मांसपेशियों में दर्द को मायल्जिया (myalgia) नाम से भी जाना जाता है। यह मांसपेशियों में लगी किसी प्रकार की चोट, सामान्य से ज्यादा मांसपेशियों का इस्तेमाल, न्यूरोलॉजिकल और मसल्स डिसऑर्डर, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, संक्रमण, ड्रग थेरेपी के दुष्प्रभाव और रक्त प्रवाह में बाधा पड़ने का लक्षण हो सकता है।

मांसपेशियों में होने वाला दर्द एक समय में एक से अधिक मांसपेशियों को प्रभावित कर सकता है और टेंडन, स्नायुबंधन (लिगामेंट्स) और फैस्सिया (ऊतक जो मांसपेशियों, अंगों और हड्डियों को जोड़ता है) तक भी फैल सकता है। यह क्रोनिक (धीरे-धीरे व लंबे समय तक प्रभावित करने वाला), एक्यूट (अचानक व तेज होने वाला) या आंतरायिक (कुछ-कुछ समय पर होने वाला) हो सकता है। मांसपेशियों में दर्द के उपचार में आमतौर पर अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थिति का प्रबंधन किया जाता है। इसमें नॉन-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAID), मसल्स रिलैक्सेंट्स (मांसपेशियों को आराम देने वाली), गर्म सिकाई और कुछ मामलों में फिजियोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है।

मांसपेशियों में दर्द की होम्योपैथिक दवा और उपचार व्यक्ति के लक्षणों पर निर्भर करता है। हालांकि, डॉक्टर बीमारी के लक्षणों के अलावा रोगी के शारीरिक और मानसिक स्थिति के अनुसार उपाय निर्धारित करते हैं। मांसपेशियों में दर्द का इलाज करने के लिए जिन दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है उनमें ब्रायोनिया अल्बा, रस टॉक्सीकोडेंड्रोन, वेराट्रम एल्बम, स्ट्रक्नीनम प्यूरम, रूटा ग्रेविओलेंस, रम्नस कैलीफोर्निका, रैननकुलस बुलबोसस, जेल्सेमियम सेंपरविरेंस, डलकैमारा, अर्निका मोंटाना, एकोनिटम नेपेलस शामिल हैं।

(और पढ़ें - मांसपेशियों में दर्द के घरेलू उपाय)

  1. मांसपेशियों में दर्द के लिए होम्योपैथिक दवाएं - Homeopathic medicines for muscle ache in Hindi
  2. मांसपेशियों में दर्द के लिए होम्योपैथी के अनुसार जरूरी बदलाव - Dietary changes for homeopathic treatment of muscular pain in Hindi
  3. मांसपेशियों के दर्द के लिए होम्योपैथिक दवाएं और उपचार कितने प्रभावी हैं - Effectiveness for homeopathy treatment of muscular pain in Hindi
  4. मांसपेशियों में दर्द के लिए होम्योपैथिक दवा के नुकसान - Side effects of homeopathic medicine for muscle pain in Hindi
  5. मांसपेशियों में दर्द के लिए होम्योपैथिक उपचार से संबंधित टिप्स - Tips related to homeopathic treatment for Muscle Ache in Hindi
मांसपेशियों में दर्द की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

मांसपेशियों में दर्द से राहत पाने के लिए निम्नलिखित होम्योपैथिक ट्रीटमेंट लिए जा सकते हैं :

ब्रायोनिया अल्बा
सामान्य नाम :
वाइल्ड हॉप्स
लक्षण : इस उपाय का उपयोग टियरिंग पेन (मांसपेशियों के फटने जैसा दर्द) के प्रबंधन के लिए किया जाता है, जिसमें आराम करने से लक्षण बेहतर होते हैं। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों में भी कारगर है :

  • एब्डोमिनल वॉल (पेट) में जलन और छूने पर दर्द
  • गर्दन के पिछले हिस्से में दर्द के साथ गर्दन में अकड़न
  • जोड़ों में लालिमा और सूजन
  • गठिया में होने वाला दर्द और सूजन

यह लक्षण सुबह, कुछ खाने के बाद और छूने से बिगड़ जाते हैं जबकि आराम करने के बाद, दर्द के बल लेटने और ठंडी चीजों के सेवन से लक्षणों में आराम मिलता है।

रस टॉक्सीकोडेंड्रोन
सामान्य नाम :
पॉइजन-आइवी
लक्षण : इस उपााय का उपयोग मुख्य रूप से संक्रमण और बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है, जो तनाव और भारी वजन उठाने के कारण होता है। इसके अलावा य​ह निम्नलिखित लक्षणों में भी असरदार है :

