वेक्सस एक ऑटो-इन्फ्लेमेटरी बीमारी है जिसकी शुरुआत 60-65 साल की उम्र के आसपास होती है। ऐसा माना जा रहा है कि यूबीए1 नाम के जीन में होने वाले परिवर्तन (म्यूटेशन) की वजह से यह बीमारी होती है। इस म्यूटेशन की वजह से ई1 एंजाइम का उत्पादन प्रभावित होता है जो यूबीक्यूटाइलेशन (ubiquitylation) की प्रक्रिया को शुरू करता है। इस प्रक्रिया में वह एंजाइम जो यूबीक्यूटिन नाम के नियामक (रेगुलेटरी) प्रोटीन को सक्रिय बनाता है, वह अन्य प्रोटीन के साथ मिलकर वे किस तरह से काम करते हैं, उनकी स्थिति और कई अन्य कारकों में भी बदलाव करता है। यूबीक्यूटिन, इम्यून सिस्टम को नियंत्रित करने के लिए भी जरूरी है। 

यह स्थिति खासतौर पर उन पुरुषों को प्रभावित करती है जिनमें परिवर्तित यूबीए1 जीन शरीर में मौजूद एक्स-गुणसूत्र (क्रोमोसोम) में और दूसरे एक्स-गुणसूत्र के सामान्य जीन में होता है। यह एक इन्फ्लेमेटरी डिजीज (आंतरिक सूजन और जलन) है जो 10 में 4 मरीजों में जानलेवा साबित होता है। बीमारी के जो लक्षण उत्पन्न होते हैं उसमें शरीर में विस्तृत इन्फ्लेमेशन, बार-बार बुखार आना और मेलॉयड और एरिथ्रॉयड नाम की पूर्ववर्ती कोशिकाओं के बीच में खाली जगह पैदा हो जाना जैसी स्थितियां शामिल हैं।

मौजूदा समय में इस बीमारी को जीनोमिक अनुक्रम की स्टडी के आधार पर डायग्नोज किया जा रहा है- जिसमें यूबीए1 जीन में खासतौर पर होने वाले बदलाव की खोज की जाती है। इस खोज से पहले, वेक्सस से पीड़ित मरीजों की बीमारी गलत डायग्नोज हो रही थी और ऐसा माना जा रहा था कि उन्हें इन्फ्लेमेटरी कंडिशन है (जैसे- रिलैप्सिंग पॉलिकॉन्ड्राइटिस, स्वीट्स सिंड्रोम, पॉलिआर्टेराइटिस नोडोसा या जायंट-सेल आर्टेराइटिस) या फि खून से संबंधित कोई बीमारी है जैसे- माइलोडीस्प्लास्टिक सिंड्रोम या मल्टिपल माइलोमा

इन्फ्लेमेटरी डिजीज से पीड़ित 2 हजार 500 से ज्यादा मरीजों में 800 से ज्यादा जीन्स में होने वाले सामान्य आनुवांशिकी परिवर्तन को देखने के बाद अमेरिका के नैशनल ह्यूमन जीनोम रिसर्च इंस्टिट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं ने इस बीमारी की खोज की। इस दौरान उन्हें 50 ऐसे मरीजों के उदाहरण मिले जिनमें वह विशिष्ट म्यूटेशन दिखा जो वेक्सस के लिए जिम्मेदार है।

  1. वेक्सस के लक्षण - VEXAS ke lakshan
  2. वेक्सस का कारण - VEXAS ka karan
  3. वेक्सस का डायग्नोसिस और इलाज - VEXAS ka diagnosis aur ilaj
वेक्सस इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम के डॉक्टर

वेक्सस (VEXAS) का अर्थ है वैक्यूओल्स (खाली जगह), ई1 इंजाइम, एक्स-लिंक, ऑटोइन्फ्लेमेटरी और सोमैटिक सिंड्रोम।  

