जल चिकित्सा में उपचार के लिए शरीर के आतंरिक अंगों और बाहरी अंगों पर आवश्यकता के अनुसार तापमान पर गर्म या ठंडे पानी का उपयोग किया जाता है। जल चिकित्सा को अंग्रेजी में हाइड्रोथेरपी कहा जाता है।

हाइड्रोथेरपी में सौना, भाप स्नान, पैर स्नान, विषमता चिकित्सा (कॉन्ट्रास्ट थेरेपी), गर्म और ठंडा स्नान और वाटर थेरेपी इत्यादि उपचार शामिल हैं।

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इस लेख में विस्तार से बताया गया है कि हाइड्रो थेरेपी यानी जल चिकित्सा क्या है, कैसे की जाती है और आपको इससे क्या लाभ और नुकसान हो सकता है। इस लेख में आपको जल चिकित्सा का इतिहास भी जानने को मिलेगा।

  1. जल चिकित्सा कैसे होती है - Hydrotherapy kaise hoti hai in hindi
  2. जल चिकित्सा क्या है - Hydrotherapy kya hai in hindi
  3. जल चिकित्सा के लाभ - Hydrotherapy benefits in hindi
  4. जल चिकित्सा के नुकसान - Hydrotherapy ke side effects in hindi

जल चिकित्सा के समर्थकों के अनुसार ठंडा पानी हमारी रक्त नलियों में संकुचन पैदा करता है जिससे रक्त का प्रवाह शरीर की सतह से अंदरूनी अंगों की तरफ होता है। गर्म पानी हमारी रक्त नलियों को फैलाता है जिससे पसीने की ग्रंथियां सक्रिय हो जाती हैं और शरीर के उत्तकों से अवशिष्ट पदार्थ को बाहर कर देता है।

अदल-बदल कर गर्म या ठंडे पानी से चिकित्सा करने से इंफ्लमैशन कम होती है और रक्त के प्रवाह तथा लसीका तंत्र में उत्तेजना पैदा होती है।

जल चिकित्सा के आम प्रकार निम्न हैं:

  • वात्सु - यह पानी के अंदर मालिश की एक तकनीक है जिसमें आप गर्म पानी के पूल में तैरते रहते है और आपका थेरेपिस्ट आपको मालिश करता है।
  • सिट्ज़ बाथ - सिट्ज़ बाथ में एक दूसरे से सटी हुई एक गर्म और एक ठंडे पानी की दो ट्यूब होती है। आप बारी-बारी से एक ट्यूब में बैठते और दूसरी में अपने पैर रखते हों। सिट्ज़ बाथ के विशेषज्ञ इसका उपयोग बवासीर, प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (पीएमएस) और मासिक धर्म की परेशानियों के लिए किये जाने की सलाह देते है। (और पढ़े - मासिक धर्म में दर्द का इलाज)
  • गर्म पानी में स्नान -  आपकी परेशानी के उपचार की आवश्यकता के अनुसार अधिकतम 30 मिनट तक आपको गर्म पानी में रहना चाहिए। इस पानी में आप यदि चाहें तो एप्सोम नमक, मिनरल मड, अरोमाथेरपी तेल, अदरक, मूर मड (एक प्रकार का औषधीय गुणों से युक्त लेप होता है जिसका प्रयोग स्पा में किया जाता है) और मृत सागर का नमक भी मिला सकते हैं। (और पढ़ें - हेयर स्पा क्या है)
  • भाप स्नान या टर्किश स्नान - भाप घर गर्मी और नमी भरे होते हैं। भाप शरीर से अशुद्धियों को निकालने का कार्य करती है।
  • सौना - इसमें गर्म और सूखी हवा पसीने को बढ़ाती है जिससे शरीर के उत्तकों से अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकल जाते है।
  • कंप्रेस या सिकाई - इसमें टॉवल को गर्म या ठंडे पानी में भिगो कर शरीर के किसी भाग पर रखा जाता है। ठंडी सिकाई जलन और सूजन को कम करती है और गर्म सिकाई रक्त के प्रवाह को बढ़ाती है और मांसपेशियों को दर्द और अकड़न से राहत दिलाती है। (और पढ़े - त्वचा पर बर्फ लगाने के फायदे)
  • लपेटना या व्रैप - इसमें आप को लिटा कर ठंडी और गीली फ्लैनेल की चादर में लपेटा जाता है। इसके बाद आपको सूखे टॉवल और फिर कंबल से ढँक दिया जाता है। इससे शरीर गर्म होने लगता है और जो गीली चादर आपको लपेटी गयी थी उसे सूखा देता है। इसका उपयोग जुकाम, त्वचा की परेशानियों और मांसपेशियों के दर्द में किया जा सकता है।
  • कंट्रास्ट हाइड्रोथेरेपी - इस तकनीक से उपचार के लिए स्नान के अंत में पानी का तापमान कम कर दें और यह कमी केवल उतनी ही हो जितना आपको सुविधाजनक लगे, बर्फ की तरह ठंडा न करें। अब 30 सेकंड के बाद पानी बंद करें। हालाँकि, कुछ लोग गर्म और ठंडे पानी में तीन बार इस तरह से परिवर्तन करते हैं, किन्तु हमेशा प्रक्रिया समाप्त ठंडे पानी के बाद ही करें।
  • वार्मिंग सॉक्स या गर्म जुराब तकनीक - इस तकनीक से इलाज के लिए दो सूती की जुराबें लें और उन्हें गिला कर दें। अब इन जुराबों को पहन लें और इनके ऊपर ऊन की सुखी जुराबे पहन ले और लेट जायें। सवेरे उन्हें निकाल दें। इस प्रकार की थेरेपी को रक्त प्रवाह को बढ़ाने वाला और शरीर के ऊपरी भाग में खून के अतिरिक्त जमाव को सही करने वाला माना जाता है।
  • गर्म सेक - छाती में जुकाम और कफ के जमाव को ठीक करने के लिए इस तकनीक का प्रयोग किया जाता है और यह बीमारी के लक्षणों के साथ-साथ उसकी अवधि को भी कम कर देती है। (और पढ़े - जुकाम के घरेलु उपाय)
  • हाइड्रोथेरेपी पूल एक्सरसाइज - इसमें गर्म पानी के पूल में एक्सरसाइज की जाती है। पानी के अंदर एक्सरसाइज करने से आपको ताकत कम लगती है और हल्का घर्षण होता है। यह तकनीक कमर दर्द, आर्थराइटिस और दूसरी हड्डियों से संबंधी परेशानियों के लिए अच्छी मानी जाती है। वॉटर एरोबिक्स की तरह, हाइड्रोथेरेपी एक्सरसाइज धीमी और नियंत्रण में होती है।

नोट - ऊपर लिखी हुई कोई भी तकनीक प्रयोग करने से पहले एक अच्छे हाइड्रो थेरेपी विशेषज्ञ से परामर्श करें। बिना किसी फ़िज़ियोथेरेपिस्ट के खुद ये क्रियाएँ करने का प्रयास न करें क्योंकि इससे आपको लाभ की अपेक्षा नुकसान हो सकता है।

(और पढ़ें - फिजियोथेरेपी क्या है

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हाइड्रोथेरपी या जल चिकित्सा के उपयोग का इतिहास बहुत प्राचीन और लंबा है। हाइड्रोथेरपी को वाटर थेरेपी भी कहा जाता है। हाइड्रोथेरपी एक ऐसी उपचार पद्दति है जिसमें पानी का उपयोग इलाज के लिए किया जाता है।

इलाज के लिए पानी का उपयोग करने की यह कला 4500 वर्षों से भी पुरानी है। और पुरे विश्व की कई संस्कृतियों में यह कला उपचार का एक अभिन्न अंग रही है। इसके अंतर्गत ठंडा या गर्म पानी या भाप का उपयोग दर्द से राहत और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए किया जाता है। 

हाइड्रोथेरेपी या जल चिकित्सा से अार्थराइटिस, रूमेटिक शिकायतें और जोड़ों की परेशानी का उपचार किया जा सकता है। हालाँकि, जल चिकित्सा तैराकी जैसी लगती है किन्तु यह तैरने से अलग है क्योंकि इसमें व्यक्ति को गर्म पानी के पूल में एक्सरसाइज करनी पड़ती है।

