इंसान के शरीर की आंत या गट में गुड और बैड दोनों तरह के बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं जो व्यकि की सेहत बनाए रखने में और उसे बीमार करने में दोनों में ही अहम भूमिका निभाते हैं। डॉक्टरों और हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो गट बैक्टीरिया शिशु के जन्म लेने के 2 हफ्ते के भीतर ही सक्रिय हो जाता है। गट बैक्टीरिया को लेकर अक्सर वैज्ञानिक तरह-तरह की रिसर्च करते रहते हैं और अब एक कई रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि इंसान की आंत (गट) में मौजूद एक प्रकार का गुड बैक्टीरिया व्यक्ति को हृदय रोग होने के संभावित खतरे से बचा सकता है।
बैक्टीरिया की हुई पहचान जो एथेरोस्क्लेरोसिस के खतरे से बचा सकता है
जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल केमिस्ट्री में प्रकाशित इस स्टडी को अमेरिका के ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने किया है। स्टडी के दौरान एक्सपर्ट्स ने इयूबैक्टीरियम लिमोसम नाम के बैक्टीरिया की पहचान की जो हृदय रोग के खतरे को कम कर सकता है। यह बैक्टीरिया सेहत के लिए किस तरह से फायदेमंद है इसकी पहचान पहले नहीं की गई थी। इ.लिमोसम बैक्टीरिया की गतिविधियां आंत के अंदर ही एक ऐसे केमिकल के उत्पादन को कम करती हैं जिसका संबंध रक्त धमनियों में रुकावट यानी एथेरोस्क्लेरोसिस बीमारी से है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें धमनियों के अंदर प्लाक जमने लगता है। आंत में जब यह केमिकल बनता है तो यह खून के माध्यम से लिवर तक पहुंच जाता है जहां यह और ज्यादा खतरनाक रूप ले लेता है।
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बैक्टीरिया का नाम है इ.लिमोसम
स्टडी में शामिल शोधकर्ताओं ने इ.लिमोसम बैक्टीरिया के लाभकारी व्यवहार को प्रोटीन के एक विशिष्ट परिवार से जुड़ा हुआ पाया है और यह जुड़ाव यह समझाने में मदद करता है कि आंत या गट में मौजूद गुड बैक्टीरिया इंसान के स्वास्थ्य में किस तरह से सकारात्मक योगदान देते हैं। आंत में मौजूद पोषक तत्वों के लिए गुड और बैक्टीरिया के बीच प्रतिस्पर्धा होती है और अगर गुड बैक्टीरिया इस प्रतिस्पर्धा में जीत जाते हैं तो वे सेहत से जुड़ी कई समस्याओं से शरीर को बचाने में मदद करते हैं। इसके अलावा बुरे रोगाणुओं को खत्म करने में मदद करके, गुड बैक्टीरिया स्वास्थ्य समस्याओं को रोक सकता है जो मेटाबॉलिक मामलों के कारण विकसित होते हैं।
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बैक्टीरिया में चिकित्सीय प्रक्रियाओं में शामिल होने की क्षमता
अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि वैसे तो इस मामले में और ज्यादा रिसर्च करने की जरूरत है, बावजूद इसके एक्सपर्ट्स यही मानते हैं कि इ.लिमोसम बैक्टीरिया में काफी क्षमता है और चिकित्सा संबंधी प्रक्रियाओं में इस बैक्टीरिया के इस्तेमाल किए जाने की संभावना बहुत अधिक है। इससे पहले इ.लिमोसम के बारे में हो चुके अध्ययनों में यह बात साबित हो चुकी है यह बैक्टीरिया आंत (गट) में होने वाले इन्फ्लेमेशन (सूजन-जलन) की समस्या को शांत करता है।
इस स्टडी के सीनियर ऑथर प्रफेसर जोसेफ क्रिजिकी कहते हैं, 'पिछले एक दशक में यह बात पूरी तरह से स्पष्ट हो चुकी है कि मानव आंत में मौजूद बैक्टीरिया हमारे स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित करता है। जिस सूक्ष्मजीव का हमने अध्ययन किया, वह एक समस्याग्रस्त यौगिक को और ज्यादा बदतर होने से रोककर स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। वैसे तो अभी ये कहना जल्दबाजी होगी कि इस जीवाणु (बैक्टीरियम) का चिकित्सीय मूल्य हो सकता है, लेकिन हम इसी दिशा में आगे काम कर रहे हैं।'
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धमनियों में रुकावट की समस्या जिस केमिकल से जुड़ी है उसे ट्राइमिथाइलमाइन (टीएमए) कहा जाता है। यह आमतौर पर मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया के दौरान उस वक्त उत्पन्न होता है जब आंतों के रोगाणु- आमतौर पर बैड बैक्टीरिया के प्रकार- भोजन से मिलने वाले कुछ पोषक तत्वों के साथ संपर्क में आते हैं या परस्पर क्रिया करते हैं। इसी तरह का एक पोषक तत्व है- एल कार्निटाइन। यह एक ऐसा केमिकल कम्पाउंड है जो मांस और मछली में पाया जाता है और इसका इस्तेमाल सप्लिमेंट के तौर पर एक्सरसाइज के बाद रिकवरी के लिए किया जाता है।
गट बैक्टीरिया सेहत से जुड़े परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं
स्टडी में शामिल शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि इ.लिमोसम बैक्टीरिया एल-कार्निटाइन के साथ आंत में एक अलग तरीके से परस्पर क्रिया करता है, जिससे ट्राइमिथाइलमाइन (टीएमए) के उत्पादन में एल-कार्निटाइन की भूमिका समाप्त हो जाती है। बैक्टीरिया के लाभकारी व्यवहार को MtcB नाम के प्रोटीन के लिए जिम्मेदार माना जाता है जो डिमेथाइलेशन में शामिल एक एंजाइम है। मिथाइल समूह को हटाकर, यह प्रक्रिया एक यौगिक की संरचना या कार्य को बदल देती है। प्रफेसर क्रिजिकी के अनुसार, आंत (गट) बैक्टीरिया की एक प्रजाति में इस महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ का पता लगाने से यह बात भी पता चलती है कि गट बैक्टीरिया सेहत से जुड़े परिणामों को किस तरह से प्रभावित कर सकते हैं, इस बारे में अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है।