  • वैक्यूओल्स, खोखली कैविटी जैसी संरचना है जो मेलॉयड नाम की कोशिकाओं में विकसित होता है। मेलॉयड, रक्त कोशिकाएं हैं जो प्रोजेनिटर यानी अग्रगामी कोशिकाओं (जो रक्त कोशिकाएं बनती हैं) से उत्पन्न होती हैं। 
  • ई1 इंजाइम, एक ऐसा इंजाइम है जो यूबीए1 जीन से बनता है जो सामान्यतः यूबीक्यूटिन प्रोटीन को सक्रिय बनाता है
  • एक्स-लिंक एक संदर्भ है उस तथ्य का कि जीन में होने वाला परिवर्तन (म्यूटेशन) उन पुरुषों के एक्स-गुणसूत्र में होता है जिनमें मोजेसिज्म देखने को मिलता है। मोजेसिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें जेनेटिक परिवर्तन सिर्फ कुछ ही कोशिकाओं तक सीमित रहता है जबकि बाकी की कोशिकाओं में सामान्य जीन्स होते हैं।
  • ऑटोइन्फ्लेमेटरी बीमारी के प्रमुख लक्षण के बारे में बात करता है- सिस्टेमिक या दैहिक इन्फ्लेमेशन जिसका कोई स्पष्ट कारण नहीं है।
  • सोमैटिक सिंड्रोम का यहां पर अर्थ है कि यह बीमारी जन्म के समय मौजूद न रहकर जीवन के बाद के सालों में विकसित होती है।

वेक्सस के लक्षणों में निम्नलिखित समस्याएं शामिल हैं :
1. रक्त, रक्त कोशिकाएं और रक्त कोशिकाओं के उत्पादन से जुड़ी समस्याएं:

  • नसों में खून के थक्के जमना
  • डाइस्प्लास्टिक बोन मैरो- बोन मैरो में होने वाली समस्याएं जो रक्त कोशिकाओं को उत्पादन को प्रभावित करती हैं
  • साइटोपीनिया या परिपक्व रक्त कोशिकाओं की संख्या में कमी
  • असामान्य खाली जगह या कैविटी जैसी संरचना या मेलॉयड कोशिकाओं और एरिथ्रॉयड पूर्ववर्ती कोशिकाओं में में वैक्यूओल्स या बुलबुले

2. बुखार जो ठीक होने के बाद बार-बार वापस आ जाए
3. फेफड़ों में असामान्यताएं जिसमें पल्मोनरी इन्फ्लेमेशन शामिल है
4. इन्फ्लेमेशन से जुड़ी समस्याएं:

  • इन्फ्लेमेशन या आंतरिक सूजन और जलन की समस्या जो प्रतिरोधी होती है अधिकतर इलाज की प्रक्रिया के प्रति, जीवन के बाद के सालों में विकसित होती है और जानलेवा साबित हो सकती है
  • न्यूट्रोफिलिक क्यूटेनियस इन्फ्लेमेशन (त्वचा में होने वाले घाव जो एक तरह की इम्यून कोशिकाएं न्यूट्रोफिलिस के घुसपैठ की वजह से होता है)
  • कॉन्ड्राइटिस यानी कार्टिलेज (उपास्थि) मे होने वाला इन्फ्लेमेशन
  • वैस्क्युलाइटिस यानी रक्त वाहिकाओं में होने वाला इन्फ्लेमेशन
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वेक्सस, यूबीए1 जीन में होने वाले म्यूटेशन के कारण होता है जिसके परिणामस्वरूप यूबीक्यूटिन नाम के रेगूलेटरी प्रोटीन में समस्याएं हो जाती हैं। यूबीक्यूटिन इंसान के शरीर के लगभग सभी ऊत्तकों में मौजूद रहता है। जब यूबीक्यूटिन किसी दूसरे सबस्ट्रेट प्रोटीन से मिलता है तो वह उस प्रोटीन के स्थान और ऐक्टिविटी को बदलने के साथ ही उसे समाप्त करने के लिए भी चिन्हित कर सकता है। इम्यून सिस्टम को नियंत्रित करने में भी यूबीक्यूटिन का अहम रोल है। वेक्सस नाम की इस बीमारी की स्थिति में यूबीक्यूटिलेशन को सक्रिय बनाने वाला इंजाइम प्रभावित होता है।

