असम में तीरंदाजी के दौरान अचानक हुआ एक हादसा युवा तीरंदाज के लिए मुसीबत बन गया। दरअसल अभ्यास के दौरान गलती से 12 वर्षीय तीरंदाज शिवांगी गोहेन के कंधे में तीर लग गया। यह हादसा खेलो इंडिया (यह भारत सरकार की एक पहल है, जिसमें स्कूल गेम्स होते हैं) के उद्घाटन के अगले ही दिन देखने को मिला। शिवांगी डिब्रूगढ़ के चाबुआ में भारतीय खेल प्राधिकरण के ट्रेनिंग सेंटर में तीरंदाजी का अभ्यास कर रही थी और इसी दौरान शिवांगी के कंधे में तीर लग गया।
बता दें कि ट्रेंनिग सेंटर में अभ्यास के दौरान साथी तीरंदाज की गलती से शिवांगी को यह तीर लगा। घटना के तुरंत बाद उसे डिब्रूगढ़ के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया, लेकिन यहां के डॉक्टर शिवांगी के कंधे से तीर निकालने में असफल रहे, जिसके बाद उसे घायल अवस्था में दिल्ली स्थित एम्स के लिए एयरलिफ्ट किया गया, जहां सर्जरी के बाद 15 सेमी तीर के टुकड़े को बाहर निकाला गया।
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तीरंदाजी में कैसा होता है तीर?
खेल के मैदान में तीरंदाजी के दौरान हुए इस हादसे के बाद यह जानना जरूरी हो जाता है कि खिलाड़ियों के जरिए इस्तेमाल किए जाने वाले तीर आखिरकार किस प्रकार के होते हैं और किस चीज के बने होते हैं, क्योंकि इससे चोट की गहराई और जख्म के ठीक होने का अंदाजा लगाया जा सकता है।
आमतौर पर तीर के बीच का हिस्सा शाफ्ट (पतली लकड़ी) से बना होता है, जो कि फ्लेचिंग्स और एक नोक के साथ तीर के सामने के सिरे से जुड़ा होता है। मौजूदा समय में यानि आधुनिक समय में तीर कार्बन फाइबर, एल्यूमीनियम, फाइबरग्लास और लकड़ी के शाफ्ट (पतली डंडी) से बने होते हैं।
तीर लगने से कंधे को कितना नुकसान हो सकता है?
शिवांगी के दाएं कंधे से डॉक्टरों ने सर्जरी के जरिए तीर का 15 सेंटीमीटर हिस्सा बाहर निकाला है, जो गर्दन के सर्वाइकल वाटिया C7 और T1 को तोड़ते हुए फेफड़े के बाएं हिस्से तक पहुंच गया था। यह तीर मस्तिष्क में खून की सप्लाई करने वाली धमनी को छूते हुए अंदर गया था। myUpchar से जुड़ी डॉक्टर जैसमीन कौर बतातीं है कि यह काफी गंभीर स्थिति हैं अगर तीर दिमाग की नस को नुकसान पहुंचा तो उसकी मृत्यु भी हो सकती थी, लेकिन अभी शिवांगी को ठीक होने में करीब 3 महीने से ज्यादा का समय लग सकता है।
इसके अलावा उसे लाइफ टाइम (जीवन भर) कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। शरीर के ऊपरी हिस्से को हिलाने में दिक्कत महसूस होगी। जैसे- हाथ और उंगुलिया हिलाने में और गर्दन हिलाने में परेशानी महसूस होगी। साथ ही सांस लेने में दिक्कत हो सकती है तो शरीर में झुनझुनाहट भी हो सकती है।
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इंफेक्शन होने का कितना खतरा?
क्योंकि, तीर का नुकीला भाग कार्बन फाइबर, एल्यूमीनियम का बना होता है। इसलिए इंफेक्शन (संक्रमण) और इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा होता है। इंफेक्शन के बचाव के लिए ब्लड टेस्ट और उसके बाद एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगाए जाते हैं।
चोट और सर्जरी के बाद क्या परेशानी आ सकती है?
डॉक्टर के मुताबिक सर्जरी के बाद भी इंफेक्शन की आशंका हो सकती है। इसलिए जब तक टांके नहीं सूखते हैं और चोट ठीक नहीं होती, तब तक रोजाना जख्म वाले प्रभावित भाग को गंदगी (धूल और मिट्टी) से दूर रखना होगा।
भविष्य में खेलने की उम्मीद कितनी?
शिवांगी की चोट के आधार पर देखा जाए तो उसके भविष्य में तीरंदाजी करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, सी7 और टी 1 को नुकसान पहुंचाया है। इस स्थिति हाथ हिलाने में परेशानी महसूस होगी है, जिसके कारण भविष्य में शिवांगी के खेलने की संभावनाएं थोड़ी कम है।
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चोट के कारण इन खिलाड़ियों का करियर हुआ खत्म?
यह हादसा कोई पहला नहीं बल्कि इससे पहले भी कई खिलाड़ी हैं, जिन्हें खेल में मिली चोट के कारण मैदान को ही अलविदा कहना पड़ा। इतना ही नहीं, कुछ ऐसे खिलाड़ी भी हैं, जिनकी चोट लगने के कारण मृत्यु हो गई। जैसे-
क्रिकेटर मार्क बाउचर- साउथ अफ्रीकी टीम के विकटकीपर बल्लेबाज मार्क बाउचर को 9 जुलाई 2012 को बाईं आंख में बॉल लगी थी, क्योंकि उन्होंने हेल्मेट नहीं पहना था। इसलिए चोट गंभीर आई और ऐसे में बाउचर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया।
फिल ह्यूज- ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के बल्लेबाज फिल ह्यूज की सिर में बॉल लगने से मौत हो गई। यह घटना 25 नवंबर 2014 को सिडनी के मैदान में हुई थी।
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सबा करीम- सैय्यद सबा करीम साल 2000 में विकेटकीपिंग करते वक़्त चोट का शिकार हुई थे। दरअसल कीपिंग के दौरान कुंबले की एक गेंद सबा करीम की आंख पर जा लगी, जिसके बाद फिर उनका करियर ही समाप्त हो गया।
रमन लांबा- बंगबंधु स्टेडियम में ढाका क्लब क्रिकेट मैच में बिना हेलमेट के फिल्डिंग करते समय बॉल लगने से लांबा की मौत हुई थी।
कुल मिलाकर देखें तो खेल के दौरान मैदान में लगी चोट जानलेवा हो सकती है और उपरोक्त नाम इस बात को साबित भी करते हैं। इसलिए खेल के मैदान में लापरवाही ना बरतें और कोई चोट लगी है तो उसका उचित उपचार कराएं।