मानसिक रोग ऐसे विकार होते हैं जो आपकी सोच, व्यवहार और मूड को प्रभावित करते हैं। मानसिक रोग जैसे तनाव, चिंता का विकार, सिज़ोफ्रेनिया (एक प्रकार का पागलपन), किसी चीज़ की लत लग जाने का विकार आदि इसमें शामिल होते हैं। अधिकतर लोगों को समय-समय पर मानसिक स्वास्थ को लेकर समस्याएं होने लगती हैं। लेकिन मानसिक स्वास्थ समस्याएं तब मानसिक रोग में बदल जाती हैं जब इसके लक्षण और भी ज़्यादा गंभीर हो जाते हैं और यह आपके मस्तिष्क के कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करने लगती है।

लेकिन घबराने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि आज हम आपको मानसिक रोग के कुछ बेहतरीन उपाय बताने वाले हैं। जिनको आजमाकर न सिर्फ आपका मस्तिष्क शांत महसूस करेगा बल्कि इसके अन्य लक्षण भी देखने को नहीं मिलेंगे।

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तो आइये आपको बताते हैं मानसिक रोग के उपाय –

  1. मानसिक रोग से छुटकारा पाने के लिए रहें मानसिक स्वास्थ से अवगत - Be aware of your mental health in Hindi
  2. मानसिक रोग को दूर करने के उपाय के लिए अपनों से जुड़े रहें - Social life helps to get rid of mental illness in Hindi
  3. मानसिक रोग को दूर करें लोगों की मदद से - Take support of people to get rid of mental illness in Hindi
  4. मानसिक रोग दूर करने के उपाय में करें ये गतिविधियां - Therapeutic activities for mental health people in Hindi
  5. मानसिक बीमारी से बचने के लिए शारीरिक स्वास्थ पर ध्यान दें - Take care of your physical health in Hindi
  6. मानसिक बीमारी दूर करने के लिए विशेष संस्था से सम्पर्क करें - Contact special organisation for mental illness problem in Hindi

आप लोगों को बताएं कि आपको किस प्रकार की मदद की ज़रूरत है - अगर आपका मानसिक स्वास्थ से जुड़ा किसी भी तरह का इलाज पहले हो चूका है, तो अपने डॉक्टर को इसकी जानकारी दें। इस बारे में अपने दोस्त और परिवार वालों को भी बताएं कि वो आपकी इसमें किस तरह से मदद कर सकते हैं। अगर वो आपकी मदद कर रहे हैं तो अच्छी बात है, लेकिन अगर वो आपका मज़ाक बना रहे हैं तो ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखें।

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1. शुरुआत में होने वाले लक्षणों पर ध्यान दें - जैसा भी आप महसूस कर रहे हैं, उससे अवगत रहने की कोशिश करें और जो लक्षण आपकी तबियत बिगाड़ रहे हैं उन लक्षणों पर भी ध्यान दें। यह कार्य आपको खुद से करना होगा, लेकिन इस तरह आपको सामने वाले व्यक्ति को बताने में आसानी होगी। जैसे कि आप किस तरह महसूस कर रहे हैं या कैसे लक्षण आपको देखने को मिल रहे हैं।

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2. अपने मूड में बदलाव आते रहने की डायरी बनाएं - अपने मूड के बदलाव पर ध्यान रखें। इससे आपको कुछ चीज़े जानने में आसानी होगी जैसे आपको किस बात पर अच्छा या बुरा लगता है। आप इस तरह मुश्किल स्थितियों में कुछ चीज़ों को नजर अंदाज कर सकते हैं या उनमें बदलाव ला सकते हैं। इससे आपका मूड भी सही रहेगा।

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3. अपना आत्म-सम्मान बढ़ाएं - आत्म सम्मान बढ़ाने के लिए एक कदम बढ़ाएं। इससे आपको खुद पर विश्वास होगा और खुद का सामना भी अच्छे से कर पाएंगे।

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अन्य लोगों से जुड़ा हुआ महसूस करना भी बेहद ज़रूरी है। इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और खुद की एहमियत व कीमत भी महसूस होगी। अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ थोड़ा वक़्त बिताने की कोशिश करें। ज़रूरी नहीं है कि आप सामने ही बात करें, फ़ोन पर, मैसेज करके या कॉल करके भी बात कर सकते हैं।