अमेरिका के नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ के नैशनल ह्यूमन जीनोम रिसर्च इंस्टिट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं ने 2 हजार 560 लोगों के जीनोम अनुक्रम (सीक्वेंस) को देखा जिनमें इन्फ्लेमेटरी डिजीज की समस्या तो थी लेकिन उसके कारण के बारे में कोई जानकरी नहीं थी। इस दौरान वैज्ञानिकों ने यूबीक्यूटिलेशन में शामिल 800 से ज्यादा जीन्स का अध्ययन किया- जो इस बात को प्रभावित करता है कि प्रोटीन, कोशिकाओं के अंदर और इम्यून सिस्टम में किस तरह से कार्य करेगा- और 3 वयस्क पुरुषों में विशिष्ट बदलाव पाया जिसके कारण वेक्सस होता है। बाद में हुई जांच में 47 और लोगों में इस तरह का म्यूटेशन देखने को मिला।

(और पढ़ें - जीन चिकित्सा, फायदे और नुकसान)

इस दुर्लभ जेनेटिक बीमारी के बारे में वैज्ञानिकों ने एक और सूक्ष्म अंतर खोजा और वो ये था कि- ज्यादातर पुरुषों में सिर्फ एक एक्स क्रोमोसोम होता है (क्योंकि उनके शरीर में एक्स-वाई सेक्स क्रोमोसोम होता है)। लेकिन वैज्ञानिकों ने पाया कि जो पुरुष इस बीमारी के लिए पॉजिटिव टेस्ट हुए थे उनके शरीर में सामान्य एक्स क्रोमोसोम भी था और यूबीए1 जीन म्यूटेशन वाला एक्स क्रोमोसोम भी था जो वेक्सस के लिए जिम्मेदार है। लिहाजा वैज्ञानिकों को और अधिक स्पष्टीकरण की जरूरत थी यह जानने के लिए आखिर यह बीमारी पुरुषों को किस तरह से प्रभावित करती है। इसका जवाब था मोजेसिज्म यानी शरीर में म्यूटेशन के साथ कोशिकाओं के एक समूह की घटना और बाकियों में जीन का सामान्य रूप।

डीएनए अनुक्रम प्रक्रिया का इस्तेमाल कर वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि भी की। वैज्ञानिकों का मानना है कि महिलाएं इस बीमारी से सुरक्षित हो सकती हैं क्योंकि उनकी हर कोशिका में एक्स क्रोमोसोम की 2 कॉपीज होती है, जिसका इस मामले में सुरक्षात्मक असर हो सकता है।

यूबीए1 जीन में होने वाले आनुवांशिकी यानी जेनेटिक म्यूटेशन के लिए मरीजों की जांच करना ही मौजूदा समय में इस बीमारी को डायग्नोज करने का एक मात्र तरीका है। इसके इलाज के विकल्प विकसित होना अब भी बाकी है। वैज्ञानिकों को पता है कि इनमें से कई मरीज ऐसे हैं जो स्टेरॉयड्स और कीमोथेरेपी जैसी इलाज के तरीकों के प्रति अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं देते।

Dr. Hemant Kumar

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संदर्भ

  1. Beck D.B., Ferrada M.A., Sikora K.A., Ombrello A.K., Collins J.C., Pei W., Balanda N., Ross D.L., Cardona D.O., Wu Z., Patel B., Manthiram K., et al. Somatic mutations in UBA1 and severe adult-onset autoinflammatory disease. The New England Journal of Medicine, 27 October 2020.
  2. National Institutes of Health. [Internet]. U.S. Scientists use clues in the human genome to discover new inflammatory syndrome, 27 October 2020.
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