हेपेटाइटिस बी का टीका हेपेटाइटिस बी से शिशु का बचाव करता है। इस वैक्सीन के बारे में जानने के लिए आपको समझना होगा कि हेपेटाइटिस बी होता क्या है और कैसे फैलता है। हेपटाइटिस बी वायरस के कारण शिशु या व्यस्कों को हेपेटाइटिस बी होता है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है। हेपेटाइटिस बी वायरस से लीवर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। हेपेटाइटिस के कारण होने वाली समस्याएं कुछ सप्ताह के लिए या उससे अधिक लंबे समय तक भी चल सकती हैं।
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हेपेटाइटिस बी का वायरस दो तरह से प्रतिक्रिया करता है। इसके कुछ वायरस तीव्र प्रतिक्रिया (Acute hepatitis B virus) दिखाते हैं, जबकि कुछ वायरस लंबे समय के बाद अपना प्रभाव दिखाते हैं, इनको दीर्घकालिक वायरस (Chronic hepatitis B virus) भी कहा जा सकता है।
तीव्र प्रतिक्रिया वाले वायरस के संपर्क में आने के बाद शिशु या व्यक्ति को हेपेटाइटिस बी छह महीनों के अंदर हो जाता है। इसको जल्द ठीक होने वाली बीमारी माना जाता है। इसके रोगी में बुखार, थकान, भूख कम लगना, जी मिचलाना और उल्टी आने के लक्षण होते हैं। इसके साथ ही व्यक्ति को पीलिया, मांसपेशियों, पेट और जोड़ों में दर्द भी होने लगता है।
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दीर्घकालिक हेपेटाइटिस बी वायरस का संक्रमण होने पर रोगी लंबे समय तक बीमार रहता है। यह संक्रमण तब होता है जब वायरस व्यक्ति के शरीर में लंबे समय तक रहता है। इस तरह के वायरस से संक्रमित अधिकतर लोगों के शरीर में किसी भी तरह के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, परंतु इसकी वजह से लीवर क्षति (लीवर सिरोसिस), लीवर कैंसर और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। इस रोग के मरीज अन्य लोगों को भी हेपेटाइटिस बी से संक्रमित कर सकते हैं।
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हेपेटाइटिस बी रक्त, वीर्य और शरीर के अन्य तरल जैसे लार आदि से फैलता है। इस वायरस से निम्न तरह से संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है:
- जन्म के समय या उसके बाद (यदि बच्चे की मां हेपेटाइटिस के वायरस से संक्रमित हो)
- संक्रमित व्यक्ति के दाढ़ी बनाने के सामान (शेविंग किट) का प्रयोग करना या उसके टूथब्रश को इस्तेमाल करना।
- संक्रमित व्यक्ति के घावों या खून के संपर्क में आने से।
- वायरस वाले व्यक्ति से संभोग करना।
- इंजेक्शन का दोबारा इस्तेमाल करना।
- किसी तीखे औजार पर लगे संक्रमित रक्त के संपर्क में आना।
शिशु व अन्य व्यस्कों में हेपेटाइटिस से बचाव के लिए ही हेपेटाइटिस बी वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाता है। हेपेटाइटिस बी वैक्सीन, हेपेटाइटिस बी वायरस के एक हिस्से से बनाई जाती है, वैक्सीन में मौजूद वायरस का हिस्सा हेपेटाइटिस बी के संक्रमण का कारण नहीं होता है। आमतौर पर हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए इस वैक्सीन की छह महीनों के अंदर तीन से चार खुराक दी जाती है।
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