हृदय हमारे पूरे शरीर में रक्त को भेजने का काम करता है. रक्त के जरिए हमारे पूरे शरीर में ऑक्सीजन और पोषक तत्व भी पहुंचते हैं. इसलिए, इसका अच्छे से काम करते रहना जरूरी है. हृदय सही तरीके से काम कर रहा है या नहीं, इसकी जांच करने के कई तरीके हैं.

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इस लेख में हम जानेंगे कि हृदय की जांच कौन-कौन से तरीकों से की जाती है -

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  1. हृदय की जांच के लिए विभिन्न टेस्ट
  2. सारांश
हृदय के कौन-कौन से टेस्ट होते हैं? के डॉक्टर

स्वस्थ शरीर के लिए हृदय का सही से काम करते रहना जरूरी है. इसमें अगर कोई परेशानी आए, तो उसको जानने के कई तरीके होते हैं. हृदय की जांच चेस्ट एक्स-रे, ईसीजी, इको टेस्ट और स्ट्रेस टेस्ट जैसे कई टेस्ट करके की जा सकती है. आइए, विस्तार से जाने हृदय की जांच के तरीकों के बारे में -

ब्लड टेस्ट

ब्लड टेस्ट से शरीर के अंदर सोडियम, पोटेशियम, एल्ब्यूमिन और क्रिएटिनिन की मात्रा का पता लगाया जाता है. अगर इनमें से किसी की भी मात्रा अधिक हो जाए, तो आपके हृदय के साथ-साथ कई अंगों को खराब कर सकती है. इसके साथ ही ब्लड टेस्ट से आपके कोलेस्ट्रॉल का भी पता लगाया जाता है.

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चेस्ट एक्स-रे

चेस्ट एक्स-रे टेस्ट में कम रेडिएशन का इस्तेमाल करके चेस्ट और हृदय की तस्वीरों को लिया जाता है. इससे डॉक्टर को मरीज के सांस या सीने में दर्द जैसी तकलीफ की वजह जानने में मदद मिलती है.

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इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम

ईसीजी एक जल्द और बिल्कुल आराम से होने वाला टेस्ट है. इसमें मरीज को कोई कष्ट या तकलीफ नहीं होती है. ईसीजी के जरिए आपके हृदय के इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को रिकॉर्ड किया जाता है. इससे हृदय सही से चल रहा है या नहीं इसके बारे में पता लगाया जाता है. ईसीजी करवाते समय मरीज को रिलैक्स रहना चाहिए.

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हॉल्टर मॉनिटरिंग

हॉल्टर मॉनिटरिंग टेस्ट एक पोर्टेबल ईसीजी डिवाइस की मदद से किया जाता है. इसमें मरीज को 24 से 72 घंटों के लिए यह डिवाइस पहन कर रखना होता है, इससे आपके हृदय के चलने की गति का पता लगाया जाता है. ज्यादातर यह तब किया जाता है, जब ईसीजी के बाद भी तकलीफ पकड़ में नहीं आती.

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इको टेस्ट

इको टेस्ट को इकोकार्डियोग्राम भी कहा जाता है. यह एक तरह का अल्ट्रासाउंड होता है, जिसमें ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल करके हृदय के अंदर की तस्वीर को देखा जाता है. इससे दिल की धड़कन और पंप कैसे काम कर रहा है, इसके बारे में पता लगाया जाता है. इसमें मरीज को दर्द नहीं होता है.

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स्ट्रेस टेस्ट

इस टेस्ट में एक्सरसाइज या दवाई की मदद से दिल की गति को बढ़ाया जाता है, ताकि यह जांचा जाए कि दिल ऐसी स्थिति में कैसे काम करता है. हृदय स्ट्रेस के समय सही से काम कर रहा है या नहीं इसका पता स्ट्रेस टेस्ट के जरिए लगाया जाता है. इसमें मरीज को कोई तकलीफ नहीं होती है. उनको बस ट्रेडमिल पर चलाया जाता है.

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कार्डिक कैथीटेराइजेशन

इस टेस्ट में मरीज के पैर या बांह की नस के जरिए कैथेटर नाम की खोखली, मुलायम और लंबी ट्यूब को शरीर के अंदर डाला जाता है. डॉक्टर बाहर मॉनिटर की मदद से कैथेटर को ठीक से हृदय तक पहुंचता है. इस प्रकिया के दौरान हृदय के चैंबर्स पर जो दबाव पड़ता है, उसको मापा जाता है और डाई को अंदर इंजेक्ट करके एक्स-रे के जरिए देखा जाता है कि हृदय में क्या समस्या है. इसमें हृदय में खून का बहाव सही से हो रहा है या नहीं इसके बारे में  भी जांच की जाती है.

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कार्डियक सीटी स्कैन

इस टेस्ट में मरीज को एक डोनट के आकार की मशीन के अंदर टेबल पर लिटा दिया जाता है. मशीन के अंदर जो एक्स-रे ट्यूब होती है, वो शरीर के चारों ओर घूमकर हृदय और चेस्ट की तस्वीरों को एकत्रित करती है.

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कार्डियाक एमआरआई

कार्डियाक एमआरआई में मैग्नेटिक क्षेत्र और कंप्यूटर से पैदा होने वाली रेडियो तरंगों की मदद से हृदय की पूरी और बारीक तस्वीरों को निकाला जाता है. यह हृदय की समस्या का अच्छे से पता लगाने में सहायक होता है.

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टिल्ट टेबल टेस्ट

यह टेस्ट एक ऐसी टेबल पर होता है, जो हॉरिजॉन्टल से वर्टीकल की तरफ को घूमती है. मरीज को इस टेबल पर लिटा कर देखा जाता है कि टेबल के ऐसे हिलने से उसके हृदय रेट, ब्लड प्रेशर और ऑक्सीजन पर क्या असर पड़ता है. इस टेस्ट से मरीज के हृदय की स्थिति का पता लगाया जा सकता है.

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हृदय की बीमारी का इलाज सही तरीके से करवाने के लिए उसकी सही जांच करवाना बहुत जरूरी है. हृदय की जांच करने के कई तरीके हैं, जिनके बारे में लेख में विस्तार से बताया गया है. हर जांच मरीज को हृदय में या शरीर में दिखने वाले लक्षण के हिसाब से की जाती है. बताते चलें, हर हृदय के मरीज की समस्या दूसरे से अलग होती है, इसलिए कोई भी जांच करवाने से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें.

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