पीलिया के डाइट प्लान के बारे में जानने से पहले आपको यह जान लेना चाहिए की पीलिया किस वजह से होता है।
आपके शरीर में जब बिलीरूबिन का स्तर बढ़ जाता है, तब आप पीलिया के शिकार होते हैं। बिलीरुबिन एक भूरे-पीले रंग का द्रव्य होता है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने पर बनता है। यह पदार्थ लिवर में पाया जाता है और आमतौर पर पाचन के दौरान शरीर से बाहर निकल जाता है। जब आपके शरीर से बिलीरूबिन पूरी तरह से बाहर नहीं निकल पाता है, तब आपको पीलिया रोग होता है।
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बिलीरूबिन को पूरी तरह से शरीर से बाहर निकालने के लिए एक दिन में कम से कम 3 से 4 लीटर पानी पीना चाहिए। इसके साथ ही साथ जल्द से जल्द बिलीरुबिन टेस्ट करना चाहिए। जब इस बात की पुष्टी हो जाती है कि आप मलेरिया के मरीज है, उसके बाद आपको हर 2 घंटे बाद तरल आहार लेने की सलाह दी जाती है। तरल खाद्य पदार्थों को पचाने में लिवर को आसानी होती है।
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तरल खाद्य पदार्थों में आप जूस, दाल, चावल पानी, सब्जियों के सूप, चिकन का शोरबा और गन्ने का जूस पी सकते हैं। अगर इन तरल खाद्य पदार्थों को आहार के रूप में लेने से रोगी को उल्टी नहीं होता है, तब वह पूर्ण रूप से तरल आहार ले सकता है। तरल आहार में दाल-चावल, छाछ, खिचड़ी और दही जैसे तरल खाद्य पदार्थों को खाएं।
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यदि ऊपर बताए गए तरल खाद्य पदार्थों को रोगी आसानी से पचा लेता है, तो उसके बाद रोगी को कम वसा वाले खाद्य पदार्थ खाने शुरू कर देना चाहिए। आपको एक बार फिर बता दें कि डाइट प्लान का पालन करने के दौरान 3 से 4 लीटर पानी पीना न भूलें। इसके साथ ही साथ खाने में कार्बोहाइड्रेट को भी शामिल करना चाहिए, क्योंकि लिवर की कोशिकाओं के निर्माण के लिए कार्बोहाइड्रेट की आवश्यकता होती है। पीलिया में किसी भी तरह के तेल न खाएं, क्योंकि तेल को लिवर से होकर गुजरना होता है, जो पीलिया को बढ़ावा देता है। नारियल तेल और घी का आप बहुत ही कम मात्रा में इस्तेमाल कर सकते हैं।
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