यह लक्षण रात में, आराम करने या सोने पर और ठंड व बारिश के मौसम में बिगड़ जाते हैं। जबकि चलने और हाथ पैर में स्ट्रेचिंग करने, गर्म और शुष्क मौसम व प्रभावित हिस्से पर गर्म सिकाई करने से इनमें सुधार होता है।

वेराट्रम एल्बम
सामान्य नाम :
वाइट हेलेबोर
लक्षण : यह उपाय मांसपेशियों में ऐंठन जैसे दर्द के मामले में असरदार है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों का भी प्रबंधन करता है :

यह लक्षण ठंड और उमसभरे मौसम व रात में बिगड़ जाते हैं, जबकि रोगी गर्म वातावरण और चलने से बेहतर महसूस करता है।

स्ट्रक्नीनम प्यूरम
सामान्य नाम :
अल्कालॉयड ऑफ नक्स वोमिका
लक्षण : यह उपाय उन लोगों के लिए बेस्ट है, जिन्हें मांसपेशियों में अकड़न और ऐंठन की शिकायत रहती है। इसका इस्तेमाल निम्नलिखित के प्रबंधन में भी किया जा सकता है :

  • पेट में अचानक तेज दर्द (आंत वाले हिस्से में)
  • सीने की मांसपेशियों में दबाव जैसा दर्द
  • पीठ के ऊपरी हिस्से और गर्दन की मांसपेशियों का सख्त हो जाना
  • मरोड़ और कंपकंपी
  • पेट की मांसपेशियों में तेज दर्द

यह लक्षण सुबह, प्रभावित हिस्से को छूने और गतिविधि करने पर खराब हो जाते हैं। जबकि पीठ के बल लेटने पर इनमें सुधार होता है।

रूटा ग्रेविओलेंस
सामान्य नाम :
रिउ-बिटरवॉर्ट
लक्षण : शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित करने वाली कमजोरी और दर्द के लिए रूटा ग्रेविओलेंस एक प्रभावी चिकित्सा है। यह निम्न के इलाज में भी उपयोगी है :

यह लक्षण ठंड या नम मौसम में और लेटने पर बिगड़ जाते हैं।

रम्नस कैलिफोर्निका
सामान्य नाम :
कैलिफोर्निया कॉफी-ट्री
लक्षण : कैलिफोर्निया कॉफी-ट्री गठिया और मांसपेशियों में दर्द के लिए सबसे उपयुक्त उपचारों में से एक है। इस उपाय का उपयोग निम्नलिखित लक्षणों से छुटकारा पाने के लिए भी किया जा सकता है:

यह लक्षण शाम को बिगड़ जाते हैं।

रैननक्यूलस बुलबोसस
सामान्य नाम :
बटरकप
लक्षण : यह उपाय मुख्य रूप से मांसपेशियों और त्वचा पर असर करती है और निम्नलिखित लक्षणों का इलाज करने में मदद करती है:

यह लक्षण शाम को, खुली हवा में रहने, प्रभावित हिस्से को छूने और मौसम में बदलाव होने से बिगड़ जाते हैं।

जेल्सेमियम सेपरविरेंस
सामान्य नाम :
येला जैस्मिन
लक्षण : इस उपाय का इस्तेमाल मुख्य रूप से आंखों, गले, हाथ-पैर, छाती और स्वरयंत्र (लैरिंक्स) के आसपास की मांसपेशियों में लकवा के इलाज में किया जाता है। यह मांसपेशियों की कमजोरी और अन्य लक्षणों को प्रबंधित करने में भी मदद कर सकता है जैसे :

  • कुछ मांसपेशियों पर कंट्रोल कम हो जाना
  • फोरआर्म (कोहनी से हाथ तक) की मांसपेशियों में ऐंठन होना
  • पीठ, कूल्हे और टांगों की मांसपेशियों में दर्द
  • गर्दन में दर्द
  • गले से कान तक दर्द

यह लक्षण तब बिगड़ते हैं जब रोगी इन लक्षणों के बारे सोचता है, धूम्रपान करता है और नम या ओसभरे मौसम में रहता है। खुली हवा में रहने, बार-बार पेशाब करने, लगातार गतिविधि करने और उत्तेजक पदार्थों के सेवन से इनमें सुधार होता है।

