वीर्य में शुक्राणुओं का स्तर 20 मि.ली से कम होने का मतलब है पुरुषों में स्पर्म काउंट का कम होना। आयुर्वेद में शुक्राणुओं की कमी का संबंध क्षीण शुक्र से बताया गया है जिसमें शुक्र (वीर्य) की गुणवत्ता और संख्या कम होने लगती है।
शुक्राणुओं की कमी के आयुर्वेदिक उपचार में स्नेहन (तेल मालिश की विधि), विरेचन (दस्त की विधि) और बस्ती (एनिमा) शामिल है। इस समस्या और इससे संबंधित लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए गोक्षुरा, अश्वगंधा, कपिकच्छू, शतावरी, शिलाजीत, श्वेत मूसली, वंग भस्म (तांबे को ऑक्सीजन और वायु में उच्च तामपान पर गर्म करके तैयार हुई), मस अश्वगंधादि चूर्ण और माषादि वटी जैसी जड़ी बूटियों एवं औषधियों की सलाह दी जाती है।
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