रक्त में बिलीरुबिन (Bilirubin) का स्तर बढ़ जाने के कारण व्यक्ति को पीलिया होता है। ये स्तर लिवर, ब्लैडर और पित्त नलिकाओं से संबंधित कई बीमारियों के कारण बढ़ सकता है। पीलिया होने पर रोगी की आंख का सफेद भाग और उसकी त्वचा पीली पड़ने लगती है। अगर पीलिया करने वाले कारण को समय रहते ठीक न किया जाए, तो रोगी के लिए ये जानलेवा साबित हो सकता है।
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पीलिया कई कारणों से होता है, जैसे बिलीरुबिन मेटाबोलिज्म से संबंधित अनुवांशिक समस्याएं, लिवर रोग, मूत्राशय के रोग, अग्नाशय कैंसर और हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी व ई के कारण हुए लिवर इन्फेक्शन। त्वचा पीली होने के अलावा, पीलिया में त्वचा का फीकापन, रूखी त्वचा, नाखूनों का बीच में से दबकर चम्मच की तरह हो जाना और त्वचा मोटी होने जैसे लक्षण होते हैं।
पीलिया का पता लगाने के लिए लिवर फंक्शन टेस्ट जैसे ब्लड टेस्ट या यूरिन टेस्ट किए जा सकते हैं। पीलिया का इलाज करने के लिए और अंदरूनी कारण को ठीक करने के लिए कुछ होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे शेलिडोनियम (Chelidonium), कार्डुअस मेरियनस (Carduus marianus), लायकोपोडियम (Lycopodium) और फॉस्फोरस (Phosphorus)। कुछ मामलों में, लायकोपोडियम (Lycopodium) जैसी दवाओं से पीलिया की जटिलताएं भी ठीक की गई हैं, जैसे लिवर में सूजन और पेट में पानी भरना।
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