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अगर आपको परिवार वाले या दोस्त सहारा देने वाले नहीं लगते और आप अकेला-अकेला महसूस करते हैं, तो अन्य भी कई तरीके हैं, जिनसे आपको मदद मिल सकती है। जैसे आप ऐसे समूह समारोह में जा सकते हैं जहां आपकी रुचि जगे या कुछ सीखने को मिले। इसके साथ ही आप खेल या किताबों के क्लब में भी शामिल हो सकते हैं, जहां आपको आपके व्यवाहर के लोग मिलेंगे।

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जब आप मानसिक स्वास्थ समबन्धी समस्याएं अनुभव करते हैं तो ऐसा महसूस होता है कि आपको समझने वाला कोई नहीं है। लेकिन पीर सपोर्ट (Peer support) में ऐसे लोग शामिल होते हैं जिन्होंने ये अनुभव पहले किया होता है या अभी भी कर रहे होते हैं। इसमें एकदूसरे को सहारा देने के लिए एक समूह बनाया जाता है। इसके कुछ फायदे नीचे दिए गए हैं, जैसे -

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  1. आप जैसे भी हैं, आप खुद को अपनाने लगते हैं।
  2. इस समूह में आपका आत्म-विश्वास बढ़ता है।
  3. नए लोगों से मिलते हैं और अपने अनुभव से लोगों की मदद करते हैं।
  4. सहारे के लिए नयी-नयी जगह से जानकारियां सामने आती है।
  5. सभी तरह के लोग इसमें शामिल होते हैं।

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ऐसी बहुत सी तकनीके और थेरेपी हैं जिन्हे आप खुद से भी आजमा सकते हैं। जैसे –

1. आराम देने वाली चीज़े करें - ये तो आप खुद जानते ही होंगे कि ऐसी कौन-कौन सी चीज़े हैं जिनसे आपको बेहद आराम महसूस होता है। उनमें से कुछ जैसे नहाना, गाने सुनना या अपने प्यारे कुत्ते के साथ टहलने निकलना आदि शामिल है। अगर आपको लगता है कि इनसे आपके मस्तिष्क को बेहद आराम महसूस होता है तो इन्हे करने के लिए रोज़ाना कुछ समय निकालिये।

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2. अपने मस्तिष्क को सब तरफ की चीज़ों के लिए सचेत रखें - सचेतन यानि 'माइंडफुलनेस' तकनीक में आप अभी हो रही गतिविधियों से अवगत होते हैं। इसका मतलब है कि आपके दिमाग में बाहरी दुनिया की चीज़े और अपने मन में चल रही चीज़े होनी चाहिए। माइंडफुलनेस की मदद से आप अपने मूड और रिएक्शन की तरफ और सचेत हो जाते हैं, लेकिन सभी के लिए ये तकनीक मददगार साबित नहीं होती।

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3. प्राकृतिक चीज़ों के बीच रहें - हरे वातावरण के बीच रहना, जैसे पार्क या ग्रामीण इलाके खासकर आपके लिए बेहद अच्छे होते हैं। बल्कि अगर आपके यहां बगीचा नहीं है तो आप अंदर पौधे या पालतू जानवर रख सकते हैं, जिससे आपका मूड ठीक रहेगा रहे और आप प्रकृति के बीच भी बने रहेंगे।

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ये गतिविधियां आपके लिए तभी ठीक हैं जब आप किसी भी तरह की दवाई या टॉकिंग ट्रीटमेंट (Talking treatments) नहीं ले रहे हैं।

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शारीरिक स्वस्थ पर ध्यान देने से आपको मानसिक स्वास्थ को भी ठीक रखने में मदद मिलेगी।

1. पर्याप्त नींद लेने की कोशिश करें - आप जब चाहे तब आप आराम करें। इससे आपको महसूस और अनुभव होने वाली चीज़ों से राहत मिलेगी।

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2. शारीरिक गतिविधियां करें - रोज़ाना व्यायाम करें, लेकिन यह ज़्यादा कठिन नहीं होने चाहिए। व्यायाम शुरू करने के लिए हल्के-हल्के व्यायामों का चयन करें, जैसे रोज़ कुछ दूरी तक पैदल चलें, योग या स्विमिंग करें। सबसे ज़रूरी चीज़ ये हैं कि आप वहीं चुनें जो आपको करना पसंद हो या जिसमें आपको मज़ा आता हो। इस तरह आप इन गतिविधियों से जुड़े भी रहेंगे। अगर आप शारीरिक रूप से अपंग हैं तो ये सब करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।