डलकैमारा
सामान्य नाम :
बिटर-स्वीट
लक्षण : एक तरफा ऐंठन और शरीर के एक हिस्से में होने वाले लकवा के इलाज के लिए डलकैमारा एक उपयोगी उपाय है। यह निम्नलिखित लक्षणों के प्रबंधन में भी मदद कर सकता है :

  • गर्दन, कंधे और पीठ के निचले हिस्से में अकड़न और दर्द
  • हाथ पैर में लकवा
  • नाभि वाले हिस्से में कटने जैसा दर्द
  • ठंड लगना और दर्द

यह लक्षण रात में, नम वातावरण जैसे मानसून और ठंड से खराब हो जाते हैं। बाहरी गर्मी और गतिविधियों से इनमें राहत मिलती है।

एकोनिटम नेपेलस
सामान्य नाम :
मॉन्कशूड
लक्षण : यह उपाय बेचैनी, सुन्न होना, ठंड लगना और शरीर के आंतरिक हिस्सों में जलन के इलाज में मदद कर सकता है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों के प्रबंधन में भी प्रभावी है :

  • अचानक तेज दर्द, जो शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक बढ़ता है।
  • गर्दन के पिछले हिस्से पर अकड़न और दर्द
  • जोड़ों की सूजन
  • सूजन
  • छाती में चुभन जैसा दर्द
  • घुटनों पर सही से नियंत्रण न होने के कारण गिर जाना (बेकाबू, कंपायमान)

यह लक्षण शाम और रात में, प्रभावित हिस्से के बल लेटने, धूम्रपान करने और शुष्क व ठंडी हवाओं में रहने से खराब हो जाते हैं जबकि खुली हवा में रहने से इनमें सुधार होता है।

(और पढ़ें - मांसपेशियों में दर्द की आयुर्वेदिक)

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होम्योपैथिक उपचार के दौरान कुछ खाद्य और पेय पदार्थ, विशेष रूप से जिनमें औषधीय गुण हैं, वे दवाइयों के असर में बाधा डाल सकते हैं। इसलिए, होम्योपैथिक डॉक्टर दवाइयों के साथ कुछ जरूरी निर्देश या सावधानियों के बारे में बताते हैं जैसे :

क्या करना चाहिए

क्या नहीं करना चाहिए

  • कॉफी और चाय जैसे कैफीन युक्त पेय पदार्थों का सेवन न करें।
  • औषधीय गुणों वाले तेज गंधयुक्त या पेय पदार्थों का सेवन न करें।
  • ऐसी चीजें न खाएं, जिनमें औषधीय गुणों वाले पौधों की जड़, तना या पत्तियां मिलाई गई हों।
  • चीनी और नमक सहित किसी भी खाद्य पदार्थ का अधिक मात्रा में सेवन न करें।
  • मसालेदार खाद्य पदार्थ न खाएं।
  • कोशिश करें कि दुखी न रहें, क्रोधित न रहें, बहुत ज्यादा भावनात्मक न हों, क्योंकि यह मन या शरीर की थकान का कारण हो सकते हैं।

(और पढ़ें - थकान दूर करने के लिए क्या खाएं)

मांसपेशियों में दर्द और इससे जुड़े लक्षणों के इलाज के लिए कई होम्योपैथिक दवाएं उपयोगी हैं। ब्रिटिश होम्योपैथिक एसोसिएशन (बीएचए) के अनुसार, फाइब्रोमायल्जिया (fibromyalgia) और पोलिमेल्जिया (polymyalgia) जैसी मांसपेशियों से जुड़े विकारों का निदान आमतौर पर देरी से होता है और इनका पारंपरिक उपचारों से इलाज करना मुश्किल होता है, लेकिन होम्योपैथिक उपचार जैसे रस टॉक्सिकोडेंड्रोन, कैलियम बाइक्रोमिकम और कैल्मिया लैटिफोलिया मांसपेशियों से जुड़े विकारों में प्रभावी हैं।

इस विषय से संबंधित एक समीक्षा लेख प्रकाशित हुआ था, जिसमें कई अध्ययनों के आंकड़े मौजूद थे। इसमें पता चला कि फाइब्रोमायल्जिया सिंड्रोम (मांसपेशियों में दर्द के कारण बनने वाला एक सिंड्रोम) वाले व्यक्तियों के इलाज में होम्योपैथिक उपचार प्रभावी था।

सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी द्वारा किए गए एक नैदानिक ​​अध्ययन के अनुसार, इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी और मांसपेशियों में दर्द, बुखार और सिरदर्द सहित लक्षणों वाले 447 प्रतिभागियों को तीन समूहों में विभाजित किया गया था।

