लिवर हमारे शरीर का अहम हिस्सा होता है, लेकिन आजकल अधिकतर लोग लिवर से जुड़ी तरह-तरह की बीमारियों का सामना कर रहे हैं. इसमें हेपेटाइटिस बी भी एक है. हेपेटाइटिस बी लिवर में होने वाला संक्रमण है, जो संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है. हेपेटाइटिस बी के लक्षण समय के साथ बढ़ते जाते हैं और स्थिति को गंभीर बनाते हैं. जब हेपेटाइटिस बी लंबे समय तक रहता है, तो इससे लिवर फेलियर और कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है.

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आज इस लेख में आप जानेंगे कि हेपेटाइटिस बी से ग्रस्त मरीज को कैंसर हो सकता है या नहीं -

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  1. हेपेटाइटिस बी क्या है?
  2. हेपेटाइटिस बी के लक्षण
  3. क्या हेपेटाइटिस बी से कैंसर हो सकता है?
  4. लिवर कैंसर के लक्षण
  5. सारांश
क्या हेपेटाइटिस बी से कैंसर होता है? के डॉक्टर

हेपेटाइटिस बी एक गंभीर लिवर इंफेक्शन है, जो हेपेटाइटिस बी वायरस के कारण होता है. हेपेटाइटिस बी में लिवर में सूजन हो सकती है. यह वायरस लिवर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है. हेपेटाइटिस बी संक्रमित व्यक्ति के रक्त या वीर्य जैसे तरल पदार्थों के सीधे संपर्क में आने पर फैल सकता है.

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हेपेटाइटिस बी अल्पकालिक (एक्यूट) या दीर्घकालिक (क्रोनिक) संक्रमण हो सकता है. एक्यूट हेपेटाइटिस बी 6 महीने तक रहता है और क्रोनिक हेपेटाइटिस बी लंबे समय तक रह सकता है. आपको बता दें कि एक्यूट हेपेटाइटिस बी लिवर फेलियर का कारण बन सकता है, लेकिन ऐसा दुर्लभ केस में ही होता है. वहीं, क्रोनिक हेपेटाइटिस बी लंबे समय तक लिवर की सूजन का कारण बन सकता है. लिवर में सूजन की वजह से व्यक्ति को कई जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है. इन जटिलताओं में शामिल हैं -

हेपेटाइटिस बी वाले अधिकतर वयस्क पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, जबकि शिशुओं और बच्चों में क्रोनिक हेपेटाइटिस बी संक्रमण विकसित होने की आशंका अधिक होती है. वैसे तो हेपेटाइटिस बी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन हेपेटाइटिस बी वैक्सीन से इसके जोखिम को कम जरूर किया जा सकता है.

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हेपेटाइटिस बी हमेशा लक्षण पैदा नहीं करता है, लेकिन गंभीर मामलों में इस वायरस के 2 से 5 महीने बाद लक्षण नजर आ सकते हैं. हेपेटाइटिस बी के लक्षणों में शामिल हैं -

अगर किसी को इनमें से कोई भी लक्षण नजर आता है, तो हेपेटाइटिस बी की जांच जरूर करवानी चाहिए. इसके बाद ही डॉक्टर इसके लक्षणों को कम करने वाली दवाइयां लिख सकते हैं.

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हां, हेपेटाइटिस बी लिवर से जुड़ी एक गंभीर बीमारी होती है. जब किसी व्यक्ति को हेपेटाइटिस बी होता है, तो इससे उसका संपूर्ण स्वास्थ्य प्रभावित होता है. हेपेटाइटिस बी कई अन्य बीमारियों का कारण भी बन सकता है. इसमें कैंसर भी शामिल है. लिवर कैंसर से पीड़ित आधे से अधिक लोगों को हेपेटाइटिस बी की वजह से यह कैंसर होता है.

दरअसल, हेपेटाइटिस बी होने पर टिश्यू लिवर पर कब्जा कर लेता है. इससे स्वस्थ कोशिकाओं में डीएनए भी बदल जाता है और कैंसर वाले घातक ट्यूमर विकसित हो जाते हैं. हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा को लिवर कैंसर का प्राथमिक रूप माना जाता है. यह हेपेटाइटिस बी वाले लगभग एक तिहाई लोगों में होता है. यह दुनिया भर में कैंसर से संबंधित मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है.

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लिवर कैंसर और हेपेटाइटिस बी के कुछ समान लक्षण हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं -

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लिवर कैंसर एक जटिल बीमारी है, जो क्रोनिक हेपेटाइटिस बी के कारण विकसित हो सकती है. दरअसल, हेपेटाइटिस बी की वजह से लिवर कैंसर तब होता है, जब संक्रमण की वजह से लिवर में गंभीर निशान होते हैं. ये निशान कैंसर के ट्यूमर के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं. इसलिए, लिवर कैंसर और लिवर फेलियर से बचने के लिए हेपेटाइटिस बी के लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें. जैसे ही हेपेटाइटिस बी के लक्षण नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें.

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