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3. ड्रग्स और शराब का सेवन न करें - गलत अनुभवों और अजीब सोच से निकलने के लिए आप शराब या अन्य नशीले पदार्थ का सेवन करने लगते हैं, लेकिन इनसे आपके शरीर को और नुकसान पहुँच सकता है। इन लत को छोड़ने के लिए आप अपने अपनों की मदद ले सकते हैं।

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4. व्यक्तिगत देखभाल के लिए समय निकालें - जब आप मानसिक रोग का अनुभव कर रहे होते हैं तो छोटी-छोटी चीज़े बहुत बड़ा बदलाव लाने में मदद करती हैं, जैसे नहाना या अपनी पसंदीदा ड्रेस पहनना, खुद को अच्छे से रखना आदि।

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5. स्वस्थ खाद्य पदार्थ खाएं - आप क्या खाते हैं और कब खाते हैं, इससे आपको अपने अंदर बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिलता है। इसलिए स्वस्थ खाएं और समय पर खाएं, जिससे आपके शरीर को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचे।

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भारत में ऐसी बहुत सी सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं हैं जो मानसिक रोग से पीड़ित लोगों की मदद करती हैं। यहाँ ऐसी कुछ संस्थाओं के बारे में बताया गया है। आप अपनी आवश्यकता के अनुसार सही संस्था का चाहयान करके उनसे संपर्क कर सकते हैं। इन संस्थाओं का फोन नंबर, पता आदि उनकी वेबसाइट पर उपलब्ध है। 

1. निमहंस (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेन्टल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस) - निमहंस को कई तरह के मानसिक स्वास्थ विकार के इलाज के लिए जाना जाता है। 

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2. एसीएमआई (एक्शन फॉर मेन्टल इलनेस) - एसीएमआई मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्ति और उसके परिवार वालो को कई सेवाएं देता है और पीड़ित की देखभाल भी करता है। 

3. डब्ल्यूएचओ (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन) - डब्ल्यूएचओ पूरे देश में मानसिक रोग से पीड़ित लोगों की मदद करता है। 

4. आशादीप - आशादीप असम स्थित एक संस्था है, जो मानसिक रोग से पीड़ित लोगों को मनोसामाजिक पुनर्वास देती है। 

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5. स्कार्फ (सिज़ोफ्रेनिया रिसर्च फॉउंडेशन) - स्कार्फ़, चेन्नई स्थित एक संस्था है जो खासकर सिज़ोफ्रेनिया में देखभाल करती है और रिसर्च भी करती है। 

6. चैतन्य - ये पुणे स्थित संस्था है, जो सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों को रहने के लिए घर उपलब्द कराती है। 

7. स्नेही - स्नेही एक संस्था है, जो मानसिक रोग से पीड़ित लोगो की देखभाल करती है। 

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8. परिपूर्णता - परिपूर्णता कोलकाता में स्थित संस्था है, जो मानसिक रोग से पीड़ित महिलाओं को घर देती है और उनका इलाज करती है। 

9. आशरा - आशरा ओड़िसा में स्थित संस्था है, जो मानसिक रोग से पीड़ित महिलाओं को इलाज, बचाव और पुनर्वास देती है। साथ ही घर से बेघर पीड़ित महिलाओं को घर भी देती है। 

10. इंस्टीट्यूट फॉर साइकोलॉजिकल हेल्थ - इंस्टीट्यूट फॉर साइकोलॉजिकल हेल्थ मुंबई में स्थित संस्था है जो मार्च 1990 में शुरू हुई थी। इसका लक्ष्य है समाज को मानसिक स्वास्थ से सम्बन्धित ज़रूरतों को लेकर जागरूक करना। 

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11. अभाया - अभाया केरला स्थित संस्था है जो मानसिक रोग से पीड़ित महिलाओं और बच्चों की देखभाल करती है। 

12. अनभाहम - चेन्नई स्थित पुनर्वास केंद्र हैं जो मानसिक रोग से पीड़ित बेसहारा पुरुषों को सहारा देती है। 

13. सेंटर फॉर एडवोकेसी इन मेन्टल हेल्थ - ये मानसिक रोग से पीड़ित लोगों के लिए रिसोर्स सेंटर है। 

14. द रिचमंड फेलोशिप सोसाइटी (भारत) - द रिचमंड फेलोशिप सोसाइटी, मानसिक स्वास्थ सम्बंधित सेवाएं देने वाली दुनिया की सबसे बड़ी संस्था है। ये संस्था भारत और पडोसी देशों में भी इस समस्या से पीड़ित लोगों की देखभाल करती है।

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