प्रतिभागियों को अलग-अलग होम्योपैथिक उपचार दिए गए थे। आर्सेनिकम एल्बम, ब्रायोनिया अल्बा और रस टॉक्सोडेंड्रोन सबसे सामान्य रूप से दिए जाने वाले उपचार थे। इसमें पाया गया कि उपचार के पहले दिन जिन लोगों को व्यक्तिगत रूप से होम्योपैथिक उपचार दिए गए थे, उन्हें न सिर्फ मायल्जिया के लक्षणों से राहत मिली बल्कि समग्र स्वास्थ्य में सुधार हुआ।

होम्योपैथिक दवाएं प्राकृतिक पदार्थों से बनाई जाती हैं, यह पतली व घुलनशील होती हैं, यही कारण है कि इनका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। होम्योपैथी उपचार उन व्यक्तियों में मुख्य रूप से उपयोगी है, जो पारंपरिक दवाएं इसलिए नहीं लेना चाहते हैं, क्योंकि कई बार इसके साइड इफेक्ट्स या जोखिम झेलने पड़ सकते हैं।

होम्योपैथी सुरक्षित और प्रभावी है, इसका उपयोग हमेशा किसी अनुभवी होम्योपैथिक डॉक्टर से परामर्श करने के बाद किया जाना चाहिए। एक होम्योपैथिक डॉक्टर हमेशा बीमारी के लक्षणों के अलावा, व्यक्ति की शारीरिक या मानसिक स्थिति को जानने की कोशिश करते हैं। वे स्थिति के अनुसार सटीक उपाय लिखते हैं और खानपान व जीवनशैली में बदलाव से संबंधित जरूरी बातें बताते हैं, जिससे बीमारी का इलाज तेजी से होता है।

मांसपेशियों में दर्द होना सबसे आम असहज लक्षणों में से एक है, यह हमारी सभी शारीरिक और मानसिक गतिविधियों को प्रभावित करता है और ऐसे में काम पर फोकस करना मुश्किल हो जाता है। मांसपेशियों में दर्द कई वजहों से हो सकता है, जिनका समय पर निदान और उपचार किया जाना जरूरी होता है। मांसपेशियों में दर्द और इसके अंतर्निहित कारणों के उपचार के लिए कई पारंपरिक दवाएं मौजूद हैं, लेकिन जिन लोगों को इन दवाओं से एलर्जी या किसी अन्य साइड इफेक्ट्स का जोखिम है वे लोग होम्योपैथी ट्रीटमेंट का रुख कर सकते हैं। इन उपायों को प्राकृतिक चीजों से तैयार किया जाता है, इनका कोई दुष्प्रभाव नहीं है और सबसे बड़ी बात, इन्हें बच्चे से लेकर बूढ़ों तक सभी उम्र के लोग आसानी से ले सकते हैं। ध्यान रहे, इन दवाओं को कभी अपने आपसे न लें, हमेशा एक अच्छे व अनुभवी होम्योपैथिक डॉक्टर से सलाह लें और उसके बाद ही इन दवाओं का सेवन करें।

एक अच्छा डॉक्टर आपको दवाओं के साथ-साथ खानपान व जीवनशैली में कुछ जरूरी बदलाव करने के लिए कह सकते हैं, होम्योपैथिक उपचार में किसी बाहरी कारक की वजह से बाधा न आने पाए और आपका इलाज सटीक तरीके से हो पाए।

(और पढ़ें - एलर्जी होने पर क्या करें)

Dr. Anmol Sharma

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Dr. Sarita jaiman

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Dr.Gunjan Rai

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11 वर्षों का अनुभव

DR. JITENDRA SHUKLA

DR. JITENDRA SHUKLA

होमियोपैथ
24 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

  1. Cleveland Clinic. Muscle Pain. Cleveland, Ohio; [Internet]
  2. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Muscle aches
  3. British Homeopathic Association. Muscle and joint problems. London; [Internet]
  4. Oscar E. Boericke. Repertory. Médi-T; [lnternet]
  5. Boehm K, Raak C, Cramer H, Lauche R, Ostermann T. Homeopathy in the treatment of fibromyalgia--a comprehensive literature-review and meta-analysis. 2014 Aug;22(4):731-42. PMID: 25146079
  6. PS Chakraborty, CD Lamba, D Nayak, MD John, DB Sarkar et al. Effect of individualized homoeopathic treatment in influenza like illness: A multicenter, single blind, randomized, placebo controlled study. Year : 2013 Volume : 7 Issue : 1 Page : 22-30
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