ऑटो इन्फ्लेमेटरी डिजीज के क्षेत्र में वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। ऑस्ट्रेलियन नेशनल हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च काउंसिल और अमेरिकी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के वैज्ञानिकों ने बड़ी मशक्कत के बाद इस बीमारी को फैलाने वाले सही कारणों का पता लगाया है। उनकी इस खोज के बाद बीमारी के इलाज के नए तरीके भी मिल गए हैं।
ऑटो इन्फ्लेमेटरी डिजीज क्या है?
ऑटो इन्फ्लेमेटरी डिजीज हमारे रोग प्रतिरोधक सिस्टम में होने वाली सबसे बड़ी बीमारी है। रोग प्रतिरोधक सिस्टम हमारे शरीर को वायरस, बैक्टीरिया और कई तरह के इन्फेक्शन्स से बचाता है। इस बीमारी में हमारे शरीर के रोग प्रतिरोधक सेल्स शरीर के उपयोगी सेल्स पर हमला करने लगते हैं।
ऑटो इन्फ्लेमेटरी डिजीज से होने वाली समस्याएं
ऑटो इन्फ्लेमेटरी डिजीज से बुखार, चकत्ते, जोड़ों और शरीर के दूसरे उत्तकों में सूजन आने लगती है। इस बीमारी से खून में एक तरह का खतरनाक ब्लड प्रोटीन बनने लगता है।
ऐसी स्थिति में डॉक्टर दर्द और सूजन कम करने वाली दवाएं देते हैं। इसके अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर डालने वाली दवाइयां भी दी जाती हैं।
ऑटो इन्फ्लेमेटरी डिजीज होने के कारण
ये बीमारी हमारे शरीर के कुछ खास तरह के जीन्स में बदलाव आने की वजह से होती है। इस बदलाव की वजह से हमारे शरीर में काम करने वाली प्रोटीन्स में समस्याएं पैदा हो जाती हैं। इससे होने वाली कुछ बीमारियों का असल कारण अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है।
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वैज्ञानिकों ने ऑटो इन्फ्लेमेटरी डिजीज के बारे में क्या नई खोज की है
ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने ऑटो इन्फ्लेमेटरी डिजीज को फैलाने वाले जेनेटिक कारण का पता लगाया है। शोधकर्ताओं के अनुसार ऑटो इन्फ्लेमेटरी डिजीज जिसे सीआरआईए (क्लीवेज रजिस्टेंट आरआईपीके 1- इन्ड्युस्ड इन्फ्लेमेटरी) सिंड्रोम भी कहते हैं म्युटेशन की वजह से होता है। म्युटेशन में डीएनए की बनावट बदल जाती है। ऑटो इन्फ्लेमेटरी डिजीज में सेल डेथ कॉम्पोनेंट (आरआईपीके 1) में म्युटेशन होती है।
नई बीमारी की खोज
वॉल्टर एंड एलिजा हॉल इंस्टिट्यूट की डॉक्टर लालोई और उनकी टीम ने ऑटो इन्फ्लेमेटरी डिजीज के एक नए प्रकार का पता लगाया है, जो एक खास तरह के सेल डेथ मोलिक्यूल की वजह से होता है। इसे सीआरआईए सिंड्रोम कहते हैं।
ऑटो इन्फ्लेमेटरी डिजीज इनेट रोग प्रतिरोधक सिस्टम में आ रही समस्याओं से होती है। इस बीमारी के दौरान आ रहे बुखार और सूजन से शरीर के आवश्यक अंगों को हानि पहुंच सकती है। इस रिसर्च में ऐसे परिवार के सदस्यों को लिया गया, जिन्हें बुखार और लसीका यानि लिंफ में सूजन और दर्द की शिकायत थी। ऐसे मरीजों में ये नया सीआरआईए सिंड्रोम पाया गया। ये मरीज बचपन से ही इस समस्या से जूझ रहे थे और व्यस्क होने पर भी इसके लक्षणों का सामना करते रहे।
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नए ट्रीटमेंट की संभावनाएं
डॉक्टर डैन कैस्टनर जिन्हें ऑटो इन्फ्लेमेटरी डिजीज का जनक भी कहा जाता है कहते हैं कि एनआईएच (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ) की टीम ने सीआरआईए सिंड्रोम से बचाने के लिए कुछ एंटी इन्फ्लेमेटरी दवाएं ढूंढ निकाली हैं। इसमें मरीजों को कोर्टीकोस्टीरॉयड्स और बायोलॉजिक्स के हाई डोज दिए जाते हैं। कुछ मरीजों में सुधार दिखा, कुछ पर कम असर और दवा के साइड इफेक्ट्स भी दिखे।
सेल डेथ और बीमारियां
आरआईपीके1 में म्युटेशन की वजह से ऑटो इन्फ्लेमेटरी डिजीज और ऑटो इम्यून डिजीज की तरह ज्यादा सूजन और इम्यूनोडेफिसेंसी की तरह कम सूजन के लक्षण दिखाई देते हैं।