टांगों में दर्द एक परेशान करने वाली स्थिति है क्योंकि इसमें चलने, घुटने टेकने या सीढ़ियां चढ़ने जैसी गतिविधियों में दिक्कत आती है। चूंकि इस दर्द के कारण व्यक्ति विचलित हो जाता है, इसलिए वह नियमित कामों को पूरा करने में असमर्थ हो जाता है। हालांकि, टांगों में दर्द होना अपने आप में कोई खास बीमारी नहीं है, लेकिन यह कई तरह की चिकित्सकीय स्थितियों का लक्षण हो सकता है। इसके अलावा थकान या निर्जलीकरण (शरीर में पानी की कमी) के कारण यह दर्द ट्रिगर हो सकता है। टांगों में दर्द के सबसे सामान्य कारणों में शामिल हो सकते हैं :
- चोट, मांसपेशियों में अत्यधिक खिंचाव, मांसपेशियों का फटना और टेंडन में सूजन के अलावा हड्डियां बढ़ने और हल्की दरार के कारण टांगों में दर्द हो सकता है।
- निर्जलीकरण या खून में सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम के स्तर में कमी के कारण मांसपेशियों में ऐंठन होने, मूत्रवर्धक और स्टैटिन जैसी दवाओं के साइड इफेक्ट, व्यायाम या नौकरी के चलते किसी विशेष पोजिशन में अत्यधिक देर तक बने रहने से भी टांगों में दर्द की समस्या हो सकती है।
- डीप वीन थ्रोम्बोसिस (शरीर की एक या कई नसों में ब्लड क्लॉट की स्थिति) जैसे रोग या चिकित्सकीय स्थिति के कारण लंबे समय तक बिस्तर पर आराम करने, टांगों के जोड़ों में सूजन (जैसे गठिया और गाउट), हड्डियों में संक्रमण (ऑस्टियोमायलायटिस), वैरेकोज वाइन्स (नसों का असामान्य तरह से बढ़ना), अत्यधिक शराब के सेवन, धूम्रपान और डायबिटीज जैसी स्थितियों के कारण तंत्रिका को किसी प्रकार का नुकसान होने से टांगों में दर्द की समस्या हो सकती है।
- टांगों में दर्द के कुछ और असामान्य कारणों में सभी प्रकार के ट्यूमर, लेग-काल्व-पर्थेस डिसीज (ऐसी स्थिति जिसमें कूल्हे तक खून का बहाव रुक जाता है या पैरों की सामान्य वृद्धि में देरी होती है) और साइटिका (पीठ के निचले हिस्से से पैर की तरफ जाने वाली नस) में दर्द शामिल हैं।
टांग में दर्द के प्रबंधन के लिए कई मान्यताप्राप्त ओवर-द-काउंटर (ऐसे दवाइयां जिन्हें डॉक्टर के पर्चे के बिना सीधे उपभोक्ता को बेची जा सकती हैं) और प्रिस्क्रिप्शन (ऐसे दवाइयां जिन्हें डॉक्टर के कहने पर उपभोक्ता को बेची जा सकती हैं) दवाएं उपलब्ध हैं। हालांकि, ये दर्द निवारक दवाएं केवल लक्षणों का इलाज करती हैं, जबकि अंतर्निहित कारणों को ठीक नहीं कर सकती हैं। इन दवाओं का लंबे समय तक उपयोग करने से कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।
होम्योपैथिक उपचार न केवल स्थिति को ठीक करने पर फोकस करता है, बल्कि रोगी की विशिष्ट स्थिति से पीड़ित होने की प्रवृत्ति पर भी ध्यान केंद्रित करता है। इसमें व्यक्ति की मानसिक स्थिति और मेडिकल हिस्ट्री जानने के बाद इलाज निश्चित किया जाता है।
होम्योपैथी में दर्द के प्रबंधन और इससे जुड़े लक्षणों को ठीक करने के लिए कई दवाएं मौजूद हैं। इनमें प्रमुख हैं कैप्सिकम एन्नम, कार्बोनियम सल्फ्यूरेटम, डायोस्कोरिया विलोसा, जेल्सेमियम सेंपरविरेंस, ग्नैफैलियम पॉलीसेफालम, कैलियम कार्बोनिकम, फॉस्फोरस, प्लंबम मेटालिकम, विपरा बेरस, अर्निका मोंटाना, कैलकेरिया कार्बोनिका, रस टॉक्सीकोडेंड्रोन, कैलियम बाइक्रोमिकम, मैग्नीशियम फास्फोरिकम और बैप्टिसिया टिंक्टोरिया।
इन दवाओं को या तो अकेले या अन्य दवाइयों के साथ टांग में दर्द के उपचार के लिए दिया जाता है।