(और पढ़े - आर्थराइटिस के घरेलू उपाय)

पूल में पानी का तापमान औसतन 33-36ºसे. होता है। यह पानी एक सामान्य स्विमिंग पूल के पानी से तो कई अधिक गर्म होता है। जल चिकित्सा सामान्य रूप से हॉस्पिटल के फिजियोथेरपी विभाग में की जाती है। एक विशेषज्ञ फ़िज़ियोथेरेपिस्ट की निगरानी में एक्सरसाइज की जाती है।

(और पढ़े - गर्म पानी से नहाना चाहिए या ठंडे पानी से)

हाइड्रो थेरेपी के फायदे इस प्रकार हैं -

  • काफी लंबे समय तक रहने वाले या अचानक उठने वाले दर्द के लिए जल चिकित्सा एक रामबाण इलाज है।शरीर के डिटोक्सिफिकेशन (detoxification) की मदद से जल चिकित्सा शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को जल्दी साफ कर देती है।
  • जल चिकित्सा अकड़ी हुई और तनावपूर्ण मांसपेशियों को सही करने में मदद करती है। जल चिकित्सा हमारी पाचन क्रिया और चयापचय दर को बढ़ाती है। (और पढ़े - पाचन शक्ति बढ़ाने के उपाय)
  • जल चिकित्सा कोशिकाओं को हाइड्रेट रखती है और मांसपेशियों और त्वचा की रंगत में सुधार करती है।
  • जल चिकित्सा हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और इसे अधिक बेहतर काम करने में मदद करती है।
  • जल चिकित्सा हमारे आंतरिक अंगों में रक्त के प्रवाह को बढ़ा कर इनकी कार्य क्षमता को अच्छा करती है।
  • जल चिकित्सा हमारे चोटिल अंगों को सही करने में, आग से जलने और शीतदंश को ठीक करने, बुखार को कम करने, सूजन और दर्द वाली मांसपेशियों और जोड़ों को ठीक करने, सिर दर्द को ठीक करने, त्वचा की परेशानियां ठीक करने, प्रसव पीड़ा को कम करने और शरीर को आराम प्रदान करने में मदद करती है। (और पढ़े - मांसपेशियों में दर्द का उपाय)
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इनवेसिव हाइड्रोथेरेपी (Invasive hydrotherapy) तकनीक जैसे कि "डूशिंग" (douching: नली द्वारा शरीर के भीतर या बाहर पानी की धार देना), "कोलोनिक इरिगेशन" (colonic irrigation: बड़ी आंत को फ्लश करने के लिए गुदा द्वार से पानी देने की तकनीक) और "एनेमा" (enema: मलाशय के पदार्थों को बाहर निकालने, दवा देने या एक्स रे करने के लिए इसके अंदर में गैस या तरल डालने की तकनीक) इत्यादि को अधिक पसंद नहीं किया जाता है। क्योंकि यह आतंरिक सफाई करने वाली तकनीक किसी की भी पाचन नली और योनि को नुकसान पहुँचा सकती है।

जल चिकित्सा कुछ लोगों में एलर्जी जैसे कि सम्पर्क से होने वाले चर्म रोग के जोख़िम को बढ़ा सकती है क्योंकि इसमें पानी के अंदर औषधियाँ और तेल मिलायें जाते हैं।

(और पढ़े - चर्म रोग के उपाय)

अधिक गर्म पानी से परेशानी होना जल चिकित्सा की सबसे सामान्य परेशानी है, जो काफी नुकसानदायक हो सकती है। ऐसा तब होता है जब कोई व्यक्ति बाथ टब में या "जकूजी" (jaccuzi: नहाने का एक बड़ा तंत्र जिसमे पानी के अंदर वाटर जैट होते हैं, जिनसे शरीर की मालिश होती है) में अधिक समय व्यतीत करें।

ठंडे स्नान का उपयोग बुजुर्ग और बच्चों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। जिन लोगों को दिल की बीमारी हैं उन्हें सौना स्नान नहीं लेना चाहिए।

नोट - ये लेख केवल जानकारी के लिए है। myUpchar किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है। आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।

संदर्भ

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