हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी क्या है?
हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (एचसीएम) एक ऐसी बीमारी है, जिसमें हृदय की मांसपेशी असामान्य रूप से मोटी (हाइपरट्रॉफाइड) हो जाती है। इस स्थिति में हृदय को खून पंप करने में समस्या आती है।
हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी का अक्सर निदान नहीं हो पाता है, क्योंकि इस समस्या से ग्रस्त लोगों में या तो बहुत कम लक्षण होते हैं या कोई लक्षण नहीं होते हैं और ऐसे लोग बिना किसी खास परेशानी के सामान्य जीवन जीते हैं। हालांकि, एचसीएम से ग्रस्त कुछ लोगों में हृदय मांसपेशियां कमजोर हो जाने के कारण सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द या हृदय से संबंधित अन्य समस्याएं हो सकती हैं, जिसकी वजह से हृदय की दर आसामान्य या अचानक मृत्यु भी हो सकती है।
(और पढ़ें - हृदय वाल्व रोग)
हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी के संकेत और लक्षण क्या हैं?
हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी के संकेत और लक्षणों में निम्नलिखित में से एक या एक से अधिक शामिल हो सकते हैं :
- सीने में दर्द, विशेष रूप से व्यायाम के दौरान
- बेहोशी, विशेष रूप से व्यायाम के दौरान या अत्यधिक थकान के बाद
- हार्ट मर्मर, हृदय के अंदर खून के तीव्रता से प्रवाहित होने की आवाज
- पैल्पिटेशन (किसी गतिविधि, अधिक थकान या बीमारी की वजह से अनियमित दिल की धड़कन)
- सांस लेने में तकलीफ, खासकर व्यायाम के दौरान
हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी का कारण क्या है?
हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी आमतौर पर जीन में बदलाव या गड़बड़ी के कारण होता है, जिसकी वजह से हृदय की मांसपेशी असामान्य रूप से मोटी होने लगती है।
मानव शरीर में कुल चार चैंबर (दो ऊपर और दो नीचे) होते हैं। इनमें से नीचे के दोनों चैंबर्स के बीच की मस्कुलर वॉल (सेप्टम) सामान्य से अधिक मोटी हो जाती है, जिसकी वजह से खून का बहाव ब्लॉक होने लगता है। इसे ऑब्सट्रक्टिव हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी कहा जाता है।
यदि रक्त प्रवाह को कोई चीज नहीं रोक रही है, तो इस स्थिति को नॉन आब्सट्रक्टिव-हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी कहा जाता है।
इसके अलावा हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी से ग्रस्त लोगों में हृदय की मांसपेशियों की कोशिकाएं (मायोफाइबर डिसैरे) अव्यवस्थित हो जाती हैं। इस स्थिति में कुछ लोगों में अनियमित दिल की धड़कन की समस्या ट्रिगर हो सकती है।
हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी का निदान कैसे होता है?
डॉक्टर संकेतों और लक्षणों के अलावा मेडिकल हिस्ट्री की भी जांच कर सकते हैं :
- इकोकार्डियोग्राम : हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी का निदान करने के लिए आमतौर पर इकोकार्डियोग्राम किया जाता है। इस टेस्ट में ध्वनि तरंगों (अल्ट्रासाउंड) का इस्तेमाल होता है, जिसकी मदद से इस बात का पता चल सकता है कि दिल की मांसपेशी असामान्य रूप से मोटी है अथवा नहीं।
- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी या ईकेजी): यह एक ऐसा टेस्ट है, जो यह बताता है कि हृदय की विद्युत गतिविधि को मापकर यह बताता है कि हृदय कैसे काम कर रहा है।
- कार्डिएक एमआरआई : इस टेस्ट में पावरफुल मैगनेट और रेडियो तरंगों का उपयोग करके हृदय की तस्वीरें तैयार की जाती हैं। डॉक्टर इन तस्वीरों को देखकर हृदय की मांसपेशियों के बारे में जानकारी दे सकते हैं और यह बता सकते हैं कि हृदय और हृदय के वाल्व कैसे काम कर रहे हैं।
हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी का इलाज कैसे किया जाता है?
हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी उपचार का लक्ष्य लक्षणों से राहत दिलाना और अचानक मृत्यु के जोखिम को कम करना है। इस स्थिति का उपचार लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है।
दवाएं
हृदय की मांसपेशियों पर से दबाव को कम करने और हृदय गति को सामान्य करने में दवाएं मदद कर सकती हैं। इन दवाओं के सेवन से हृदय बेहतर तरीके से खून को पंप कर पाने में सक्षम हो पाता है। हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी का इलाज करने वाली दवाओं में शामिल हो सकते हैं :
- बीटा ब्लॉकर्स जैसे कि मेटोपोलोल, प्रोप्रानोलोल या एटेनोलोल
- कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स जैसे कि वेरापैमिल या डिल्टीआजेम
- हार्ट रिदम ड्रग्स जैसे अमियोडेरोन या डिसोपाइरामाइड
- खून के थक्कों को रोकने के लिए ब्लड थिनर्स जैसे कि वार्फरिन, डैबिगेट्रान, रिवारोक्सेबन या अपिक्सबैन जैसी दवाएं दी जा सकती हैं
दवाओं के अतिरिक्त कुछ सर्जरी भी उपलब्ध हैं, जिनके नाम निम्नवत हैं :
- सेप्टल म्येक्टमी
- सेप्टल एब्लेशन
- इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डीफिब्रिलेटर