिए संतुलन बनाने वाले व्यायाम
  • ऑस्टियोपोरोसिस पीड़ितों के लिए लचीलापन लाने वाले व्यायाम

दैनिक रूप से व्यायाम करने के कई फायदे हैं। इससे न केवल स्वस्थ व्यक्तियों को लाभ मिलता है, बल्कि जो लोग ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर समस्याओं से ग्रसित हैं उनको भी फायदा मिलता है। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग या रेसिस्टेंस ट्रेनिंग व्यायाम से मांसपेशियों में वृद्धि होती है। मांसपेशियों के अधिक होने से हड्डियों पर दबाव कम पड़ता है। ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित लोगों को अन्य व्यायामों के साथ सप्ताह में कम से कम दो दिन स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करने की सलाह दी जाती है। ऑस्टियोपोरोसिस पीड़ित कौन-कौन से स्ट्रेंथ ट्रेनिंग व्यायाम कर सकते हैं, उसके कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं।

  • पुश-अप्स, पुल-अप्स, स्क्वाट्स, लंजेस और डिप्स जैसे बॉडीवेट एक्सरसाइज
  • डम्बल, बारबेल, केटलबेल, वेट ट्रेनिंग मशीन या रेसिस्टेंस बैंड जैसे वजन के साथ किए जाने वाले अभ्यास। डंबल कर्ल, बेंच प्रेस या शोल्डर प्रेस जैसे कई अन्य व्यायाम हो सकते हैं जो आपकी स्थिति के अनुकूल होंगे।

जिन व्यायामों को खड़े होकर किया जाता है उन्हें लोड-बेयरिंग या वेट-बेअरिंग व्यायाम कहा जाता है। इसमें चलना , सीढ़ियां चढ़ना, डांस करना या टेनिस, बैडमिंटन और क्रिकेट जैसे खेल खेलना शामिल हैं। हड्डियों को मजबूत बनाने और उनके घनत्व को बरकरार रखने के लिए हल्के व्यायाम जैसे साइकिल चलाना या तैराकी की जगह उच्च तीव्रता वाले व्यायामों को करना चाहिए।

हालांकि, ऑस्टियोपोरोसिस के गंभीर रूप से पीड़ित लोगों के लिए तैराकी एक बेहतरीन व्यायाम हो सकता है। तैराकी करने से मांसपेशियों को मजबूती मिलती है, जिससे हड्डियों पर दबाव कम पड़ता है। इतना ही नहीं तैराकी करने से वजन कम करने में भी मदद मिलती है, जिससे खड़े होने, चलने और अन्य दैनिक कामों के दौरान हड्डियों पर दबाव कम पड़ता है।

एक पैर पर पूरे शरीर को नियंत्रित करना हो या स्विस बॉल से व्यायाम करना, योग और ताई ची (सांस पर ध्यान केंद्रित करते हुए किए जाने वाले व्यायामों की एक श्रृंखला) जैसे अभ्यास शरीर के संतुलन को बढ़ाते हैं। ये ऐसे अभ्यास हैं जो शरीर के समन्वय और संतुलन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं, जिससे गिरने और चोट लगने का खतरा कम किया जा सकता है।

ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित लोगों के जोड़ों में अक्सर कठोरता आ जाती है, जिससे व्यायाम के दौरान वह अपने अंगों को बहुत ज्यादा फैलाने में असमर्थता महसूस करते हैं। ऐसे में लचीलापन बढ़ाने वाले व्यायामों को करने से शरीर को पहले की तुलना में अधिक स्वतंत्रता मिलती है और सीमित हो चुकी आपकी गति फिर से सुधारी जा सकती है।

लचीलेपन को बढ़ाने वाले व्यायामों में योग, स्ट्रेचिंग और पिलैट्स (व्यायाम की एक प्रणाली जो मुख्य रूप से कोर मांसपेशियों को केंद्रित करने के साथ संतुलन में सुधार करती है) जैसे कई अभ्यास शामिल हैं।

फिजिकल थेरपिस्ट, ऑस्टियोपोरोसिस पीड़ितों को नियमित व्यायाम के लिए प्रोत्साहित करते हैं। हालांकि, आपको किसी भी व्यायाम को करने से पहले अपनी क्षमता और सीमाओं को ध्यान में रखना चाहिए। यदि आपने पहले कभी व्यायाम नहीं किया है तो अभ्यास से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर ले लें।

  • उच्च तीव्रता वाले या ऐसे कोई भी व्यायाम जो जोड़ों, विशेष रूप से कूल्हे और घुटनों पर दबाव पैदा करते हों, उन्हें करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें। इसमें कूदना, दौड़ना, चढ़ना या ट्रेकिंग करना भी शामिल हो सकता है।
  • ऑस्टियोपोरोसिस के चलते जिन लोगों को रीढ़ संबंधी कोई भी समस्या है, उन्हें आगे झुकने से बचने की सलाह दी जाती है। ऐसे लोगों को क्रंचेज, सिट-अप्स जैसे व्यायाम नहीं करने चाहिए।

निष्कर्ष -

उम्र के साथ ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ता जाता है। महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन के साथ-साथ हड्डियों में तेजी से आने वाली कमजोरी के कारण इस बीमारी के होने का खतरा बहुत ज्यादा रहता है। लड़कों की तुलना में लड़कियां हड्डियों पर कम मांस के साथ पैदा होती हैं।

बेहतर जीवन शैली, अच्छे पोषण और एक व्यवस्थित फिटनेस कार्यक्रमों के संयोजन से फ्रैक्चर और अन्य चोटों के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। ऑस्टियोपोरोसिस रोगियों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी शारीरिक गतिविधियों के साथ गतिशीलता के अभ्यास और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को संयोजित करें, जिससे शक्ति को बढ़ाने में मदद मिले और भविष्य में हड्डियों के घनत्व के कम होने की आशंका को दूर किया जा सके। लेकिन इसके लिए बेहतरीन वातावरण और अच्छे प्रशिक्षक का होना भी बहुत आवश्यक होता है।

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