आप धूम्रपान नहीं करते फिर भी आपके फेफड़े कमजोर हैं? दरअसल फेफड़े कमजोर होने के लिए जरूरी नहीं है कि हमेशा कोई खतरनाक वजह ही जिम्मेदार हो। कई बार छोटी-छोटी वजह जैसे घर के कार्पेट में मौजूद गन्दगी, कार या घर में मौजूद गंदगी, आस-पास किसी के द्वारा स्मोक किया जाना भी आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे अस्थमा के लक्षण भी पैदा हो सकते हैं।
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आइए आपको बताएं कुछ ऐसी चीज़ों के बारे में जो पहुंचा रहीं है आपके फेफड़ों को नुकसान:
कार्पेट में छिपे धूल के कण
क्या आप जानते हैं कि जिस कार्पेट से आप अपने घर को सजाते हैं, वह भी आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है? दरअसल कार्पेट की सफाई नियमित नहीं होती है। जिस वजह से उसमें काॅक्रोच की गंदगी, धूल-मिट्टी और टाॅक्सिक गैस बढ़ जाती है। ये सभी तत्व कार्पेट पर चलते हुए सांस लेने के दौरान हवा के जरिए आपके फेफड़ों में घुस जाते हैं। कार्पेट बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले रसायन भी आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। फेफड़ों की समस्या से बचना है तो कोशिश करें कि अपने कार्पेट को नियमित यानी एक हफ्ते में तीन बार जरूर साफ करें। घर के बाहर ही कार्पेट की सफाई करें। इसके साथ ही कार्पेट की हर साल स्टीम क्लीनिंग करें। इस तरह आप फेफड़ों की समस्या से बचे रह सकते हैं।
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कीटनाशक से रहें दूर
निःसंदेह कीटनाशक फसलों, लाॅन या प्ले ग्राउंड से कीटों को मार भगाते हैं। लेकिन अगर आप कीटनाशक को हाथ से छूते हैं, इसके पास सांस लेते हैं या फिर गलती से निगल जाते हैं, तो यह आपके लिए समस्या पैदा कर सकता है। इससे आपके नर्व्स, हार्मोन, आंखों, त्वचा और फेफड़ों को क्षति हो सकती है। खासकर खेतों में काम करने वाले किसानों को कीटनाशक की वजह से फेफड़ों की समस्या जैसे अस्थमा और सीओपीडी (फेफड़ों से सम्बंधित रोगों का एक समूह) होने की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए जब भी लाॅन या खेत में कीटनाशक का इस्तेमाल करें तो मास्क पहनें, आंखों में गाॅगल्स लगाएं और पूरी तरह कवर्ड ड्रेसेज पहनें।
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पटाखों से रहें दूर
पटाखों के रंग अलग-अलग किस्म के धातु से बनते हैं, जो हवा में एक महीन पाउडर का विस्फोट करता है। यह धातु अस्थमा और फेफड़ों से संबंधित अन्य समस्याओं के कारक को उत्तेजित करता है। इसलिए विशेषज्ञों का कहना है कि जब भी पटाखों से खेलें, अपनी सुरक्षा का ध्यान रखें। पटाखों से निकलने वाले धुएं से बचकर रहें। पटाखों से खेलने के दौरान ब्रीदिंग मास्क भी पहन सकते हैं।
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आटे के कण भी हैं नुकसानदायक
जब कोई ज्यादातर समय आटे के आस-पास रहता है यानी बेकरी में काम करता है, तो वह सांस लेने के दौरान आटे में मौजूद धूल के कण को भी शरीर के अंदर ले लेता है। विशेषज्ञ इसे बेकर्स अस्थमा कहते हैं। ऐसे लोगों में अस्थमा होने की आशंका भी बढ़ जाती है। बेकरी में काम करने वाले कुछ पेशेवरों का कहना है कि बेकरी में काम करने के बाद उन्हें गेहूं के आंटे से एलर्जी हो गई है और अस्थमा के लक्षण विकसित हो गए हैं। कुछ अध्ययन बताते हैं कि जरूरी नहीं है कि बेकरी में काम करने वाले हर व्यक्ति को आटे से एलर्जी हो। लेकिन लम्बे समय तक बेकरी में काम करने की वजह से उनमें फेफड़ों से संबंधित समस्या हो सकती है। वास्तव में आटे में मौजूद धूल के कण फेफड़ों के लिए सही नहीं है। इसी वजह से फेफड़ों की समस्या पैदा होती है।
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